महाकुंभ में हुए भगदड़ के बाद यूपी सरकार के तरफ से मौत के आंकडे 37 बताए गए लेकिन हाल ही में बीबीसी द्वारा 50 जिलों में किए जांच-पड़ताल से सामने आया की कुंभ मेले में कम से कम 82 मौतें हुई है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का मेला 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी चला। यह मेला करीब 4 हजार हेक्टेयर के इलाके में फैला हुआ था। 29 जनवरी यानी मौनी अमावस्या के दिन कुम्भ मेले में कई जगह भगदड़ हुई जिसमें कुंभ मेले में आए कई लोगों की उसी भगदड़ के दौरान मौत हो गई।
45 दिन के इस आयोजन पर सरकार ने 7 हजार करोड़ रुपए खर्च किए। यूपी सरकार ने भगदड़ में 37 मौतों की संख्या बताई थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 फरवरी को विधानसभा में भी मौत से सम्बंधित आंकडे प्रस्तुत किए थे।
हाल ही में बीबीसी ने 11 राज्यों के 50 जिलों में ग्राउंड रिपोर्टिंग कर, मृतक के परिवारों से मुलाकात कर यह जानकारी इकट्ठा किया और बताया कि कुंभ में हुए भगदड़ में 82 लोगों की मौतें हुई हैं। बीबीसी का यह भी कहना है – कि जिन मृतक के परिवारों ने पुख़्ता मौत की खबर नहीं बताया है उन्हें इन 82 लोगों में शामिल नहीं किया है। यानी लगभग 82 लोगों के मौत की खबर बीबीसी ने पुष्टि की है। बीबीसी ने 100 से अधिक ऐसे परिवारों से मुलाकात की जिनका कहना था कि उनके अपनों की मौत कुंभ भगदड़ में हुई है।
11 राज्यों में बीबीसी के ने जांच पड़ताल किए –
उत्तराखंड
हरियाणा
उत्तर प्रदेश
राजस्थान
गुजरात
मध्यप्रदेश
कर्नाटक
बिहार
झारखण्ड
पश्चिम बंगाल
असम
बीबीसी ने भगदड़ में मारे गए लोगों के संख्या को तीन हिस्सों में बांट कर बताया है
1- भगदड़ में मारे गए पहली हिस्सों उन लोगों की है जिनके परिवार को यूपी सरकार से तरफ से 25 -25 लाख रुपये मुआवजें के तौर पर दिए गए। इसमें 36 परिवार शामिल हैं। 36 परिवारों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) या चेक के जरिए 25-25 लाख रुपए का मुआवजा दिया।
2- दूसरी हिस्सा उनकी है जिनके मौत को योगी सरकार ने कुंभ भगदड़ का नहीं माना लेकिन मृतकों के परिवारों को 5 – 5 लाख रुपए नगद दिए गए जिसमें 26 मृतक के परिवार शामिल हैं। बीबीसी ने ऐसे 26 मृतकों के परिवार की खोज की जिनका कहना है कि योगी सरकार के तरफ से 5 – 5 लाख रुपए का मदद किया गया।
बीबीसी का यह भी कहना है कि कई परिवारों ने बताया कि 25 लाख की रक़म देते समय पुलिस टीम उनकी मर्जी के ख़िलाफ उनसे ऐसे कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए जिनमें ‘अचानक तबीयत बिगड़ जाने’ के बाद मौत होने की बात पहले से लिखी हुई थी।
3- तीसरा हिस्सा ऐसी है जिनके परिवारों को कोई मुआवजा या किसी भी प्रकार की सहायता योगी सरकार के तरफ से नहीं दी गई। इसमें 19 मृतक के परिवार शामिल हैं। बीबीसी के रिपोर्ट से बता लगा कि इन 19 परिवारों का कहना है कि इनके अपनों की मौत 29 जनवरी को कुंभ भगदड़ में में अलग-अलग जगह हुई कारण भगदड़ से ही है।अपनी बात को साबित करने के लिए कई लोग पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट, कुछ लोग अस्पताल के मुर्दाघर की पर्ची और कुछ लोग मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे सबूत भी दिखाए। इन 19 में कई परिवार ऐसे हैं, जो 29 जनवरी को मेला क्षेत्र में ली गई वह फोटो और वीडियो भी दिखाते हैं, जिसमें उनके परिजन की लाश दिखाई दे रही है।
कुंभ मेले में तीन नहीं चार जगह पर हुई थी भगदड़
बीबीसी ने अपने रिपोर्ट पर यह भी खुलासा करते हुए बताया है कि कुंभ मेले में चार जगह पर भगदड़ हुई थी जिसमें सरकार का कहना है की भगदड़ केवल तीन जगहों पर हुई थी। मृतकों के परिजनों से मिलने के बाद बीबीसी को पता चला कि कुंभ क्षेत्र में सिर्फ संगम नोज, झूसी की तरफ समुद्रकूप चौराहा और ऐरावत मार्ग के पास ही भगदड़ नहीं हुई बल्कि एक और बड़ी भगदड़ कल्पवृक्ष द्वार के पास मुक्ति मार्ग चौराहे पर सुबह करीब आठ बजे भी हुई थी। बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया कि कल्पवृक्ष द्वार पर हुए भगदड़ पर भी मारे गए पांच लोगों की पहचान की।
यह एक बड़ा सवाल बन कर रह गया है कि आख़िरकार यूपी सरकार मौतों के कम आंकडे बता कर क्या साबित करना चाहती है। यह सवाल उन पत्रकारों पर भी उठता है जो कुंभ मेले की जानकारी और कुंभ के आयोजनकर्ता के गुणगान चिल्ला चिल्ला कर किया जा रहा था मगर भगदड़ के बाद जब लोगों के मौतों की खबर सामने आई तो सभी ने चुप्पी साध ली। भगदड़ के बाद अस्पतालों में कुछ पत्रकार जो सच दिखाने की कोशिश करी थी लेकिन पुलिस प्रशासन के बल द्वारा उन्हें अस्पताल के अंदर जाने से रोका गया और उनके साथ धक्का मुक्की भी की गई।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट तकनीक, 2750 सीसीटीवी कैमरे, इन कैमरों के निगरानी के लिए 300 से ज्यादा एक्सपर्ट्स निगरानी में लगे हुए थे, 56 हजार से ज्यादा जवान, आसमान में गस्त लगाते ड्रोन मशीन और किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए 133 एयर एम्बुलेंस होने के बाद भी इस भगदड़ में फंसे लोगों तक मदद नहीं पहुंच सकी।
कई बार सरकार पर कुंभ के दौरान व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठा था लेकिन यूपी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी।
बीबीसी के द्वारा इस तरह से कुंभ भगदड़ में हुए लोगों के मौतों पर विस्तार से जानकारी यह बताती है कि सरकार द्वारा कितनी गलत आंकडे देश के लोगों को दिए गए।
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