खबर लहरिया Blog UP unemployed teacher: 69,000 शिक्षक भर्ती पर संघर्ष, बेरोजगार शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

UP unemployed teacher: 69,000 शिक्षक भर्ती पर संघर्ष, बेरोजगार शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

69,000 शिक्षक भर्ती पर बेरोजगार शिक्षक अभ्यर्थी पिछले सात साल से संघर्ष कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर शिक्षा मंत्री के आवास के सामने शिक्षकों ने अपने मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। 

Teachers were picked up during the protest

शिक्षकों को प्रदर्शन के दौरान उठाया गया।(फोटो साभार: दैनिक जागरण)

अगर देखा जाए तो देश के कई राज्यों में शिक्षा व्यवस्था और भर्ती प्रक्रियाओं को को लेकर छात्र और शिक्षकों का ग़ुस्सा और नाराज़गी सड़कों पर लगातार दिखाई दे रहा है। देश के शिक्षा व्यवस्था से छात्र भी परेशान हैं और शिक्षक भी। बिहार में (STET) एसटीईटी परीक्षा की मांग को लेकर आंदोलन, छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में देरी पर विरोध, दिल्ली विश्वविद्यालय में फीस व छात्र अधिकारों को लेकर आवाज और अब उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती का बड़ा विवाद। 

69,000 शिक्षकों का आंदोलन 

69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में 19,000 पदों पर आरक्षण घोटाले का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में आरक्षित वर्ग के शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। 

दरअसल 19 अगस्त 2025 को आरक्षित शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा लखनऊ में प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव कर किया गया। इस प्रदर्शन का कारण है शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण की गड़बड़ी, अदालत के आदेश का पालन न होना और सात साल से कर रहे संघर्ष लेकिन सुनवाई कुछ भी नहीं। 

 शिक्षक अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और एससी (अनुसूचित जाति) वर्ग को तय किए गए हिस्सेदारी से काफी कम आरक्षण दिया जिससे हज़ारों शिक्षक नौकरी से वंचित रह गए। शिक्षकों ने मीडिया को बताया कि भर्ती 2018 में शुरू हुई थी। अगस्त 2024 में में लखनऊ उच्च न्यायालय ने आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के पक्ष में तीन महीने के भीतर नियुक्तियां करने का आदेश दिया था लेकिन सरकार ने इस फैसले को लागू करने के बजाय मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दिया जहां पिछले 11 महीनों से कोई प्रगति नहीं हुई है। सात साल से भर्ती पूरी न होने और शिक्षा व्यवस्था ने शिक्षकों को सड़कों पर उतरने और लगातार आंदोलन करने पर मजबूर कर दिया।

 पुलिस द्वारा शिक्षकों को उठाया गया

अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रदर्शन स्थल से उठाया गया। हिंदुस्तान टाइम्स के रिपोर्टिंग के अनुसार पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को गाड़ियों में भरकर इको गार्डन भेज दिया। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि “इस भर्ती में हमें अभी तक न्याय नहीं मिला है।” प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए पहल नहीं करती और सुप्रीम कोर्ट से तारीख पर तारीखें मिलती रहीं तो वे लखनऊ में रोज़ाना धरना-प्रदर्शन करेंगे और भाजपा नेताओं के आवासों का घेराव भी करेंगे। प्रदर्शनकारियों में से एक धनंजय गुप्ता ने बताया कि इस मुद्दे पर अपर मुख्य सचिव, दीपक कुमार से बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। सुशील कश्यप और भास्कर सिंह ने आरोप लगाया कि उक्त भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% के स्थान पर मात्र 3.86 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। एससी वर्ग को 21 प्रतिशत के स्थान पर मात्र 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है और इस प्रकार इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन किया गया है।

शिक्षकों की मांगे 

शिक्षक अभ्यर्थियों की मांगे ये है कि तुरंत मेरिट लिस्ट जारी की जाए और आरक्षण नियमों का पूरा पालन करते हुए नियुक्तियां दी जाए। वे चाहते हैं कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में सक्रिय होकर उनका पक्ष मजबूती से रखें ताकि सात साल से अटकी भर्ती पर जल्द फैसला हो सके। उनका कहना है कि आरक्षित वर्ग ओबीसी और एससी, एसटी के योग्य उम्मीदवारों को उनका हक़ मिले और उन्हें अनुचित तरीके से बाहर न किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि राज्य सरकार न्याय सुनिश्चित करने के लिए सुनवाई में तुरंत अपना पक्ष रखे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो वे अपना आंदोलन और तेज़ कर देंगे। 

जैसे हमने बताया कि इस तरीके से शिक्षकों और छात्रों के आंदोलन अब नया नहीं है। देश के कई राज्यों में वे अपने अधिकारो को लेकर सड़क पर संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। इस तरह के सभी मामले इस बात का संकेत है कि देश भर में शिक्षा और रोजगार से जुड़े मुद्दे लगातार उभर रहे हैं। 

 

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