खबर लहरिया Blog गर्मी में बिजली कटौती ने बढ़ाई समस्या, पानी की भी हो रही परेशानी

गर्मी में बिजली कटौती ने बढ़ाई समस्या, पानी की भी हो रही परेशानी

बाँदा जिले के कई गाँवों में बिजली कटौती भीषण गर्मी में लोगों के लिए दिक्कत बनी हुई है। आरोप है कि बिजली विभाग को शिकायत करने के बाद भी बिजली ठीक नहीं की जाती।

गर्मी में बिजली कटौती ने बढ़ाई समस्या, पानी की भी हो रही परेशानी

इस बार की गर्मी ने लोगों को अंगारे की तरह झुलसा कर रख दिया है। गर्मी और ऊपर से बिजली की समस्या ने लोगों का चैन ही छीन लिया है। बिजली न होने से जहां लोग घरों में चैन से नहीं रह पा रहे वहीं कार्यालयों में कामकाज भी काफ़ी प्रभावित हो रहा है। आज सोमवार को यूपी में 41 डिग्री सेल्सियस तापमान है।

विभागीय कर्मचारी भी इस गर्मी में ‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस’ की कहावत को बखूबी चर्चित कर रहे हैं। कोई भी फॉल्ट हो, बिजली सही करने में घंटो लग जाते हैं। उपभोक्ता गर्मी में बिलबिलाते रहते हैं लेकिन ज़िम्मेदार अधिकारी हैं कि फोन तक उठाने से कतराते हैं।

ये भी देखें – चित्रकूट: मुझे गर्व है कि मैं एक दलित महिला हैंडपंप मैकेनिक हूं

नियमित समय से कम समय रहती है बिजली

दशरत पुरवा के राम कृष्ण कहते हैं, गर्मी अपना अभी से भीषण रूख दिखाती जा रही है। आए दिन तापमान बढ़ रहा है। लोग घरों से बाहर निकलने से कतराने लगे हैं। कामकाजी लोगों का बाहर निकलना मजबूरी है। वहीं घर पर रहने वालों का पसीना बहाना भी मजबूरी बनी हुई है। गर्मी के साथ-साथ लोगों को बिजली की दगाबाजी सता रही है। आए दिन गांव हो या कस्बा बिजली गुल हो जाती है।

आगे कहते हैं, वह तो ग्रामीण स्तर के लोग हैं फिर भी पेड़ की छाया और बाहर खुले आसमान के नीचे मच्छरदानी के सहारे लेट कर रात गुजारते हैं। दिन में कच्चे कमरों में लेट जाते हैं जहां थोड़ी ठंडक मिलती है लेकिन बिजली की फिर भी ज़रूरत होती है। आज कल गर्मी में जितनी तपन है उसी तरह मच्छर भी लगता है। बिना कूलर-पंखे की हवा का किसी का गुज़ारा नहीं है।

“ग्रामीण स्तर पर ही सब ज़्यादा बिजली कटौती की जाती है। हमारे यहां लगभग 10 से 12 घंटा बहुत खींचकर बिजली आती होगी। जबकि नियम 18 घंटे का है और बिल बराबर आता है। गर्मी में बिजली भले कम रहती है पर बिल हाई पावर का आता है। ठंडी में बिजली बराबर रहती है और बिल भी कम आता है।”

ये भी देखें – भंवरा तेरा पानी गजब कर जाय गगरी न टूटे खसम मर जाय, द कविता शो

झूलती तारों से होता है फॉल्ट – ग्रामीण

बांदा जिले के रहने वाले सुनील और कमला आरोप लगाते हुए कहते हैं, कई जर्जर बिजली की तारें गांव में झूल रहीं हैं जिसका खामियाज़ा उन उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है। आए दिन इन तारों में फॉल्ट होता है और बत्ती गुल हो जाती है। शहर के कई मोहल्लों में झूलते बिजली के तार दुर्घटना को दावत दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि खंभे नहीं हैं। जो हैं वह भी गिरने की कगार पर हैं। बांस-बल्ली के सहारे केबल खींची गई है जिससे हर समय खतरे की आशंका बनी रहती है।

बिजली न होने से पानी भरने में आती परेशानी

इस समय 45 डिग्री से ज़्यादा तापमान चल रहा है। रात में भी गर्मी झुलसा रही है। पैलानी व बबेरू क्षेत्र में सबसे बिजली की सबसे ज़्यादा स्थिति खराब है। साथ ही खुरहंड स्थित बिजली उपकेंद्र से जुड़े फीडरों पर सबसे ज़्यादा ट्रिपिंग हो रही है। उपकेंद्र से जुड़े दर्जन भर गांवों में सही ढंग से बिजली नहीं मिल पा रही है। बिजली संकट से पेयजल की भी समस्या बढ़ रही है। घरों में शाम होते ही एक तरफ मच्छरों का हमला शुरू हो जा रहा है तो दूसरी ओर बिजली के न रहने से परेशानी खड़ी हो जा रही। जब बिजली नहीं रहती तो सुबह पानी नहीं आता।

ये भी देखें – कौशांबी: ऐतिहासिक धरोहरों से लैस अशोक स्तंभ स्थल की ढल रही रौनक

बिजली आपूर्ति की है पूरी कोशिश – अतर्रा एसडीओ

खबर लहरिया ने समस्या को लेकर अतर्रा के एसडीओ ज्ञानेश कुमार से बात की। उनका कहना है कि शहर में 24 घंटे और ग्रामीण में 18 घंटे बिजली देने का नियम है लेकिन ग्रामीण में 13 से 14 घंटे बिजली मिल पा रही है क्योंकि ऊपर से ही इतनी बिजली नहीं मिल पा रही है। शहर में फिर भी 24 घंटे देने की कोशिश की जा रही है लेकिन 23 घंटे के आसपास मिल रही है। बीच में कहीं कुछ फॉल्ट हो गया या तार खराब है तो बिजली बनाने के लिए आधे घंटे के लिए बिजली काटनी पड़ती है।

इस बार की गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बिजली कटौती और बढ़ती गर्मी से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। बिजली न होने से लोग पानी नहीं भर पा रहे हैं जो की एक बड़ी समस्या है। ऐसे में बिजली विभाग के ऊपर सभी को तय नियम के हिसाब से बिजली उपलब्ध कराना बड़ी ज़िम्मेदारी है।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है। 

ये भी देखें – वाराणसी: समूह में वॉशिंग पाउडर बनाने का रोज़गार पाकर खिले महिलाओं के चेहरे

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें

If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke