गांव के तथाकथित सवर्ण नेताओं द्वारा बप्पारागा गांव की दो कॉलोनियों में रहने वाले लगभग 250 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। उन्हें किराने, मंदिर,स्टेशनरी,सैलून इत्यादि किसी भी सार्वजनिक स्थानों की पहुंच से वंचित कर दिया गया।
एक 15 साल की दलित नाबालिग के साथ कथित सवर्ण जाति का 21 वर्षीय युवक बलात्कार करता है। अपराध के खिलाफ आवाज़ उठाने पर नाबालिग के परिवार व उनकी जाति के सभी लोगों को गांव के तथाकथित सवर्ण जाति से आने वाले नेताओं द्वारा समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। सामाजिक बहिष्कार के ज़रिये उन पर दबाव बनाया जाता है कि परिवार अपराध का मामला वापस ले ले।
कर्नाटक के यादगिर जिले के बप्पारागा गांव के हुन्सगी तालुक (Bapparaga village of Hunsagi taluk) में दलित नाबालिग लड़की के साथ हुआ बलात्कार का यह मामला एक और उदाहरण है इस बात कि समाज में जाति से जुड़ी हिंसा, जाति से जुड़ा न्याय, जाति से जुड़ी सत्ता किस तरह से काम करती है। किस तरह से अनुसूचित जाति व जनजाति के साथ हो रही हिंसाओं की आवाज़ों को हाशिये पर रख दिया जाता है और समुदाय पर ही समुदाय को दबाने के लिए मज़बूर किया जाता है। वहीं अपनी सत्ता और जाति की ताकत को भी प्रदर्शित किया जाता है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि आरोपी युवक शादी करने के नाम पर नाबालिग के साथ यौन संबंध बना रहा था। रिपोर्ट्स में आरोपी का नाम, चन्द्रशेखर हनमन्तराय बिरादर
(Chandrashekhar Hanamantaraya Biradar) बताया गया।
नाबालिग ने अपने माता-पिता को इस बारे में अगस्त के आस-पास बताया। रिपोर्ट के अनुसार, वह पांच महीने गर्भवती भी है। जब माता-पिता को यह पता चला तो उन्होंने आरोपी को शादी का वादा पूरा करने के लिए कहा, जिसे उसने मना कर दिया।
इसके बाद परिवार ने पॉस्को एक्ट के तहत 12 अगस्त को नारायणपुरा थाने (Narayanapura police station) में आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई। परिवार द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद गांव के कुछ तथाकथित सवर्ण जाति के लोग उन्हें समझौता के लिए बुलाते हैं। हालांकि, परिवार मामले के साथ आगे बढ़ना तय करता है। रिपोर्ट के अनुसार,13 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
गांव के तथाकथित सवर्ण नेताओं से यह सहन नहीं हुआ कि उनकी सत्ता के होते हुए भी उनकी बात नहीं मानी गई। ऐसे में एक अपराध के बाद जातीय हिंसा के तौर पर एक और अपराध किया जाता है। गांव के तथाकथित सवर्ण नेताओं द्वारा बप्पारागा गांव की दो कॉलोनियों में रहने वाले लगभग 250 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। उन्हें किराने, मंदिर,स्टेशनरी,सैलून इत्यादि किसी भी सार्वजनिक स्थानों की पहुंच से वंचित कर दिया गया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, बहिष्कार का एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
10 लोगों पर एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर
हिंदुस्तान टाइम की रिपोर्ट के अनुसार, दलित परिवार को बहिष्कार करने और धमकी देने के आरोप में यादगीर जिले में 10 लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, शनिवार को, नारायणपुरा पुलिस ने 10 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिनकी पहचान है – शंकरगौड़ा माली पाटिल, चंदप्पा तुम्बागी, एरना मालीपतिल, यल्लालिंगा गौड़र, मुद्दम्मा, ईराबाई देवुर, भरतेश हुबली, अशोक माली, बंदेप्पा डॉली और शांतावा बिरादर।
इन सभी पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 351 (आपराधिक धमकी) और 352 (जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज़ किया गया है।
यादगीर के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) जावेद इनामदार ने बताया कि, “प्राथमिकी दर्ज होने के तुरंत बाद सभी आरोपी गांव से भाग गए थे। हमने उन्हें पकड़ने के लिए तलाश शुरू कर दी है।”
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मामले को लेकर एसपी जी संगीता (SP G Sangeetha) ने कहा, “हमें पोक्सो मामले के संबंध में सोशल मीडिया के माध्यम से दलित समुदाय के खिलाफ भेदभाव के बारे में पता चला। पुलिस, राजस्व और समाज कल्याण अधिकारियों सहित हमारी टीम ने शुक्रवार को बप्पारागा गांव का दौरा किया और समुदाय के बुजुर्गों के साथ एक शांति बैठक की। हालांकि हमें अभी तक सामाजिक बहिष्कार के बारे में कोई आधिकारिक शिकायत नहीं मिली है, अगर कोई शिकायत दर्ज कराई जाती है तो हम कार्रवाई करेंगे।” उन्होंने गांव में कथित स्थिति के किसी भी सबूत के होने से भी इंकार किया।
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