पंचर बनाते हुए आपने पुरुषों को हर चौराहे पर देखा होगा लेकिन क्या किसी महिला को पंचर बनाते हुए देखा है? नहीं! देखोगे भी कैसे पंचर बनाना पुरुषों का काम जो माना जाता है। पर हम आपको ऐसी महिला जिनका नाम शकुंतला है उनसे मिलवाएंगे और जानेगे की उन्होंने पंचर बनाने की शुरुआत कैसे की।
ये भी देखें – नारी और नेतृत्व
शकुंतला वाराणसी जिले के भेलूपुर की रहने वाली हैं जिनकी उम्र लगभग 50 वर्ष है। शकुंतला देवी का कहना है कि काम की कोई उम्र नहीं होती जब इंसान चाहे कर सकता है। कोई हालात को देखकर करता है तो कोई खुशी से करता है। और ऐसे ही वह 4 साल मोटर साईकिल एयर साइकिल बनाने का काम कर रही हैं।
ये भी देखें – छतरपुर: मज़बूरी में शुरू किये रोज़गार से बनाई अलग पहचान
शकुंतला कहती हैं साईकिल बनाना मज़बूरी में ही शुरू किया लेकिन उन्हें यह काम बहुत पसंद है। और मरते डैम तक वह पंचर बनाने का काम करना चाहती है। वह कहती हैं शुरुआत में थोड़े कम लोग आते थे लेकिन अब दिनभर में 5 से 10 पंचर बना लेती हैं। और उसी से उनकी रोजी-रोटी चल रही है।
ये भी देखें – चित्रकूट: मुझे गर्व है कि मैं एक दलित महिला हैंडपंप मैकेनिक हूं
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’