खबर लहरिया Blog “वास्को डी गामा ने नहीं की भारत की खोज, गलत लिखा गया है इतिहास – एमपी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार

“वास्को डी गामा ने नहीं की भारत की खोज, गलत लिखा गया है इतिहास – एमपी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार

एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि इतिहासकारों ने गलत इतिहास लिखा है। उन्होंने कहा, “अगर किसी को लिखना ही था, तो उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए था कि भारत के महान नाविक वासुलुन 8वीं सदी में वहां पहुंचे और सैन डिएगो में कई मंदिर बनवाए। ये तथ्य वहां के एक संग्रहालय में दर्ज हैं और वहां की लाइब्रेरी में भी हैं। यह स्वीकार किया जाना चाहिए था कि अमेरिका की खोज हमारे पूर्वजों ने की थी, कोलंबस ने नहीं”।

"Vasco da Gama did not discover India, history has been written wrong sadi MP Education Minister Inder Singh Parmar

                                 एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की तस्वीर ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)

एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा, अमेरिका और भारत की खोज के इतिहास को गलत पढ़ाया जा रहा है। “अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलंबस ने नहीं की बल्कि एक भारतीय नाविक वसुलुन ने की थी।” इसके साथ ही वास्को डी गामा को भारतीय व्यापारी की मदद से भारत देश का पता चला। इसकी खोज हमारे पूर्वजों ने की थी। वे इतिहास के पाठ्यक्रम से इन विषयों को हटाने की योजना बना रहे हैं।

यह भाषण मंगलवार 10 सितम्बर को उन्होंने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (Barkatullah University Bhopal) के दीक्षांत समारोह में दिया। इस भाषण के बाद सवाल उठने लगे कि एक शिक्षा मंत्री होकर इस तरह का बयान गलत सूचना देना है।

जैसा की इतिहास की किताबों में दर्ज है कि, वास्को डी गामा ने साल 1498 में भारत की खोज की थी और समुद्री मार्ग से व्यापार के लिए भारत आए थे। यहां आने के बाद उन्होंने ही बताया कि भारत जैसा कोई देश है। इस इतिहास को एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री ने झूठ कहते हुए कि,”वास्को डी गामा ने उल्लेख किया था कि चंदन नामक एक व्यापारी उनके आगे उसी मार्ग पर नौकायन कर रहा था। चंदन ने भारत की खोज की थी, न कि वास्को डी गामा ने। हमारे छात्रों को गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है।”

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कोलंबस की अमेरिका की खोज को कहा झूठ

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने ये भी तर्क दिया कि, “भारत में अनावश्यक रूप से यह झूठ पढ़ाया गया कि कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी। एक और झूठ जो उन्हें भारत में नहीं पढ़ाना चाहिए था, वह यह है कि कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी। भारत में छात्रों को इससे कोई लेना-देना नहीं है (यह जानना कि अमेरिका की खोज किसने की)। अगर आपने यह पढ़ाया, तो यह इस बारे में होना चाहिए था कि कोलंबस के अमेरिका जाने के बाद, उसके लोगों ने वहां के मूल निवासियों पर कैसे अत्याचार किए और उन्हें नष्ट करने की कोशिश की, क्योंकि मूल निवासी प्रकृति की पूजा करते थे, वे सूर्य की पूजा करते थे। जिस तरह से उन्हें मारा गया और उनके विचारों को बदल दिया गया। लेकिन भारत में छात्रों को यह नहीं पढ़ाया गया, बल्कि उन्हें बताया गया कि कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी।”

उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने गलत इतिहास लिखा है। उन्होंने कहा, “अगर किसी को लिखना ही था, तो उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए था कि भारत के महान नाविक वासुलुन 8वीं सदी में वहां पहुंचे और सैन डिएगो में कई मंदिर बनवाए। ये तथ्य वहां के एक संग्रहालय में दर्ज हैं और वहां की लाइब्रेरी में भी हैं। यह स्वीकार किया जाना चाहिए था कि अमेरिका की खोज हमारे पूर्वजों ने की थी, कोलंबस ने नहीं”।

नई शिक्षा नीति में नए तरह से शोध की आवश्यकता

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि, मौजूदा सरकार में केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत विद्वानों और विशेषज्ञों को नए तरह से शोध (खोज) करने की आवश्यकता है। इतिहास में पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रमों में लिखे गए जो भी संदेह लगने वाले तथ्य हैं उन पर काम करना चाहिए और उन्हें अलग करना चाहिए।

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