अक्सर देखा जाता है दहेज की मांग पूरी न होने पर कितनी बेटियां आग में जल कर मर जाती हैं, कितनी फांसी के फंदे पर लटक कर अपनी जान दे देती हैं।
1961 के बने कानून के हिसाब से दहेज लेना और देना दोनों कानूनी तौर पर ज़ुल्म माना जाता है लेकिन इस कानून को आज तक लागू नहीं किया गया। लगातार दहेज लिया भी जा रहा है और बेटी वाले दहेज लोभियों को हर कोशिश करते हैं उनकी मांग पूरी करने की।
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बहुत सी संस्थानों ने भी दहेज प्रथा रोकने की कोशिश की लेकिन सबकी सिर्फ कोशिश ही रही। ऐसा ही मामला चित्रकूट जिले के कोतवाली मऊ का सामने आया है। 2 मई को लड़की की बरात आने वाली थी सारा इंतजाम हो गया दुल्हन तैयार बैठी रही लेकिन बरात नहीं आई। लड़की की मां संगीता का आरोप है 18 अप्रैल वो लड़की वाले आए थे सारी बातें तय हुई थी कोई मांग नहीं किया जब पूरी तैयारी हो गई तो बरात नहीं लाये।
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हमारे सारे रिश्तेदार आ चुके थे। खाना बन गया था सारा दहेज आ गया था। दहेज़ के लिए खेत गिरवीं रखा, छह लाख का खर्च हुआ। दहेज़ में पल्सर बाइक, फ्रीज, कूलर, आलमारी, बेड, अपने हैसियत से ज्यादा दे रहे थे। पांच बेटी एक बेटा है सबसे बड़ी लड़की थी। लड़के वाले यह कहकर शादी तोड़ दिए की लड़की नाबालिग है। अब धमकी भी दे रहे हैं कि शिकायत दर्ज करोगे तो उल्टा फंसा देंगे।
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