खबर लहरिया Hindi वाराणसी: बाढ़ ने बढ़ाए सब्जियों के दाम ,नून रोटी खाने को मजबूर गरीब

वाराणसी: बाढ़ ने बढ़ाए सब्जियों के दाम ,नून रोटी खाने को मजबूर गरीब

संतोष बताते हैं, “बारिश के मौसम में वैसे भी कमाई नहीं होती, ऊपर से जब सब्जियां इतनी महंगी हो जाएं तो घर चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है।”

बाजार में बिकती सब्जियों की तस्वीर (फोटो साभार: सुशीला)

रिपोर्ट – सुशीला 

उत्तर प्रदेश में कई दिनों से लगातार बारिश के कारण नदियाँ उफान पर हैं। इसकी वजह से राज्य के 13 जिलों में बाढ़ आ गई है। यूपी में गंगा, यमुना और बेतवा जैसी प्रमुख नदियाँ कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। यूपी में मुख्य रूप से 13 जिले बाढ़ का सामना कर रहे हैं, जिनमें प्रयागराज, जालौन, औरैया, मिर्ज़ापुर, वाराणसी, बांदा, इटावा, फ़तेहपुर, कानपुर शहर और चित्रकूट शामिल हैं।

इस बाढ़ ने लोगों के घरों, खेतों में पानी भर दिया और कई लोगों को बेघर कर दिया। बाढ़ ने कई मुख्य मार्ग प्रभावित किए हैं जिसकी वजह से कई गांव से संपर्क टूट गया है। वाराणसी के चौबेपुर, पैगंबरपुर, रामचंदीपुर और रुस्तमपुर जैसे गांव में सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। खेतों में पानी भर गया है और सब्जियों की फसलें पूरी तरह से सड़ गई जिसके चलते मिर्ची और टमाटर ही नहीं, बल्कि लगभग सभी सब्जियों के दाम अचानक दो गुना बढ़ गए हैं। सब्जी के दाम बढ़ने से सबसे अधिक असर आम जनता पर पड़ा है। पहले कभी तेल, कभी प्याज और कभी लहसुन के बढ़े दामों ने लोगों को परेशान किया, अब बाढ़ की वजह से सब्जियों की बढ़ती कीमतें लोगों की चिंता का कारण बन गई हैं। गरीब लोग नमक रोटी खा कर गुजारा कर रहें हैं।

 

बैंगन की फसल का बाढ़ से नुकसान (फोटो साभार: खबर लहरिया)

वाराणसी के गांव में सब्जियों के दाम में बदलाव

  • नेनुआ – पहले 20 रुपए प्रति किलो था, लेकिन अब 70 रुपए प्रति किलो हो गया है।
  • मिर्च – 30 प्रति किलो थी, अब 40 से 50 रुपए प्रति पाव (160–200 रुपए प्रति किलो) हो गई है।
  • मूली – पहले 20 रुपए किलो थी, लेकिन अब 60 रुपए किलो बिक रही है।
  • फूलगोभी – पहले 10 रुपए की एक फूल गोभी मिलती थी अब एक फूल 40 से 50 रुपए में मिल रही है।
  • भिंडी – 20 रुपए प्रति किलो थी, अब 50 से 60 रुपए प्रति किलो हो गई है।
  • बैंगन – पहले 30 रुपए प्रति किलो था, लेकिन अब 50 रुपए प्रति किलो हो गया है।

स्थानीय ग्रामीण सविता देवी का कहना है कि जब शुरुआत में बारिश हुई थी, तब सब्जियों के दाम सामान्य थे। उदाहरण के लिए, उस समय मिर्च 40 रुपए प्रति किलो मिल रही थी, लेकिन अब बाढ़ आने के बाद दाम लगभग दोगुने हो गए हैं।

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सब्जियों के दाम बढ़ने का कारण

चांदपुर निवासी सविता बताती हैं कि बाढ़ के कारण खेतों में पानी भर गया है, जिससे सब्जियों की कटाई और सप्लाई बंद हो गई है। जब खेतों से सब्जियां निकल नहीं पा रही हैं, तो स्वाभाविक है कि यह बाजार तक नहीं पहुँच पा रहे हैं और इसी कारण सब्जी के दाम बढ़ गए हैं।

चांदपुर निवासी रिशु का कहना है कि “इस बार सबके खेतों को भारी नुकसान हुआ है। जिन जगहों पर पानी की कमी है, वहीं कुछ स्थानों पर थोड़ी-बहुत सब्जियां उग रही हैं और वही मार्केट तक पहुंच रही हैं। अब इसमें कोई कुछ कर भी नहीं सकता। जिन किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं, शायद उन्हें कुछ मुआवज़ा मिल पाए, लेकिन असली मार तो आम लोगों को ही झेलनी पड़ रही है।”

अगर हरी सब्जियां नहीं मिलेंगी, तो इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा। लोग मजबूरी में कम मात्रा में महंगी सब्जियां खरीदेंगे, लेकिन उन्हें किसी तरह की राहत नहीं है। स्थानीय किसान और दुकानदारों का कहना है कि यदि बाढ़ का पानी जल्द नहीं निकला, तो आने वाले दिनों में सब्जियों की कीमतें और भी अधिक बढ़ सकती हैं, जिससे ग्रामीणों और शहर में सब्जियों के खरीदारों दोनों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

बारिश में आय पर असर

संतोष का कहना है कि बारिश के कारण आमदनी पहले ही कम हो गई है और ऊपर से सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।
संतोष बताते हैं, “बारिश के मौसम में वैसे भी कमाई नहीं होती, ऊपर से जब सब्जियां इतनी महंगी हो जाएं तो घर चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। नौकरीपेशा वाले लोग किसी तरह अपना गुज़ारा कर लेते हैं, लेकिन जो छोटे स्तर पर परिवार चला रहे हैं – जैसे मज़दूर, ठेला चलाने वाले या खेतिहर लोग – उनके लिए तो ये समय बहुत भारी है।”

वे आगे कहते हैं, “जहां पहले हम 10 लोगों के परिवार के लिए एक किलो सब्जी लेते थे, अब आधा किलो लेना पड़ता है। अगर आधा किलो भी नहीं ले सकते, तो सिर्फ एक पाव (250 ग्राम) में काम चलाना पड़ता है। इससे पेट तो नहीं भरता, लेकिन जेब खाली हो जाती है।”
संतोष को अब इस बात की भी चिंता है कि दिल्ली और दूसरे बड़े शहरों में दिहाड़ी पर काम करने वाले और प्रवासी मजदूरों के लिए स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। “वहां तो हरी सब्जियां मिलनी बंद हो जाएंगी। लोगों को सिर्फ आलू खाकर गुज़ारा करना पड़ेगा।” उन्होंने बताया लाल आलू 25 से 30 रुपए प्रति किलो और सफेद आलू 20 से 24 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।

संतोष ने कहा कि “चाहे कोई भी मौसम हो, सबसे ज्यादा मार गरीबों पर ही पड़ती है। महंगाई उनके थाली से वही चीजें छीन लेती है जो उनके पोषण के लिए सबसे जरूरी होती हैं जैसे हरी सब्जियां, दाल, दूध।”

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सरकार द्वारा दिया गया भोजन (फोटो साभार: खबर लहरिया)

बाढ़ की वजह से लोगों का रहना-खाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में उनके पास कोई विकल्प नहीं होता वे मज़बूरी में जहां एक किलों सब्जी लेनी होती थी वहां पाओ भर (250 ग्राम) ही लेकर घर परिवार चलाते हैं। यूपी के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहां पानी इतना भर चुका है कि वह बस उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें प्रशासन से मदद मिलेगी और उनकी भोजन की समस्या तो हल होगी।

 

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