बाबरी मस्जिद विध्वंस की 26वीं वर्षगांठ पर, खबर लहरिया की डिजिटल हेड कविता देवी ने बाँदा से मंदिर और मस्जिद के मामले पर अपनी विचारधारा कुछ इस तरह प्रकट की है।
राम मंदिर निर्माण का मुद्दा इस वक़्त देशभर में काफी चर्चा में है। हर गली से लेकर हर चौराहे पर केवल जय श्री राम! की नारे ही सुने को मिल रहे हैं। जिस बीच देश की आधी से भी ज्यादा जनता ने मंदिर के निर्माण को लेकर अपना समर्थन जताया है। 23 नवम्बर को लगभग शाम के आठ बजे की बात है, जब में बाँदा के बाबूलाल चौराहे से गुज़र रही थी। तब मैंने वहां की बसों को केसरी रंग से सजा हुआ देखा और साथ ही में उन पर समर्थकों द्वारा कई झंडे भी लगाये गए थे। हर बस के शीशे पर पोस्टर भी लगे हुए थे, जिन पर बड़े-बड़े शब्दों में ‘अयोध्या चलो’ लिखा था। में वहां कुछ पल ठहरी, मैंने वहां मौजूद हर बस को ध्यान से देखा। प्रत्येक बस में लोगों की भीड़ के बीच केवल मंदिर से जुड़े नारे ही सुनाई पड़ रहे थे। वहां मौजूद लोगों में से मैंने एक व्यक्ति से पूछा, “आप सभी लोग कहाँ जा रहे हैं”? उस व्यक्ति ने मुझे काफी गुस्से से बोला, “क्या तुम्हें दिखता नहीं, हम सभी राम मंदिर निर्माण के समर्थन में अयोध्या जा रहे हैं”।
25 नवम्बर को अयोध्या में आरएसएस और वीएचपी द्वारा राम मंदिर निर्माण के समर्थन में आयोजित महासभा की तैयारी, बुंदेलखंड और यूपी के कई हिस्सों में लगभग एक महीने से की जा रही थी। हजारों की संख्या में लोगों को इस महासभा का हिस्सा बनने के लिए निमंत्रण दिया गया था। वहीँ हिन्दुओं की इस उमड़ती भीड़ ने अयोध्या में रह रहे मुसलमानों के बीच मानो डर-सा बना दिया है।
फैज़ाबाद क्षेत्र में कई साल रिपोर्टिंग करने के बाद, आज पहली बार मैंने मंदिर निर्माण के समर्थकों के बीच बुरखा पहने कई मुस्लमान औरतों को देखा। 1992 में बाबरी मस्जिद के ध्वस्त हो जाने के बाद से, देश में मुसलमानों की स्थिति काफी दयनीय रही है, जिसके चलते तब से लेकर अब तक हम लोग उन्हें हमेशा गलत ही समझते आए हैं। देशभर में मंदिर निर्माण की मांग को लेकर कई बार दंगे-फ़साद भी हुए हैं। और इस बीच, अयोध्या में रह रहे मुस्लमान जाति के लोगों को काफी गंभीर स्थितियों से गुज़ारना पड़ा है। मुस्लिम समुदाय द्वारा मंदिर निर्माण के समर्थन को लेकर मीडिया द्वारा कई बार उनके समर्थन पर सवाल भी उठाये गए हैं। उनकी असल पहचान एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हम ये नहीं जानते की भीड़ में छुपे चेहरे हिन्दू समाज के लोगों के हैं या मुस्लमान के। ऐसे में हम किसी को भी बुरखा पहनाकर भीड़ के बीच भेज सकते हैं। और मैं खुद भी शबनम नाम से एक मुस्लमान औरत का वेश पहनकर इन लोगों के बीच जा सकती हूँ।
लेकिन असल बात ये है कि अयोध्या में रह रहे मुस्लमान लोगों के बीच इन सब को लेकर काफी डर बैठ गया है। और होगा भी क्यों नहीं, लोगों की इस उमड़ती भीड़ और इन नारों से किसी भी व्यक्ति के मन में डर बैठ सकता है, खासकर की तब जब वो किसी दूसरी जाति का हिस्सा हो। शहर की हर गली-गॉंव में लोग तो मानो ऐसे उतरकर आ रहे हैं जैसे वो ही केवल इन सड़कों के मालिक हों। ऐसा लग रहा है जैसे यहाँ कुछ काफी बड़ा होने वाला है। आने वाले समय का सोचते हुए लोग अपने घरों में महीने भरका राशन जमा करने लगे हैं। क्या पता कब स्थिति गंभीर हो जाए।
लेकिन आख़िरकार लोग इस मामले से जुड़े डर और आतंक के माहौल के बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?
जब हमने मंदिर निर्माण के इस मामले के बारे में कुछ विशेषज्ञों से बात करी कि क्या कभी यहाँ मंदिर बन पाएगा या नहीं? या ये सब एक दिन दंगों का रूप ले लेगा? तो इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीच देश में दंगें नहीं होंगे। बल्कि आने वाले चुनावों की वजह से भाजपा सरकार को इसका कोई न कोई हल तो निकलना ही पड़ेगा। ये चुनावों में उनकी जीत का एक अहम पहलु जो है।
मेरा मानना है कि इस जगह पर मंदिर या मस्जिद बनना ही नहीं चाहिए। बल्कि लोगों को इसके ज़रिये आवश्यक सुविधाएँ प्राप्त कराई जानी चाहिए। लोग ये क्यों नहीं सोचते कि इस जगह पर कोई विश्वदियालय या अस्पताल या बस स्टॉप बनाया जा सकता है? वे क्यों नहीं समझते की इस जगह पर उन्ही के लिए सुविधा प्राप्त कराना ही सबसे बेहतर होगा? इस जगह से उनकी कितनी ज़रूरतें पूरी की जा सकती हैं। लोगों से ये पूछना ज़रूरी है कि अगर यहाँ राम मंदिर बन भी गया, तो क्या उसके बाद यहाँ की महिलाएं सुरक्षित हो पाएंगी? क्या इसके ज़रिये वो ये भी सुनिश्चित करेंगे कि अब से यहाँ कोई व्यक्ति बुखा नहीं मरेगा? वास्तविकता में क्या ये सभी प्रशन केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश के विकास के लिए ज्यादा मायने नहीं रखते?
सरकार की नीतियों या राजनीतिक पैंतरों पर दोष देने से अब कुछ नहीं होगा। इन सबके पहले हम सभी को खुद के अन्दर झाँकने की सबसे ज्यादा ज़रूरत है। हर एक को व्यक्तिगत रूप से उभरने की ज़रूरत है। नाकि समुदाय या परिवार के बल पर।
“अगर यहाँ राम मंदिर बन भी गया तो उससे क्या हम सबको फायदा होगा? क्या देश के विकास में कोई बदलाव आएगा?” ये सोचने की बात है।
– कविता देवी
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