नारीवारी गांव की कलावती बताती हैं “हम एक दिसंबर को मरीज लेकर सावित्री अस्पताल जा रहे थे। रेलवे फाटक पर पाँच घंटे तक जाम में फंसे रहे। डॉक्टर अस्पताल से जा चुके थे। बहू के पेट में तेज दर्द था, लेकिन समय पर अस्पताल नहीं पहुँच सके। हमें दोबारा प्रयागराज जाना पड़ा, समय भी बर्बाद हुआ और खर्च भी चार गुना बढ़ गया। अगर कोई सीरियस मरीज हो, तो वह जाम में ही दम तोड़ दे।”
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – सुचित्रा
यूपी में जो हाल सड़कों पर है वही हाल रेलवे फाटक पर भी है। सड़कों पर तो जाम लगता ही है लेकिन अब यूपी के प्रयागराज जिले के शंकरगढ़ बाजार रोड स्थित रेलवे फाटक पर हर दिन चार–चार घंटे तक जाम लगना आम बात है। यह समस्या 6 महीने से चल रही है। यहां लगा जाम लोगों के लिए जानलेवा बन गया है। मरीज, स्कूल जाने वाले बच्चे, महिलाएँ और रोज़ कमाने वाले लोग घंटों तक फंसे रहते हैं। जाम की स्थिति इतनी गंभीर है कि कई बार एम्बुलेंस भी घंटों अटक जाती है। स्थानीय लोग कहते हैं कि यदि कोई गंभीर मरीज हो, तो रेलवे फाटक का यह जाम उसकी जान भी ले सकता है।
बीमार महिला पाँच घंटे जाम में फँसी
नारीवारी गांव की कलावती बताती हैं “हम एक दिसंबर को मरीज लेकर सावित्री अस्पताल जा रहे थे। रेलवे फाटक पर पाँच घंटे तक जाम में फंसे रहे। डॉक्टर अस्पताल से जा चुके थे। बहू के पेट में तेज दर्द था, लेकिन समय पर अस्पताल नहीं पहुँच सके। हमें दोबारा प्रयागराज जाना पड़ा, समय भी बर्बाद हुआ और खर्च भी चार गुना बढ़ गया। अगर कोई सीरियस मरीज हो, तो वह जाम में ही दम तोड़ दे।”
‘माघ मेला’ आने पर हाल और भी खराब
रानीगंज के लल्लू का कहना है “अभी भी हर दिन कई घंटों का जाम लगता है। लेकिन एक महीने बाद माघ मेला शुरू होगा। तब लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान को इसी सड़क से आएंगे। उस समय तो लोगों का पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाएगा। दूसरी सड़क, जो रानीगंज से निकलती थी, पुल के गड्ढे की मरम्मत के कारण बंद है। अब सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक लगातार जाम रहता है। रेलवे फाटक का अलार्म बजता रहता है लेकिन जाम कम नहीं होता।”
छात्रों की पढ़ाई पर असर
तालापार गांव की इंटर छात्रा रोशनी बताती है “स्कूल जाने के लिए 9 बजे निकलते हैं, लेकिन एक दिन बस जाम में फँस गई। हम स्कूल ही नहीं पहुँच पाए। हमें वापस घर लौटना पड़ा। पढ़ाई का बहुत नुकसान होता है। हमारे गाँव के करीब 20 बच्चे इसी रास्ते से स्कूल जाते हैं। बोर्ड परीक्षा आने वाली है। अगर उस दिन जाम में फँस गए तो पूरा साल बर्बाद हो जाएगा।”
रिक्शा चालकों की रोज़ी पर असर
बेरूई गांव के ई-रिक्शा चालक कुल्लू कहते हैं “रानीगंज से बारा तक सवारी छोड़ने जाते हैं, लेकिन जाम में फंसकर दिन में सिर्फ दो ही चक्कर लग पाते हैं। रोज़ का करीब 500 रुपये का नुकसान होता है। रोजगार पर सीधा असर पड़ रहा है। बाईपास पुल का काम अभी चालू है, पता नहीं कब तक पूरा होगा। जब तक दूसरी सड़क शुरू नहीं होती, लोग ऐसे ही परेशान होते रहेंगे।”
एम्बुलेंस भी जाम में फँस जाती हैं
स्थानीय लोग बताते हैं कि फाटक के इस पार–उस पार लगभग 50 गाँव हैं -नारीवारी, गदामार, तेदुवा, तालापार, हिनौती, झझरा, भेलाय, जोरवट, गोबराउड, देवरी, मबइया आदि। इन्हीं गांवों के लोग इलाज के लिए इसी सड़क का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जाम में अक्सर एम्बुलेंस तक फँस जाती है। डिलीवरी वाली महिलाएँ दर्द से तड़पती रहती हैं, पर फाटक खुलने का इंतजार करना पड़ता है।
रेलवे प्रबंधन क्या कहता है?
शंकरगढ़ रेलवे प्रबंधक प्रकाश चंद्र झा मानते हैं कि समस्या गंभीर है। उन्होंने बताया “रानीगंज वाले फाटक पर बाईपास ओवरब्रिज का काम चल रहा है। इसी वजह से सारी भीड़ बाजार वाले फाटक पर आ रही है, क्योंकि यह सड़क यूपी-एमपी को जोड़ती है। ठेकेदार कह रहा है कि पुल 2026 तक चालू हो जाएगा, पर हमें नहीं लगता कि काम समय पर पूरा होगा। जब वह रास्ता शुरू होगा, तभी यहाँ की भीड़ कम होगी।”
देश में ट्रैफिक जाम आम हो गया है चाहे वह शहर का जाम हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र का। इसकी खास वजह ख़राब सड़के और बढ़ती आबादी भी है। सरकार द्वारा बनाए जा रहे नवनिर्माण कार्य भी है जो सालों चलते रहते हैं जिसकी वजह से आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है। आखिर कब तक ट्रैफिक जाम की इस समस्या ये आम जनता को राहत मिलेगी?
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