खबर लहरिया Blog UPSC Lateral Recruitment: केंद्र सरकार ने 45 पदों के विज्ञापन को वापस लेने के दिए निर्देश

UPSC Lateral Recruitment: केंद्र सरकार ने 45 पदों के विज्ञापन को वापस लेने के दिए निर्देश

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने लेटरल एंट्री के माध्यम से जो 45 पदों की भर्तियों के लिए विज्ञापन निकाला था अब उसे केंद्र सरकार ने आज मंगलवार 20 अगस्त को वापस लेने का निर्देश दिया है। यह विज्ञापन यूपीएससी ने शनिवार 17 अगस्त को दिया था जिसमें केंद्र में वरिष्ठ पदों पर पार्श्व भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे जिसकी तारीख 19 सितम्बर की थी।

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यूपीएससी द्वारा जारी एक परिपत्र में लिखा,”यह सभी संबंधितों की जानकारी के लिए है कि रोजगार समाचार, विभिन्न समाचार पत्रों और आयोग की वेबसाइट पर 17 अगस्त, 2024 को प्रकाशित विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव/निदेशक/उप सचिव के स्तर के 45 पदों के लिए लेटरल भर्ती से संबंधित विज्ञापन संख्या 54/2024 को रद्द किया जाता है, जैसा कि अपेक्षित प्राधिकारी द्वारा अनुरोध किया गया था।” यूपीएससी ने लेटरल एंट्री के जरिए विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशकों के 45 पदों पर भर्तियां निकाली हैं, जिसको लेकर हंगामा हो रहा था। आपको बता दें कि विपक्ष के कई नेताओं ने इस भर्ती प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दे रहे हैं और इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे।

राहुल गाँधी ने ‘देश विरोधी कदम’ कहा

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए टिप्पणी की और इसे ‘देश विरोधी कदम’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके ‘खुलेआम आरक्षण छीना जा रहा है।”

सपा-बसपा नेता ने भी उठाई आवाज

वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने भी ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए भर्ती के खिलाफ आवाज उठाई है।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 19 अगस्त को राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने UPSC को नियम बनाने का अधिकार देकर ‘लेटरल एंट्री’ प्रणाली को व्यवस्थित बनाया है। पहले शासन में इस तरह के प्रवेश के लिए कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं थी। ‘जो भी नियुक्ति या भर्ती या चयन होना है, यूपीएससी करेगा। इसमें भाजपा, आरएसएस का मुद्दा कहां है? निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं।’

क्या है लेटरल एंट्री ?

यूपीएससी में लेटरल एंट्री की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। इसे सीधी नियुक्ति भी कहा जाता है। दरअसल, केंद्र सरकार ने 2017 में ब्यूरोक्रेसी में सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति के अलावा लेटरल एंट्री (Lateral Entry) से बड़े पदों पर अधिकारियों की भर्ती करने पर विचार करने की बात कही थी। सरकार का कहना था कि निजी क्षेत्र के अनुभवी उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को भी विभिन्न सरकारी विभागों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव स्तर के पदों पर नियुक्त किया जाए। ये बिना यूपीएससी की परीक्षा दिए अधिकारी बनने का ये सुनहरा मौका होता है।

यूपीएससी में भर्ती कैसे होती है?

दरअसल, यूपीएससी को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है, जो तीन चरणों में होती है। पहले प्रीलिम्स परीक्षा होती है, जो 400 अंकों की होती है। और इसमें पास करने वाले उम्मीदवारों को ही मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका मिलता है। मुख्य परीक्षा 1,750 अंकों की होती है। जो उम्मीदवार मुख्य परीक्षा पास करते है। उन्हें ही आखिरी राउंड यानी इंटरव्यू में शामिल होने का मौका मिलता है। फिर मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू में मिले अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है और उसी के आधार पर उम्मीदवारों का आईएएस (IAS), आईएफएस (IFS), आईपीएस (IPS) और तमाम मंत्रालयों और सरकारी विभागों में अफसर के पद पर सेलेक्शन होता है।

 

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