खबर लहरिया खेती हरी सब्जी में कारोबारियों के काले खेल, कहीं कर न दे आपकी सेहत को फेल

हरी सब्जी में कारोबारियों के काले खेल, कहीं कर न दे आपकी सेहत को फेल

वह दिन गए जब सब्जियों को अच्छी सेहत का कारक माना जाता था। स्वास्थ्य के लिए रामबाण कही जाने वाली हरी सब्ज़ी  की शुद्धता पर प्रश्न चिह्न लगने लगे हैं। सहालग बढ़ने के साथ लौकी, खीरा, कद्दू की मांग बढ़ने पर हरी सब्ज़ी उत्पादक किसान सब्जियों का आकार बढ़ाने के लिए प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाने से परहेज नही कर रहे हैं। यह इंजेक्शन जहां रातों रात सब्जी के आकार को बढ़ा देता है वही यह सब्जियां स्वास्थ्य पर विभिन्न बीमारियों के रुप में अपना असर छोड़ जाती हैं।

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इस समय बाजार में हरी सब्जी की मांग बढ़ने के साथ ही इनकी कीमत भी बढ़ती जा रही है। इसके चलते सब्जी उत्पादक भी अपना फायदा उठाने के लिए हरी सब्ज़ी की बेल में इंजेक्शन लगा कर रातोंरात बड़ा कर रहे हैं। ताकि सुबह बाजार में अच्छा पैसा कमाया जा सके।

बाँदा जिले के कल्लू बक्श किसान बताते है कि इस इंजेक्शन में इतनी क्षमता है कि दो इंच की लौकी, खीरा, कद्दू की बेल में इसके लगाने से रातोंरात सब्जी बड़ी हो जाती है। और इसकी बेल में जितने भी फल होते है। बढ़ कर तैयार हो जाते हैं। इनका कहना है कि लौकी में तो भैंस का इंजेक्शन लगता है लेकिन एक हु बूंद डालते हैं सुबह तक लौकी बड़ी हो जाती है।

पुनियां का कहना है की फायदेमंद तो नहीं हैं लेकिन क्या करें दवा नहीं डालेंगे तो होगी ही नहीं। इसलिए डालते हैं कि जल्दी तैयार हो जाये और बाज़ार में बेंचे। जब खेत में गेहूं धान नहीं बोये हैं सब्जी में घाटा होगा तो बच्चों को कैसे पालेंगे?

 

 

आज कल जिस तरह से सब्जियों का चलन इतना जोरो पर है पहले नहीं था। पहले लोग धी दूध दलहन और देशी खाद से उगाए जाने वाले मोटे अनाज का बिटामिंन पौष्टिक आहार खाते थे और देसी खाद की उगाई हुइ सब्जियां खाते थे जो शुद्ध और बहुत ही स्वादिष्ट पौष्टिक ताकतवर हुआ करती थी। बिमारी में डाक्टर भी हरी सब्जियों का सेवन करने को कहते हैं लौकी तरोई और पालक मूली तो हमेशा खाने की सलाह देते हैं। लेकिन लोगों को ये नहीं पता कि उससे कहीं ज्यादा बिमारियों वाली सब्जियों का हम सेवन कर रहे हैं।

जहरीली सब्जियों और फलों का सेवन करना आम आदमी के लिए मज़बूरी बन गया है बाज़ार में ठेले पर अलग अलग किस्म की आकर्षित करती सब्जियां शरीर के लिए पोषक तत्तों से भरपूर हैं या फिर मानक से अधिक रसायनिक उर्वरकों के कारण शरीर के लिए घातक? ये सोचना हम सबको बहुत जरुरी है। आज ज्यादा खपत और आमदनी के लिए सब्जी व्यापारी जो सब्जी उगाते हैं वो बहुत तरह की दवाइयां केमिकल और इंजेक्शन लगाकर उगा रहे हैं। जिससे पेट तो भरता है पर पौष्टिक नहीं होती हैं। लौकियाँ तो देखने में बड़ी रौनक होती है लेकिन अंदर से खोखली।


चित्रकूट जिले के एग्रीकल्चर विभाग के आर्गेनिक प्रशिक्षक शैलेन्द्र सिंह बुंदेला बताते हैं कि सबसे बड़ी बात है कि हम समझा नहीं पाते हैं की हमारा स्वास्थ्य कैसे बिगड़ रहा है।जो सब्जियों का इस्तेमाल हम करते हैं हम सोचते हैं की आज कर लिया कल नहीं करना है लेकिन जो कीड़े गये हैं शरीर में धीरे-धीरे बढ़ेंगे। और आपके शरीर को विकसित करने की क्षमता है उसे धीरे-धीरे ख़तम करेंगे। इन सब्जियों को खाने से कई तरह के रोग होते हैं जैसे चर्म रोग, कम दिखाई देना, सीने में दर्द, और जुखाम जैसे रोग हो जाते हैं। लेकिन मानव के अन्दर जो बीमारियाँ उत्पन्न हो रही इसका विश्लेषण कोई अभी तक नहीं कर पाया है।