दोस्तों आज के समय में इंसानियत से ज़्यादा पैसा और सत्ता मायने रखती है। यही कारण है कि छोटी से छोटी घटनाएं भी एक बड़ा रूप ले लेती हैं और फिर इसमें प्रशासनिक लापरवाही की वजह से लोगों की जाने भी चली जाती हैं। मामला उत्तर प्रदेश के महोबा शहर कोतवाली के अंतर्गत आने वाले एक मोहल्ले का है जहां पर 13 फरवरी 2021 को अधिवक्ता मुकेश कुमार पाठक ने अपने ही घर में अपनी लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। इस घटना को सुनते ही पूरे शहर में सनसनी फैल गई और उनके घर के बाहर पुलिस का तांता लग गया लेकिन घटना से पहले जब मृतक मुकेश ने कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी और कुछ लोगों के ऊपर उनसे पैसे वसूलने का दबाव बनाने की शिकायत की थी तब पुलिस ने कार्यवाही नहीं की थी।
मृतक अधिवक्ता मुकेश कुमार पाठक के परिजनों ने बताया कि कबरई ब्लाक प्रमुख छत्रपाल यादव व उसके साथियों द्वारा मृतक के बेटे से 60 लाख रुपये वसूले जाने और रिपोर्ट दर्ज कराने पर झूठे मुकदमे में फंसाने का दबाव बनाया जा रहा था। जिससे परेशान होकर अधिवक्ता मुकेश कुमार पाठक ने 13 फरवरी दिन शनिवार की रात अपनी लाइसेंसी बंदूक से घर के अंदर वॉशरूम में जाकर गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी।
जिससे परिवार में कोहराम मच गया और आनन-फानन में उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस अधीक्षक ने मौके पर आकर निरीक्षण किया और वहां से लाइसेंसी राइफल बरामद की। इसके साथ ही एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया जिसके बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था। फिलहाल परिजनों ने एसआईटी जांच सहित 50 लाख रूपए के मुआवजे की भी मांग भी की थी।
जब हमने इस मामले पर गहराई से कवरेज किया और परिजनों व अन्य लोगों से जानने की कोशिश की तो यह बात सामने आई कि पिछले साल मार्च से मई के महीने तक मृतक मुकेश कुमार पाठक के पुत्र शिवम से नगदी व चेक के माध्यम से छत्रपाल यादव 60 लाख रुपये डरा धमका कर ले चुका था। साथ ही उसकी पिटाई भी की गयी थी लेकिन शिवम ने दहशत के कारण किसी को कुछ नहीं बताया था।
इसके बाद दिसंबर महीने में भी शिवम की पिटाई की गयी थी जिसके बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस के पास शिकायत भी दर्ज कराइ थी, लेकिन उसके बावजूद तब भी पुलिस ने उनकी नहीं सुनी। इसके बाद इस मामले की शिकायत उन्होंने एसपी से की और एसपी द्वारा मामले की जांच सदर क्षेत्रीय अधिकारी कालू सिंह को दी गई थी। कालू सिंह की जांच के बाद कबरई ब्लाक प्रमुख सहित पांच लोगों के विरुद्ध 8 फरवरी को मुकदमा दर्ज किया गया लेकिन वह इतना सदमे में थे कि मुकदमा दर्ज होने के 5 दिन बाद ही उन्होंने खुदकुशी कर ली।
9 मार्च को आत्महत्या करने वाले मृतक अधिवक्ता मुकेश पाठक के मुख्य आरोपी चौधरी छत्रपाल यादव की चल-अचल संपत्ति को प्रशासन ने कुर्क / जप्त करने की कार्यवाही कर नोटिस दी। इसके साथ ही महोबा में आरोपी के पारिवारिक सम्बन्धी मसलन पत्नी,सास आदि के नाम से करोड़ो की संपति को चिन्हित कर ज़प्त करना भी शुरू कर दिया गया है।
महोबा के पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन पर तथा अपर पुलिस अधीक्षक आर के गौतम व नगर क्षेत्राधिकारी रामप्रवेश राय के निकट पर्यवेक्षण मे वांछित शातिर अभियुक्तों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही के तहत धरपकड़ अभियान में 15.02.2021 को प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली नगर महोबा अनूप कुमार दुबे के नेतृत्व में गठित टीम के द्वारा थाना स्थानीय पर पंजीकृत मु.अ.सं. 65/21 धारा-306 भादवि से सम्बन्धित आनन्द मोहन यादव, रवि, मनीष चौबे, अंकित सोनी, अभय प्रताप सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इसके साथ ही दिनांक 14.02.2021 को छत्रपाल यादव, विक्रम यादव को भी गिरफ्तार किया गया था।
अब सवाल यह उठता है कि जिस तरह से यह घटना इतने लंबे समय से चल रही थी और पुलिस में बराबर शिकायतें की जा रही थी तो आखिरकार पुलिस ने क्यों इस मामले पर कार्यवाही नहीं की? क्यों पुलिस अधिवक्ता की मौत का इंतजार करती रही? क्या अब इस मौत का जिम्मेदार पुलिस अपने आपको मानती है? जिस तरह यह घटना पुलिस की लापरवाही से हुई है वैसे ही आए दिन पुलिस की लापरवाही के कारण ही इस प्रकार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और आरोपियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं, जैसा कि इस मामले में हुआ अगर पुलिस इस मामले में कुछ कार्यवाही कर देती तो शायद आज यह नौबत नहीं आती।
तो यह थी आज की मेरी जासूसी भरी कहानी अगली बार फिर मिलूंगी किसी नए मुद्दे के साथ तब तक के लिए बने रहिए इस पूरे वीडियो को देखने के लिए मेरे साथ जासूसी और अनलिस्ट पर। और हां दोस्तों अगर आपने हमारा चैनल अब तक सब्सक्राइब नहीं किया तो जल्दी सब्सक्राइब करें, लाइक करें और कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट जरूर करें ताकि मेरा हर शो आप तक पहुंच सके। तब तक के लिए दीजिए इजाजत नमस्कार।