28 नवंबर रविवार को अयोध्या में टीआईटी की परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा के दिन सुबह ही पेपर लीक हो गया। दो पालियों में परीक्षा आयोजित होनी थी जिसमें जनपद में हजारों की संख्या में छात्र परीक्षा देने के लिए परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे थे। कई केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की जा रही थी लेकिन अचानक विद्यालय में शिक्षकों ने पहुंचकर परीक्षार्थियों को जानकारी देते हुए बताया कि पेपर लीक हो गया है। जिसके चलते परीक्षा रोक दी गई। जिसके बाद छात्रों में आक्रोश था और छात्र इस लापरवाही का ज़िम्मेदार प्रदेश सरकार को ठहरा रहे हैं।
परीक्षाओं के फॉर्म भरवाने के दौरान कॉलेजों द्वारा हर वर्ग के छात्रों द्वारा अलग-अलग फीस ली जाती है। अनुमानित तौर पर भी अगर इन फीसों की रकम को जोड़ा जाए तो करोड़ो-अरबों तक इन पैसों की गिनती की जा सकती है। अब ऐसे में जो छात्र गरीब वर्ग से आते हैं, वह दोबारा उतने ही पैसे फॉर्म के लिए कैसे भरेंगे? सरकार ने तो कह दिया, अच्छा पेपर लीक हो गया तो दोबारा हो जाएगा। छात्रों ने बताया कि पेपर अच्छा आया था, उन्होंने बहुत मेहनत भी की थी। ऐसे में पेपर लीक और रद्द होने की खबर सुनना उन छात्रों के लिए किसी सदमें से कम नहीं था, जिन्होंने पूरे साल इसी दिन के लिए तैयारी की थी। कई छात्रों ने तो यह भी आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ पैसे भरवाती और बाद में बहाने करती है।
छात्रों का कहना है कि परीक्षा का दिन फिक्स करके परीक्षा नहीं करवाते हैं, क्या मतलब है टाइम ही बर्बाद कर रहे हैं। कोई यूपी एसआई की तैयारी कर रहा है तो कोई यूपीटेट, पीजीटी, टीजीटी की तैयारी कर रहा है। सबका इकट्ठा पेपर करवाते हैं फिर सामने आता है यह पेपर लीक हो गया, वह पेपर लीक हो गया तो इससे समय ही बर्बाद हो रहा है ना। इससे बच्चों की भविष्य भी बर्बाद हो रहा है। हमने बहुत अच्छी तैयारी की थी और पेपर भी बहुत अच्छा आया था लेकिन क्या फायदा पेपर लीक हो गया तो समझ लो सब गलत हो गया। यह प्रशासन की गलती है, प्रशासन अगर सही से काम करें तो सब सही है नहीं तो सब गलत ही होगा।
जानकारी के अनुसार, 21 लाख अभ्यार्थी यूपी टेट की परीक्षा में शामिल हुए थे।
ऐसे में क्या युवाओं का भविष्य सुरक्षित है? युवा सालों साल परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और आखिर में जब इस तरह का कोई मामला हो जाता है तो वह सिर्फ उन्हें हताश करने का काम करता है। योगी सरकार के दौरान पेपरों का लीक होना उनकी शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा मंत्रालय पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या मंत्रालय इतना भी सुदृढ़ नहीं कि वह परीक्षा के पेपर को सुरक्षित रख सके?
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