खबर लहरिया Blog UP Varanasi: बारिश से पहले जरुरत के तैयारी में जुटे लोग

UP Varanasi: बारिश से पहले जरुरत के तैयारी में जुटे लोग

गांव के कोने-कोने में हलचल है और हर कोई अपने हिसाब से बारिश से पहले की ज़रूरी तैयारी में जुटा है।

Chameli Devi drying spices in the sun

धूप में मसाले सुखाती चमेली देवी (फोटो साभार: गीता)

रिपोर्ट,लेखन-गीता

वाराणसी जिले के चिरईगांव ब्लॉक के मुस्तफापुर गांव में बारिश आने से पहले गांव के लोग अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। कोई अनाज और घरेलू सामान को सुरक्षित कर रहा है, तो कोई खेतों से सब्ज़ियां और मसाले सुखा रहा है। कुछ लोग झोपड़ी की मरम्मत कर रहे हैं, तो कुछ छांव की व्यवस्था में लगे हैं। गांव के कोने-कोने में हलचल है और हर कोई अपने हिसाब से बारिश से पहले की ज़रूरी तैयारी में जुटा है। हमने गांव के अलग-अलग हिस्सों में जाकर जाना कि लोग कैसे बारिश का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।

गांव की महिला चमेला देवी बताती हैं कि खेती-बाड़ी के कामों में इस समय बहुत कुछ करना होता है। खेतों से निकले धनिया, प्याज़, हल्दी और मिर्ची को सुखाने का काम जोरों पर है। ये सब चीजें अगर ठीक से सुखा ली जाएं, तो बारिश में सड़ती नहीं हैं और लंबे समय तक चलती हैं। मिर्च को सुखाकर महीनों तक रखा जा सकता है। चाहे पीसकर डिब्बे में भरें या साबुत रखें। हल्दी भी इसी तरह सुखाकर सुरक्षित रखी जाती है। अभी धूप है, इसलिए इसे अच्छे से सुखाकर बारिश से पहले स्टोर किया जा रहा है।

चंद्रा देवी बताती हैं कि हर साल बारिश आने से पहले झोपड़ी बनाना पड़ता है। अभी तक वह तीन झोपड़ियां बना चुकी हैं। उनके जैसे कई गरीब परिवार हैं जो झोपड़ी पट्टी में रहते हैं, क्योंकि उनके पास पक्के मकान की सुविधा नहीं है। वह बताती हैं कि एक झोपड़ी बनाने में दो से तीन दिन लग जाते हैं। सुबह और शाम के समय काम होता है, क्योंकि दोपहर में तेज धूप होती है। झोपड़ी बनाने में पतलू मतलब (सराई) और डोरी का इस्तेमाल किया जाता है। यह तैयारी हर साल करनी पड़ती है,ताकि बारिश के मौसम में वह लोग परिवार सहित सुरक्षित रहे सकें।

निर्मला देवी बताती हैं कि इस मौसम में खजूर कि पत्तियां सूखी मिलती है, जिससे वह खुद ही झाड़ू बनाती हैं। इससे बाजार से झाड़ू खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती। वह एक साथ चार-पाच झाड़ू बनाकर रख लेती हैं, जिससे बारिश के चार महीने आराम से निकल जाते हैं। कभी-कभी ये झाड़ू पूरे साल तक भी चल जाते हैं। बारिश में अगर झाड़ू भीग जाएं तो टूटने का भी डर रहता है, इसलिए वह इन्हें गेट के पास टांग कर रखती हैं ताकि सुरक्षित रहें।

किसान लाल बहादुर बताते हैं कि इस समय मौसम का मिज़ाज बदल रहा है और धान की बोवाई का समय आ गया है। इसी के चलते खेतों में गोबर का छिड़काव जोरों पर चल  है। गाय के गोबर से खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और फसल अच्छी होती है। लगभग हर किसान अपने खेतों में यह तैयारी कर रहा है ताकि धान की पैदावार अच्छी हो सके।

 

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