खबर लहरिया चित्रकूट सरकारी योजना से वंचित है ग्रामीण

सरकारी योजना से वंचित है ग्रामीण

जिला चित्रकूट, ब्लॉक मनिकापुर, ग्राम पंचायत ददरी माफ़ी, गाँव घाटा कोलान में अभी तक किसी भी प्रकार का विकास नहीं हुआ है। विकास के नाम पर 500 की आबादी में एक हैंडपंप है। जिससे पानी की समस्या खत्म नहीं होती क्योंकि वह एक हैंडपंप भी आये दिन खराब होता रहता है।

गांव में विद्यालय भी नहीं है जिससे की बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं। ना ही शौचालय है। वह चाहते हैं कि उनके गांव में भी विद्यालय और शौचालय हो। जब गांव में मज़दूरी नहीं मिलती तो वह लकड़ी काटकर बेचते हैं। लेकिन अब लकड़ी लाने और बेचने में भी दिक्कत है क्योंकि कोरोना में ट्रेनें बन्द हैं। वह 10 किलोमीटर का सफ़र तय करते हैं तब जाकर दो सौ या तीन सौ रुपये कमा पाते हैं। उसी में घर का राशन और परिवार का पालन-पोषण होता है।

पहले जब ट्रेनें चलती थीं तो वह मऊ ब्लॉक से अलग-अलग जगहों पर जाकर लकड़ियां बेचते थें। वह बताते हैं कि वह सुबह के 3 बजे निकलते थे और शाम को घर पहुंचते थें। “वह लोग 2 दिन जंगल में रहते और एक दिन सफ़र में लगता तब जाकर उनके घरों का चूल्हा जलता।”

वह कहतें हैं कि वह इतने गरीब हैं कि न तो कोई उनकी सुनता है और न ही कोई सुनवाई होती है। सचिव से कहो तो वह कहते हैं, ‘हां हां, विकास की बहुत ज़रूरत है। मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करूंगा। आवास और शौचालय के लिए लिस्ट भेज दी गयी है पर काम नहीं हो रहा। पानी के लिए एक हैंडपंप लगवाया दिया है। जहां तक बात रही स्कूल की तो राजस्व विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे।’ लेकिन सवाल है कब? कब होगा विकास?

जिला पंचायत चुनाव जीतीं मीरा भारती से खबर लहरिया ने बात की। वह कहती हैं कि जो भी छोटी-मोटी समस्याएं हैं वह उस पर कार्यवाही करेंगी।

गाँव घाटा कोलान के सचिव का कहना है कि वहां पर 15 आवास और कुछ शौचालय भी दिए गए हैं। पानी की समस्या थी मगर एक हैंडपंप लगवा दिया गया है। स्कूल के लिए राजस्व विभाग ज़मीन देगी तो वह बनवा देंगें। नई वेबसाइट खोलेंगे तो लोगों को आवास भी दिए जाएंगे और शौचालय भी दिया जाएगा।

अगर गांव में शौचालय दिए गए हैं तो वह कहां है? दिख क्यों नहीं रहे? 500 की आबादी में एक हैंडपंप क्या प्यास बुझाने और पानी की समस्या खत्म करने के लिए काफी है? ये सिर्फ अधिकारियों की खोखली बातें हैं। अगर सच में अधिकारी कुछ कर रहें होते तो शायद समस्या कुछ हद तक कम हो चुकी होतीं।

 

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