टीकमगढ़ जिले में ग्राम पंचायत गणेशगंज के रहने वाले एक ऐसे युवा से मिलाते हैं जिनका नाम राजेंद्र जोकि मशरूम की खेती की किये है।
राजेंद्र अहिरवार ने बताया है कि उन्होंने एमए तक पढ़ाई की है और जॉब करने के लिए बहुत प्रयास किया लेकिन उन्हें कोई जॉब नहीं मिली। फिर विचार आया कि कुछ अलग खेती कर कमाई करें। उनका कहना है कि उन्होने कृषि विभाग के सहयोग से एक ट्रेनिंग लेकर फिर मशरूम की खेती करना शुरू किया। मशरूम की खेती करने में पूरे 2 माह लगते हैं और खाने में उपयोग होता है और इसमें पोषक आहार भी होता है। स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है।
ये भी देखें : महोबा : ग्रामीण क्षेत्रों में भी लुप्त हो रही हल-बैल द्वारा की जाने वाली खेती
राजेन्द्र ने खेती अक्टूबर में शुरू की थी जिसमें से अब थोड़ा-थोड़ा बेचना भी शुरू कर दिया है। एक 2 किलो मशरूम 2 दिन में निकल आते हैं। लगभग अभी तक ₹5000 का मशरूम बिक चुका है। इसको बेचने में कोई दिक्कत नहीं रहती है आर्डर आ जाते हैं तो हम उन्हें के घर पर और ढाई सौ रुपए किलो बिना डिलेवरी चार्ज लिए भिजवा दिया जाता है। इसका बीज ग्वालियर से मंगवाया था। इंदौर में भी मिल जाता है लगभग 20 किलो आ चुका है और अभी कुछ आने वाला है। ₹120 किलो मिलता है। राजेंद्र का कहना है कि हमने इसलिए खेती की है मशरूम की कि इसमें लागत कम रहती है और मुनाफा अच्छा मिलता है और बेचने में भी कोई समस्या नहीं आती है।
हमारी पूरी इसमें ₹30000 की लागत लगी है और कम जगह में हो जाती है इसलिए हम सभी युवाओं से कहना चाहते हैं कि जो युवा पढ़े लिखे हैं और बेरोजगार हैं वह अपने जीवन यापन करने के लिए ऐसे ही कुछ अलग अलग प्रकार की खेती करें जिससे जीवन यापन हो सके और देश में बेरोजगारी कम हो।
ये भी देखें : पन्ना : किसानों में छाई खुशहाली मूंगफली की तोड़ाई जोरों पर
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)