जिला चित्रकूट ब्लाक मानिकपुर के गांव रामपुरिया में कोटा सरैयां गाँव में बटता है जो कि बीस किलो मीटर है। वहां तक जाने के लिए कोई वाहन भी नहीं चलता है, लोगों को या तो खुद की किराय की गाडी करके या फिर पैदल राशन लेने जाना पड़ता है। कभी कभी गाँव के लोग पैसा इकठ्ठा करके टैक्टर बुक करते है तब गल्ला लाते हैं, उनका कहना है कि जितने का गल्ला नहीं होता उससे ज़्यादा तो किराय भाड़े में उनके पैसे लग जाते हैं।
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यह लोग पूरे दिन की मज़दूरी छोड़ कर गल्ला लेने जाते हैं जिससे इनका बहुत नुकसान हो जाता है। गाँव वालों ने बताया कि पिछले तीन सालों से इनके गाँव में कोटा बंद है और प्रशासन कोई कार्यवाई भी नहीं कर रहा इस मामले को लेकर के। गाँव के बुज़ुर्गों ने बताया कि उनके अंदर अब इतनी ताकत नहीं है कि वो इतनी दूर पैदल चलके जाएँ, लेकिन मजबूरी में जाना पड़ता है क्यूंकि अगर नहीं जाएंगे तो खाएंगे क्या? इस गाँव के लोग छाते हैं कि कोटा वापस से इनके गाँव में आ जाये ताकी ये जो भी परेशानियां उठा रहे हैं वो ख़तम हो जाए।
सरैयां गाँव के कोटेदार राजकरन का कहना है कि रामपुरिया के कोटेदार निलंबित हैं जिसके कारण उन्हें उस गाँव का चार्ज मिला है। वो दो गाँव का कोटा बांटते हैं और इस बात का ध्यान रखते हैं कि पहले रामपुरिया गाँव के लोगों को कोटा मिले। मानिकपुर उप जिलाधिकारी संगमलाल गुप्ता का कहना है कि रामपुरिया गाँव का निलंबित चल रहा है, जिसके चलते उन्हें दुसरे गाँव जाना पड़ता है। और अब तो ऑनलाइन आवेदन करके वो किसी भी गाँव से कोटा ले सकते हैं, इसलिए वो चाहें तो किसी भी आसपास के गाँव में जाकर गल्ला ले लें।