उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज़िले में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते चारों ओर हड़कंप मच गया है। उत्तर प्रदेश के कई और ज़िलों की तरह यहाँ भी कोविड-19 के मरीज़ों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। यहाँ के अस्पतालों में न ही बेड हैं और मरीज़ ऑक्सिजन तक के लिए इधर उधर भटक रहे हैं।
अस्पतालों में नहीं मिल रही कोई भी सुविधा
कोरोना महामारी को मद्देनज़र रखते हुए वाराणसी में लगभग 19 जगहों को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है, परंतु उसके बावजूद मरीज़ों को भर्ती होने में दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं ऑक्सिजन सिलेंडरों की क़िल्लत आ रही है, तो कहीं दवाइयाँ तक खतम हो चुकी हैं।
ब्लॉक चिरईगाँव में उपकेंद्र के पास मौजूद स्मार्ट मेडीसिटी नाम के अस्पताल में 12 अप्रैल से 17 अप्रैल तक कोरोना वायरस से अब तक 5 मौतें हो चुकी हैं। हाल ही में कोरोना की चपेट में आए सुशील के परिजनों ने हमें बताया कि इस अस्पताल में कोई भी सुविधा नहीं है, न ही यहाँ कोई डॉक्टर आ रहा है और न ही ज़रूरत पड़ने पर कोई कर्मचारी आता है। उन्होंने बताया कि इस अस्पताल की फ़ीस भी एक दिन की 14 हज़ार रुपए है लेकिन सुविधा के नाम पर सब ठप्प पड़ा है। कई मौतें लोगों में ऑक्सिजन की कमी के कारण हो रही हैं लेकिन डॉक्टर ऑक्सिजन सिलेंडेर प्रदान करने में सहायता नहीं कर रहे हैं।
कोरोना जाँच की रिपोर्ट आने में भी लग रहा समय-
अस्पताल में मौजूद कई लोगों ने हमें यह भी बताया कि कोरोना की जाँच कराने के लिए अस्पताल में मौजूद लैब में लंबी लाइनें लगी हुई हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट देने में भी यह लोग बहुत समय लगा रहे हैं, ऐसे में जो लोग कोरोना पॉज़िटिव हैं, रिपोर्ट ना मिलने के कारण डॉक्टर उनका सही इलाज भी नहीं कर रहे हैं। आँकड़ों की मानें तो वाराणसी में लगभग 6 हज़ार से ज़्यादा कोरोना की रिपोर्ट्स अभी लटकी पड़ी हैं, इससे न ही सिर्फ़ मरीज़ों की जान जाने का ख़तरा बढ़ता जा रहा है बल्कि उनसे और लोगों के संक्रमित होने का ख़तरा भी बढ़ जाएगा।
बीएचयू अस्पताल में भी नहीं मिल रहा बेड-
बता दें कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के अस्पताल में भी कई मरीज़ों की सही इलाज ना मिलने के कारण मौत हो गयी है। गाँव रोहनिया की निवासी अनीता का कहना है कि वो अपने पिता को यहाँ लेकर आई थी लेकिन आइसीयू में बेड ना मिलने के कारण उसके पिता की मौत हो गई। उनकी उम्र 50 साल थी और उनकी उनकी कोविड की रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी थी। अनीता ने बताया कि उसके पिता को स्ट्रेचर तो मिल गया था लेकिन पूरा दिन वो स्ट्रेचर पर ही पड़े रहे, न ही बेड मिला और न ही ऑक्सिजन।
हर अस्पताल में है ऑक्सिजन की क़िल्लत-
स्मार्ट मेडीसिटी अस्पताल के डॉक्टर राहुल सिंह का कहना है कि पूरे शहर के अस्पतालों में अभी ऑक्सिजन की कमी है। 18 घंटे में एक ही ज़ोन में ऑक्सिजन मिलने की सुविधा है, ऐसे में हर अस्पताल चाह रहा है कि उन्हें ऑक्सिजन की सुविधा पहले मिल जाए। राहुल सिंह ने बताया कि वो अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सभी मरीज़ों को सारी सुविधाएँ मिलें।
सीएमो प्रभारी डॉक्टर एनपी सिंह का कहना है अस्पतालों में बेड की व्यवस्था कराई जा रही है। इस मुश्किल घड़ी में मरीज़ के परिजनों को चाहिए कि वो हौसला रखें और अगर मरीज़ का ऑक्सिजन स्तर गिरता दिखे तो तुरंत अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों को इसकी जानकारी दें।
जैसा कि हम जानते हैं कि देश के ज़्यादातर अस्पताल इस समय ऑक्सिजन की क़िल्लत से जूझ रहे हैं, इसके साथ ही कोरोना के बढ़ते केसेज़ के चलते अस्पताल में बेड मिलना भी मुश्किल हो रहा है। लेकिन ज़रूरी है कि हम ज़्यादा से ज़्यादा सावधानी बरतें और घर में रहें। अगर ज़रूरत पड़े तभी बाहर निकलें और मास्क लगाकर रहें, ताकि कोरोना के संक्रमण में जल्द से जल्द क़ाबू पाया जा सके।