खबर लहरिया Blog कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा उपेक्षा की शिकार

कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा उपेक्षा की शिकार

मुंशी प्रेमचन्द जिनकी कहानियों से लोग प्रेरणा लेते हैं लेकिन आज उनकी मूर्ति को कोई महत्व नहीं दे रहा है। जो बहुत ही निंदनीय है।

वाराणसी जिले के नगर क्षेत्र पांडेपुर चौराहे पर बने मुंशी प्रेम जी की प्रतिमा पर बरसात का गन्दा पानी गिर रहा है। सफ़ेद रंग में रंगी मूर्ति काली पड़ गई है। जिम्मेदार लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहें हैं।

कौन थे मुंशी प्रेमचंद?

31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास एक छोटे से गाँव लमही में प्रेमचंद का जनम हुआ था जिनका मूल नाम धनपत राय था। कलम के जादूगर मुंशी जी ने अपने जीवनकाल में अनेक उपन्यास जैसे गबन, बाज़ार-ए-हुस्न, सेवा सदन, गोदान, प्रेमाश्रम, वरदान इत्यादि उपन्यासों की रचना की जो की कहानियों के माध्यम से गांव के सहज जीवन और विशेषकर ग्रामीण किसान वर्ग के जीवन से परिचय कराती है। उन्होंने समाजसुधार, देशप्रेम, स्वाधीनता संग्राम आदि से संबंधित कहानियाँ लिखी हैं। उनकी सबसे प्रमुख कृतियों में से एक है गोदान जो की उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में लिखी थी जिसको आज भी सरहाया जाता है।

ऐसे थे मुंशी प्रेमचंद

स्थानीय निवासी विजय कुमार का कहना है कि मुंशी प्रेम चंद की प्रतिमा पर गिर रहे पानी को आते जाते लोग देखते हैं लेकिन अनदेखा कर दे रहे हैं। एक समय की बात थी जब वह काशी में लेखक थे। उनकी लेखनी बनारस में हिन् नहीं दुनिया में विश्व प्रसिद्ध है। वह ऐसे लेखक थे की किसी भी व्यक्ति को देखकर उसके मन की व्यथा समझ जाते थे। जब ऐसे महान लेखकों को लोग ऐसे नजरअंदाज कर रहे हैं तो आम जनता का क्या ध्यान देंगे।

सुमन का कहना है कि वाराणसी में कई लोगों की प्रतिमा बनी हुई है। जब उनकी जयंती आती है तो वहां पर तो साफ सफाई हो जाती है लेकिन मुंशी प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई को बीत चुकी है फिर भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया। मुंशी प्रेमचंद के पुस्तैनी मकान से 4 किलोमीटर की दूरी पर यह मूर्ति बनी है लेकिन उसके बावजूद भी उनकी प्रतिमा पर पानी गंदा गिर रहा है और कोई देखने नहीं आया। ऐसा लगता है कि अब मुंशी प्रेमचंद जी का कोई किसी से नाता ही नहीं है।

राजेश का कहना है कि जिस तरह देखा जाए तो मुंशी प्रेमचंद ने कई किताबें ऐसी लिखी थी कि उनके पढ़ने के बाद एक अलग सा अनुभव होता था। गुल्ली डंडा पर कई कहानियां लिखी, चिड़िया के घोसले पर और पक्षियों पर भी कई कहानियां लिखी। अगर कोई बच्चा खेल रहा है तो उस पर भी कहानियां र लिख देते थे। ऐसे लेखक थे मुंशी प्रेमचंद। हर बार जयंती तो मनाई जाती थी लेकिन आज लोग इतना अनदेखा कर दे रहे हैं कि उनकी प्रतिमा पर लगातार गंदा पानी गिर रहा है कोई देखने वाला भी नहीं है।

संज्ञान में नहीं था मामला- अधिकारी

सुधीर कुमार सहायक अधिकारी पीडब्ल्यूडी विभाग वाराणसी से जब इस पर बात की गई तो उनका कहना था मामला संज्ञान में नहीं था जल्द ही जाँच करके व्यवस्था की जाएगी।

इस खबर की रिपोर्टिंग सुशीला देवी ने किया है।

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