एक हैंडपंप है जिससे महिलाएं पानी भरकर घर का कामकाज चलाती हैं। यहां पर जो टोटी बैठाई गई है वह जल कल योजना के तहत बैठाई गई है। सबसे ज्यादा पानी वहां की महिलाओं को ढोना पड़ता है। हर रोज 10 बाल्टी सुबह, 10 बाल्टी शाम को लाइन लगाकर पानी भरना पड़ता है। 47-46 डिग्री के तापमान में महिलाएं अपने शरीर को धूप में झुलसा कर पानी लेने जाती हैं क्योंकि पानी का स्तर कम हो गया है।
इस साल मौसम इतना गरमाया हुआ है कि इसका असर देश के अलग-अलग इलाकों में देखने को मिल रहा है। ग्रामीण इलाकों में बढ़ते तापमान से भूजल का स्तर भी कम हो रहा है। पानी धीरे-धीरे जमीन से खत्म होता जा रहा है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण कुछ महीने पहले देश के बेंगलुरु शहर में भारी जल संकट की घटना रही है। ग्रामीण इलाकों में भी हर साल पानी का स्तर और नीचे जा रहा है। तेज गर्मी पड़ने से कई गांव में हैंडपंप तक सुख जाते हैं और लोगों को दूर से पानी लाना पड़ता है। एक तो इतनी गर्मी ऊपर से इतनी तेज धूप फिर भी लोग पानी के लिए मजबूर होकर पानी के लिए दूर गांव जाते हैं। ऐसे ही परेशानियों का सामना उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के चोलापुर ब्लाक गांव चंद्रावती कर रहा है। यहां की आबादी लगभग 4000 से ज्यादा है। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत करने के बावजूद भी जल्दी समस्या का समाधान नहीं होता है।
भूजल का स्तर हो रहा कम
यहाँ के लोगों ने बताया कि जमीन का पानी 160 फीट नीचे जा चुका है जिससे पानी की बड़ी किल्ल्त हो रही है। गांव में 5 सरकारी हैंडपंप हैं जिनमें से 4 बिगड़े पड़े हैं और 1 सही है। लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। यहां नदियां और ऊंचाई वाला इलाका है तो जल की स्थिति थोड़ी ठीक होनी चाहिए लेकिन इन ऊंचे इलाके में पानी का लेवल घटता ही जा रहा है
संगीता का कहना है कि पहले 60 फीट पर बोरिंग करने से पानी आ जाता था अब वहां 160 फीट के नीचे पाइप डालकर बोरिंग करना पड़ता है। आज भी पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के चिरईगांव और पिंडरा ब्लाक चोलापुर हारा हुआ कीटक जून में आ चुके हैं। ऐसे कई गांव के ब्लॉक है जहां पर पानी की किल्लत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सरकार को सोचना चाहिए। सरकार ने योजना के नाम पर घर-घर सप्लाई के लिए पानी की टोटी तो लगवा दी लेकिन वह सिर्फ चुनाव के नाम पर।
गांव के लोगों ने प्रधान से की थी बात
माधुरी का कहना है कि प्रधान से बात हुई थी पर अभी तक कुछ सुनवाई नहीं हुई है। गर्मी शुरू होने से पहले ही इस बात को रखा गया था लेकिन यह कहा जाता है कि हो जाएगा। चंद्रावती के गंगा घाट के किनारे जाकर के हम लोग नहा रहे हैं, कपड़े धो रहे हैं।
दिखावे के लिए कागजों में योजना का काम पूरा
यहां के लोगों ने बताया कि सुबह के समय पीने के लिए 400 मीटर दूरी पर जो मस्जिद है उसके पास से लाना पड़ रहा है। पानी तो जीवित रहने के लिए सबसे मूलभूत जरुरत है इंसान के लिए भी और जानवर के लिए भी। सरकार ने इस पर ध्यान तो दिया पर वह वोट के खातिर 2 साल पहले ‘हर घर जल योजना’ के तहत टोटी लगवा कर पर आज तक पानी चालू नहीं हुआ है। कागजों में काम को पूरा किया गया है लेकिन काशी की जनता आज भी पानी के लिए दर-दर भटक रही है और कोई व्यवस्थाएं भी नहीं है।
चंदा देकर बनवाते हैं हैंडपंप
राम जी का कहना है कि “अरे सब लोग तो सिर्फ दिखावे के लिए आते हैं फिर चले जाते हैं लेकिन अगर झोपड़ी पट्टी में रहने वाले लोगों से पूछे कि पानी की क्या स्थिति है? या फिर एक दिन वहां पर रहकर देखें तब तो उन्हें पता चले। कई बार हम लोगों ने चंदा इकठ्ठा करके 50-100 रुपए देकर बनवाया था और उसके बाद से फिर बिगड़ पड़ा है। 2 महीने से यह हैंडपंप लगातार बिगड़ता-बनता रहता है अपने पास इतना बजट नहीं है कि हम लोग घर-घर हैंडपंप लगवाएं।”
46-47 डिग्री तापमान में पानी के लिए तपती महिलाएं
निर्मला का कहना है कि एक हैंडपंप है जिससे लोग पानी भरकर घर का कामकाज चलाती हैं। यहां पर जो टोटी बैठाई गई है वह जल कल योजना के तहत बैठाई गई है। सबसे ज्यादा पानी वहां की महिलाओं को ढोना पड़ता है। हर रोज 10 बाल्टी सुबह, 10 बाल्टी शाम को लाइन लगाकर पानी भरना पड़ता है। 47-46 डिग्री के तापमान में महिलाएं अपने शरीर को धूप में झुलसा कर पानी लेने जाती हैं क्योंकि पानी का स्तर कम हो गया है। तापमान बढ़ने से वाटर लेवल नीचे चला जाता है और उससे स्वास्थ्य पर काफी असर भी पड़ता है। दूर से पानी लेन में महिलाएं थक जाती हैं और इतनी गर्मी में ठंडा पानी भी नसीब नहीं होता है।
प्रधान का कहना
प्रधान पार्वती का कहना है कि “इस गांव में जो भी हैंडपंप बिगड़ा हुआ है उसको मैंने कार्य योजना में डाल दिया है। एक महीने पहले ही हैंडपंप बनवाया था। फिर से खराब होने पर वहां के लोगों ने मुझे सूचित ही नहीं किया। अगर सूचना मिली है तो मैं यह हैंडपंप को जल से जल्द बनवा दूंगा और नई बोरिंग का काम करवाया जाएगा।”
मोलनापुर के जलकल विभाग के ऑपरेटर आशु का कहना है कि “दो गांव में सप्लाई पानी का टोटी तो लगा है लेकिन पानी पहुंचता ही नहीं है इसलिए लोगों में बात विचार चल रही है कि अभी भी इस परियोजना के तहत उन दोनों गांव में टंकी लगाने की बात की थी लेकिन कब तक इसका काम होगा इस पर नहीं कहा जा सकता।”
रिपोर्ट – सुशीला
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’