सारनाथ में पहले दुकानों पर हजारों की भीड़ रहती थी और लोग खूब खरीदारी करते थे। अब उन्हीं दुकानों पर सन्नाटा छाया हुआ है। छाही ग्राम सभा के मुन्ना का कहना ने बताया कि मैं यहां पिछले 8-10 सालों से दुकान लगा रहा हूं।
रिपोर्ट – सुशीला, लेखन – कुमकुम
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित सारनाथ एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जो बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थ है। माना जाता है कि यहीं पर भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया था। यही कारण है कि यह स्थल न केवल भारत से बल्कि दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है।
यहां धम्मेक स्तूप, अशोक स्तंभ, मूलगंध कुटी विहार और सारनाथ संग्रहालय जैसी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की अनेक जगहें हैं। आम दिनों में सारनाथ पर्यटकों से गुलजार रहता है। दुकानों और स्थानीय बाजारों में चहल-पहल रहती है। खासकर विदेशी पर्यटकों के कारण स्थानीय दुकानदारों को अच्छी आमदनी हो जाती है।
लेकिन इस समय उत्तर भारत में पड़ रही भीषण गर्मी 41-43 डिग्री सेल्सियस तापमान ने सारनाथ की रौनक पूरी तरह से छीन ली है। सुबह और शाम को थोड़ी बहुत हलचल दिखती है लेकिन दिन के समय यहां लगभग सन्नाटा पसरा होता है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि पर्यटक नहीं आ रहे हैं जिससे बिक्री बिल्कुल ठप हो गई है।
गर्मी ने छीन ली सारनाथ की रौनक
सारनाथ में पहले दुकानों पर हजारों की भीड़ रहती थी और लोग खूब खरीदारी करते थे। अब उन्हीं दुकानों पर सन्नाटा छाया हुआ है। छाही ग्राम सभा के मुन्ना का कहना ने बताया कि मैं यहां पिछले 8-10 सालों से दुकान लगा रहा हूं। पहले मेरे पिताजी दुकान लगाते थे छोटी गुमटी में। अब उनके ना रहने पर मैं देख रहा हूं लेकिन इस समय हालात बहुत खराब हैं।
अब न तो बिक्री हो रही है और न ही ग्राहक आ रहे हैं। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। पहले दो दिन में जितनी कमाई हो जाती थी अब उतनी कमाई हफ्ते भर में भी नहीं हो पा रही है। सुबह 7 बजे की धूप ऐसी लगती है जैसे 11 बजे हो गया हो और शाम 5 बजे भी ऐसा लगता है जैसे दोपहर है। इसी वजह से लोग बाहर निकल ही नहीं रहे। जब तक पहले जैसी भीड़ और आवाजाही नहीं लौटेगी तब तक हालात ऐसे ही बने रहेंगे।
सामान बिक्री पर गर्मी का असर
वाराणसी जिले के छाही गांव की रहने वाली सुमन ने बताया कि अपने गांव से आकर यहां दुकान लगाते थे। पहले अच्छी बिक्री हो जाती थी क्योंकि बाहर से आने वाले पर्यटक कुछ न कुछ ज़रूर खरीदते थे। पिछले एक हफ्ते से बिक्री बिल्कुल ठप हो गई है। पहले तो इतनी भीड़ होती थी कि खाना खाने की भी फुर्सत नहीं मिलती थी। लगातार ग्राहक आते रहते थे। आज हालात ऐसे हैं कि 42 डिग्री तापमान में एक परिंदा तक नजर नहीं आता। सुबह 9 बजे तक और शाम 6 बजे के बाद थोड़ी बहुत भीड़ दिखती है लेकिन इतने समय में क्या ही बिक्री हो पाएगी। मेहनत-मजदूरी भी नहीं निकल रही है। ये ऐसा स्थल था जहां हमेशा पर्यटकों की भीड़ रहती थी घूमने, देखने और ऐतिहासिक चीजें खरीदने के लिए लेकिन अब हाल ये है कि कभी-कभी तो पूरे दिन में एक भी बिक्री नहीं होती है।
वही स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि सुबह 9 बजे तक और शाम 6 बजे के बाद ही थोड़े-बहुत लोग नजर आते हैं। गर्मी की वजह से दिन के समय बाजारों और स्थलों प सन्नाटा छा जाता है। कुछ दुकानदारों की तो दिनभर में दिन की पहली बिक्री भी नहीं हो पा रही है लेकिन उम्मीद है कि जुलाई से पर्यटक आने लगेंगे तो बिक्री शुरू हो जायेंगी।
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