उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। लिव -इन रिलेशनशिप शुरू करने और खत्म करने की जानकारी अब सरकार को देनी होगी जिसके लिए पंजीकरण कराना जरुरी होगा। इतना ही नहीं उन कपल्स को एक 16 फॉर्म भरना होगा और एक धार्मिक पुजारी से एक प्रमाण पत्र देना होगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार 27 जनवरी 2025 को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को राज्य में लागू कर दिया।
लेखन – सुचित्रा
उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किया गया। इस अधिनियम को पिछले साल फरवरी 2024 में राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था। यूसीसी के तहत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शादी, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और वसीयत के पंजीकरण के लिए एक वेबसाइट लांच की। इसके साथ ही इससे जुड़े नियम जारी किए। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इच्छा रखने वाले जोड़ों के लिए सख्त नियम बताए गए हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप क्या है?
लिव-इन रिलेशनशिप का मतलब है जो जोड़ें अपनी इच्छानुसार एक साथ रहते हैं। ऐसे तो समाज में बिना शादी के जोड़ों का एक साथ रहना चुनौती की तरह है। कुछ जोड़ें इसलिए भी साथ में रहना पसंद करते हैं ताकि शादी से पहले वे एक दूसरे के साथ रहकर जान सकें।
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ऑनलाइन या ऑफलाइन 16-पृष्ठ का फॉर्म भरना अनिवार्य
इस नियम के तहत जोड़ों को एक 16-पृष्ठ का फॉर्म भरना होगा। यदि कपल्स पंजीकरण नहीं करवाते हैं तो उन्हें छह महीने तक की जेल हो सकती है। इस तरह का नियम उत्तराखंड के निवासियों के साथ-साथ भारत में कहीं और रहने वाले उत्तराखंड निवासियों पर भी लागू होगा।
इसमें जरुरी चीजों में आधार से जुड़ा OTP, पंजीकरण शुल्क और एक धार्मिक नेता से एक प्रमाण पत्र शामिल है। प्रमाण औपचारिक रूप से विवाह के लिए पात्रता की पुष्टि करेगा। इसके अलावा जोड़े को लिव-इन रिलेशनशिप खत्म करने के संबंधों के प्रमाण पत्र देने होंगे, साथ ही अपने पिछले रिश्ते की जानकारी देनी होगी।
यह पंजीकरण रजिस्ट्रार जोड़े की जानकारी उनके माता-पिता को देगा।
पुजारी से लेना होगा प्रमाण पत्र
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में किसी धार्मिक पुजारी, समुदाय प्रमुख या जो किसी धार्मिक/समुदाय निकाय से सम्बंधित है। इस प्रमाण में इस बात की पुष्टि होगी कि रीति-रिवाज और प्रथाएं उनके बीच विवाह की अनुमति देता है।
उत्तराखंड यूसीसी नियम के लिए पंजीकरण
लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक लिव-इन जोड़े यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in पर जाकर अपने रिश्ते को पंजीकृत कर सकते हैं।
किराए के मकान के लिए भी लिव-इन पंजीकरण प्रमाणपत्र देना अनिवार्य
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के नियम 20 (8) (सी) के तहत, मकान मालिकों को इसकी पुष्टि करनी होगी कि जोड़ो के पास लिव-इन पंजीकरण प्रमाणपत्र हो तभी वह किराए के लिए कमरे दें। यदि मकान मालिक ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत एक नए नियम के 20,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के लिए इतने सख्त नियम क्या उनकी स्वंत्रता पर सवाल नहीं खड़ा करते हैं? क्या ये नियम युवाओं के लिए एक नई चुनौती बनकर खड़ा होगा? इस नियम के आने से उन्हें किराए के कमरे मिलना भी मुश्किल होगा। हाल ही में यूपी के मेरठ में जोड़ों को ओयो oyo के नए नियम में कमरे लेने के लिए भी रिश्ते का प्रमाण पत्र दिखाना जरुरी किया गया। इस तरह के नियम बनाना कहाँ तक सही और क्यों जरुरी है? क्या उन जोड़ों को अपनी पसंद के मुताबिक जीवन जीने का अधिकार नहीं है?
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