खबर लहरिया Blog खनन से घटा जलस्तर,चुनावी माहौल में समस्या बनी वोट, पर निवारण का क्या?

खनन से घटा जलस्तर,चुनावी माहौल में समस्या बनी वोट, पर निवारण का क्या?

उत्तरप्रदेश अब सिर्फ अवैध खनन के मामलों से ही नहीं बल्कि उससे पैदा हुई भौगोलिक स्थिति से भी जूझ रहा है। इस बात का संकेत सिकुड़ती धाराएं सीधे तौर पर देती हैं। अगर अभी पानी नहीं बचाया तो शायद आगे बचाने के लिए कुछ बाकी ही ना रहे। यूपी के जिलों की सबसे बड़ी आबादी पानी के लिए केन नदी और बागे नदी पर निर्भर करती है और उसके ही ज़रिए अपनी प्यास बुझाते रही है।

Water level decreased from mining

लेकिन जिस तरह से नदियों में खनन पर जोर दिया जा रहा है और धाराएं रोककर बालू निकाली जा रही है। उससे जमीन का जल स्तर बहुत ही नीचे खिसकता जा रहा है। जिससे पानी का संकट गहराता जा रहा है। अगर देखा जाए तो अभी तो गर्मी की शुरुआत हुई है। लेकिन बहुत से गांव में अभी से ही पानी का संकट खड़ा हो गया है और लोग काफी दूरी से पानी लाकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं।

घटते जलस्तर का असर ग्रामीण स्तर पर लगे हैंडपंप, तालाबों और कुओं के ऊपर भी पड़ा है। यही कारण है कि गर्मी आते ही वह जवाब देने लगते हैं और सूख जाते हैं। जैसे की नरैनी क्षेत्र में कई गांव ऐसे है जहाँ के लोग पानी के लिए तरस रहे है।

जलस्तर घटने से बढ़ी पानी की समस्या

Water level decreased from mining

सीमावर्ती मध्यप्रदेश (एमपी) के पन्ना जिले से सटे यूपी के बांदा जिले के महाराजपुर गांव में गर्मी के शुरुआती दिनों में ही पानी का संकट विकराल हो गया। कुएं और तालाब सूखने से पानी का संकट और भी ज्यादा गहरा गया है। जलस्तर नीचे खिसकने से हैंडपंप भी जवाब दे गए हैं।हालत यह है कि ग्रामीणों को दोदो किलोमीटर दूर से पीने के लिए पानी ढोना पड़ रहा है। इसमें सबसे ज्यादा मुसीबत मवेशियों की है।

चरवाहे मवेशियों की प्यास मध्य प्रदेश के गांवों में ले जाकर बुझा रहे हैं। नरैनी तहसील क्षेत्र का महाराजपुर गांव एमपी बार्डर पर बसा है। इसकी आबादी करीब तीन हजार है। गांव में 84 बीघे का हनुमान तालाब है। यह पूरी तरह से सूख चुका है। सीमा पर तालाब होने से एमपी के ग्रामीणों ने इसकी अधिकांश भूमि में अवैध कब्जा कर लिया है। गांव के सभी कुएं सूख गए। तालाब और कुएं सूखने से भूजल का स्तर काफी नीचे जा चुका है। नतीजा ये है कि गांव में लगे अधिकतर हैंडपंप और कई किसानों के बोर सूख गए हैं। इसलिए लोग परेशान हैं।

चुनावी माहौल ने रोका हैंडपम्प का काम 

जमवारा ग्राम पंचायत के मजरा सकरिहा पुरवा गांव के लोग इस समय पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। यहाँ के लोगों का कहना है कि उनके गांव में 400 वोटर है और लगभग हजार की आबादी है। इतनी आबादी के बीच 7 हैंडपंप है। जिसमें से दो तो बिल्कुल बेकार पड़े हुए हैं और कुछ ठीकठाक चल रहे हैं। उनमें से भी कुछ बीचबीच में पानी देना बंद कर देते हैं। तीन कुएं हैं और वह भी किसी काम के नहीं है। जिससे लोगों को पानी के लिए भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

Water level decreased from mining

लोगों का कहना है कि गर्मी शुरू हो गई है। घर के खर्च से लेकर मवेशियों तक पानी ही पानी का काम होता है। इसलिए पानी के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है। पानी भरने के चक्कर में उनके घर के कामों का काफी नुकसान होता है। जो लोग मजदूरी करने वाले हैं उनकी मजदूरी का भी काफी नुकसान होता है क्योंकि वह समय से नहीं पहुंच पाते हैं या फिर खाना पीना लेकर नहीं जा पाते।

जब खबर लहरिया की रिपोर्टर ने लोगों से यह जानना चाहा कि उन्होंने जो हैंडपंप खराब है उन्हें बनवाने की मांग क्यों नहीं की? तो लोगों ने कहा कि इस समय चुनावी माहौल चल रहा है। आज कल सब व्यस्त है। प्रधानी अब ग्राम पंचायत के हाथ नहीं रही इसलिए कोई मतलब नहीं है। सब जैसेतैसे हो रहा है।

चुनाव लोगों के लिए होते हैं। पर यहां उनकी समस्या को सुलझाने की जगह समस्याओं को बड़ा बनाकर पेश किया जा रहा है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा वोटों को झोली में भरा जा सके। अगर ऐसा है तो क्या लोगों को हर समस्या के निपटारे के लिए चुनाव के आने तक इंतज़ार करना होगा? तब तक लोग क्या अपनी परेशानियों से यूंही लड़ते रहेंगे? चुनाव के समय तो बड़ेबड़े वादे किए जाते हैं। जैसे ही चुनाव खत्म, वादों पर भी मिट्टी डाल दी जाती है।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए गीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।