मुजफ्फरनगर के पुरबलियां गांव में लगभग एक महीने पहले एक क्रिकेट मैच के बाद भड़के सांप्रदायिक विवाद के केस में तीन लोगों के खिलाफ एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। इनमें से एक शख्स 65 साल का है।
समुदाय के लोगों ने पुलिस के खिलाफ एकतरफा ऐक्शन लेने का आरोप लगाया है। बता दें कि मामला 21 अगस्त का है जब दो समुदायों के लड़कों के बीच झगड़े से कई दिन तक तनाव बना रहा।
गांव के पूर्व प्रधान शाकर अली ने कहा, ‘वह बच्चों के बीच एक छोटा सा झगड़ा था जिनमें थोड़ी बातें सांप्रदायिक थीं लेकिन उसे बढ़ा-चढ़ाकर सांप्रदायिक झगड़ा दिखा दिया गया ताकि अल्पसंख्यक परिवारों से बदला लिया जा सके। बहुसंख्यक समुदाय से किसी पर भी ऐक्शन नहीं लिया गया।’ झगड़े में लिप्त लड़कों में से एक के पिता सुमित पाल ने 22 अगस्त को 20 अज्ञात लोगों समेत करीब 32 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जिनमें से 12 अल्पसंख्यक समुदाय के थे।
इसके बाद 24 अगस्त को आबिद अहमद नाम के शख्स को दो नकाबपोश लोगों ने पीट दिया। बाद में अल्पसंख्यक सुमदाय के 26 लोगों के खिलाफ दो समुदायों के बीच शत्रुता बढ़ाने के आरोप में सेक्शन 153A के तहत केस दर्ज किया गया। आबिद शमशेर अहमद के लिए काम करते थे। शमशेर के भाई वसीम चौधरी ने राइट-विंग समूहों पर आरोप लगाया जबकि राइट-विंग ने 22 अगस्त की एफआईआर के चलते यह सब कराया जा रहा है।
एफआईआर के आधार पर 38 लोगों और 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं जिनमें से 28 जेल में हैं। शमशेर, महबूब अहमद और आफताब के ऊपर एनएसए लगाया गया है।
शमशेर के भाई मोहसिन ने बताया कि पुलिस को शमशेर को गिरफ्तार किया जिसकी कथित साजिश में कोई भूमिका नहीं थी। जब उसका भतीजा महबूब, जो उस वक्त गांव में भी नहीं था, शमशेर को ढूंढने पुलिस स्टेशन गया तो उसे भी धर लिया गया। आबिद को उसका बयान बदलने पर मजबूर किया गया और जब वह नहीं माना तो उसका नाम भी एफआईआर में डाल दिया गया।