खबर लहरिया Hindi वाराणसी: किसानों का भूमि अधिग्रहण और महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

वाराणसी: किसानों का भूमि अधिग्रहण और महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

आज 1 सितम्बर 2025 को वाराणसी जिले के शास्त्री घाट पर सैकड़ों किसानों और मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मजदूर मोर्चा उत्तर प्रदेश पिंडरा काशी द्वारा आयोजित किया गया। इसमें प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता, मुआवज़ा और बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण को लेकर थीं।

रिपोर्ट – सुशीला, लेखन – सुचित्रा 

प्रदर्शनकारियों का आरोप

वाराणसी जिला के पिंडरा तहसील क्षेत्र के परगना कोलअसला में कशीद्वार भूमि विकास गृह स्थान एवं बाजार योजना के नाम स्थल बाजार योजना और लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा विस्तार परियोजना के लिए किसानों की ज़मीनें बिना मुआवज़ा दिए ली जा रही हैं। स्थानीय किसानों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है, जिससे उनके जीवन पर सीधा असर पड़ रहा है।

किसानों ने यह भी कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है, जब उत्तर प्रदेश में भूमि विकास योजनाओं के नाम पर किसान अपनी ज़मीनें खो रहे हैं। इससे पहले भी कई बार किसानों ने इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

महंगाई का मुद्दा

प्रदर्शन में महंगाई को लेकर भी आवाज उठाई गई। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आम आदमी की कमर महंगाई ने तोड़ दी है। “सरकार हर वस्तु पर टैक्स लगा रही है, यहाँ तक कि 1 रुपए की वस्तु पर भी कर लगाया जा रहा है। आम जनता इस महंगाई में कैसे जी पाएगी?”

मांग पूरी नहीं तो, प्रदर्शन होगा तेज

संयुक्त किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं ने चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा “यदि किसानों की ज़मीन बचाने के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए और महंगाई पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।”

चुनाव आयोग से सवाल

उत्तर प्रदेश किसान सभा के नेता श्यामलाल सिंह ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) से गंभीर सवाल किए। उनका कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के दबाव में काम कर रहा है, जिससे लोकतंत्र की निष्पक्षता पर खतरा मंडरा रहा है।

उत्तर प्रदेश किसान सभा के नेता श्यामलाल सिंह की तस्वीर (फोटो साभार : सुशीला)

श्यामलाल सिंह ने आरोप लगाया कि आयोग द्वारा मतदाता सूची का निरीक्षण कराए जाने के आदेश के बाद करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए। उन्होंने कहा कि यह कदम विपक्षी दलों विशेष रूप से इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) को चुनावी नुकसान पहुंचाने की एक साज़िश का हिस्सा हो सकता है।

वोटर अधिकार यात्रा पर बातचीत

इस प्रदर्शन में इंडिया गठबंधन द्वारा 17 अगस्त 2025 को बिहार में एक विशाल पदयात्रा का भी समर्थन किया गया। इन कार्यक्रमों में लाखों मतदाता भाग ले रहे हैं और इंडिया गठबंधन के वरिष्ठ नेता भी सक्रिय रूप से कार्यक्रमों में भागीदारी कर रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से सासाराम का उल्लेख किया, जहाँ बड़ी संख्या में लोग इस जन आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं।

“वोट की कीमत को समझें, गरीबों के हक की लड़ाई ज़रूरी” – कंचन

धरने में शामिल कंचन ने कहा कि “आज हम लोगों का धरना देने का मुख्य उद्देश्य यही है कि आम लोग अपने वोट के महत्व को पहचानें। आज राजनीति में ऐसे लोग शमिल हो गए हैं जो गरीबों के हक को छीनकर सत्ता में बने रहना चाहते हैं। अब तक गरीबों का अधिकार ही छीना गया है और अब ऐसा लगता है जैसे गरीबी नहीं, गरीबों को ही हटाया जा रहा है।”

कंचन की तस्वीर (फोटो साभार : सुशीला)

उन्होंने आगे कहा “चाहे वो खेतों में मेहनत करने वाला किसान हो या धूप में जलता हुआ मजदूर, या वो पढ़ा-लिखा नौजवान जो रोजगार की आस में भटक रहा है। सब अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई युवा आज निराशा में आत्महत्या कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें न नौकरी मिल रही है, न कोई दिशा।”

कंचन ने यह भी बताया कि जिन परिवारों की झुग्गियां, घर जंगलों में थे, उन्हें विकास और हाईवे निर्माण के नाम पर उजाड़ दिया गया। इसके बावजूद उन्हें कहीं दूसरी जगह उनके रहने की व्यवस्था नहीं की गई।

इस प्रदर्शन से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों में अब जागरूकता आ गई है। अब लोग पार्टियों के साथ जुड़कर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं। विरोध प्रदर्शन के माध्यम से कई जरुरी मुद्दों का ध्यान सरकार की ओर खीचतें हैं, लेकिन सवाल यह यही कि आखिर कब तक धरने प्रदर्शन करने पड़ेंगे? गरीब, मजदूरों और किसानों की आवाज सरकार तक आखिर क्यों नहीं पहुँचती है?

 

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