“मैं उत्तराखंड हूँ। मानने वाले लोग मुझे देवभूमि कहते हैं। मंदिर, देव, धाम, घाटी, झरने, स्वच्छ हवा और पानी मतलब प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण। शांति और सुकून से पूरी तरह लबालब।” इसी देवभूमि का जिला है उत्तरकाशी मतलब उत्तर का काशी। शिव के बहुत से मंदिर हैं तो मानने वाले लोग इसे शिवनगरी भी कहते हैं। उत्तराखंड को आमतौर पर एक शांत राज्य के रूप में देखा और समझा जाता है। फिर ऐसा क्या हुआ कि ऐसी तस्वीरे आने लगीं। शहर हिन्दू-मुस्लिम कलह का सेंटर स्टेज बन गया। मुस्लिम कारोबारियों को शहर छोड़ने की धमकियां मिलने लगीं। कुछ मुस्लिम परिवारों को शहर छोड़ने के लिए भी मजबूर होना पड़ा। इसलिए आज के शो में समझेंगे कि हफ़्तों से चले आ रहे इस गंभीर विवाद का कारण क्या है और सरकार का क्या रुख है।
क्या किसी ने सोचा कि वहां पर जो मुस्लिम आबादी है, कारोबारी हैं, छोटे-छोटे रोज़गार करने वाले, साइकिल और पंचर बनाने वाले, सब्जी, दूध, फल बेचने वाले उनका क्या होगा? अपने को मीडिया बताने वाले पूरी तरह से ब्लैंक हैं, गायब हैं।
जिस तरह साम्प्रदायिकता की जा रही है, एक ऐसी जमीन का या एक ऐसे राज्य का, जहां पर भगवान बसते हैं, जहां पर देव निवास करते हैं, जहां पर भगवान की कृपा होती है, वहां पर गरीब और कमजोर वर्ग के कुछ लोगों को किस तरह से डराकर धमकाकर भगाया जा रहा है ताकि उनके बच्चों को दो वक्त की रोटी न मिले। यहां पर करीब 600-700 दुकानें हैं जिनमें से 30-40 मुस्लिमों की दुकानें हैं।
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28 मई को दो लड़कों में से एक हिन्दू और एक मुस्लिम लड़के, नौंवी कक्षा में पढ़ने वाली दलित लड़की को अगवा करने में नाकाम रहे। दोनों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इस मामले को लव जिहाद से जोड़ दिया गया। तब से उत्तराखंड समेत पूरे देश का माहौल गर्म है। ऐसे लग रहा है कि एक घटना की सजा पूरे उत्तराखंड के निवासियों को दी जा रही हो और धीरे-धीरे इसका असर पूरे देश में फैल रहा है।
इस मामले को लेकर सभी पार्टी मुखियाओं चाहे प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, लालू यादव, मायावती सबके मुंह में टेप चिपक चुका है। जाति विशेष वोटरों को हमेशा से ताक में रखने वाली ये सारी पार्टियां बिल्कुल चुप हैं क्योंकि चुनाव जो आने वाले हैं। कोई-कोई मुखिया तो चुनावी रैली में अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी फेककर वोटरों को ठग रहे हैं। मीडिया ने पहले से ही अपना रोल तय कर लिया है। अब कौन बचा ऐसे गंभीर मुद्दों पर आवाज उठाने के लिए?
इसलिए अब मैं उत्तराखंड अब चिल्ला रहा हूं, अपील कर रहा हूं, कि मेरा भोग करने वाले देशवासियों, बचा लो मुझे, बचा लो। सांप्रदायिक तनाव से बचा लो। सच कह रहा हूँ, मैं नहीं बचा तो शायद ही कोई बच पाए।
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