पैसे की कमी के कारण वह खुद कम पढ़ाई कर पाए और इस बात का अफसोस विनोद कुमार पुरवार को आज तक है। इसके बाद उन्होंने ठाना कि उनके आस-पास या किसी और बच्चे का सपना अधूरा न रह जाए। उन्होंने यह निश्चय लिया कि वह निःशुल्क कोचिंग सेंटर खोलेंगे। उन्होंने अपना ये सपना पूरा भी किया और कोचिंग सेंटर भी खोला। आज उनके कोचिंग में लगभग 80 बच्चे पढ़ रहे हैं।
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