बुंदेलखंड में पलाश के पेड़ को ‘छिउल’ के नाम से जाना जाता है। ग्रामीण इससे रस्सी बनाते हैं जो उनके रोज़गार का ज़रिया है। बता दें, इसके पत्तों का इस्तेमाल दोना-पत्तल बनाने के लिए भी किया जाता है।
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