मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बीते 17 अगस्त को सभी प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव, सचिव के साथ-साथ महानिदेशक, निदेशक विभाग के अध्यक्षों और कार्यालय अध्यक्षों को पत्र जारी किया था। उनके द्वारा सभी प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी आचरण नियमावली 1956 के नियम 2 और 4 का पालन करते हुए मानव संपदा पोर्टल पर 31 दिसंबर 2023 तक चल अचल संपत्ति का विवरण देने के निर्देश दिए गए हैं।
यूपी के मुख्यसचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी अधिकारियों को पत्र लिखते हुए उनसे उनकी चल अचल संपत्ति का विवरण 31 अगस्त पोर्टल पर घोषित करने को कहा है। सीएम योगी के आदेश पर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को पत्र लिखा। यूपी तक ने अपने X पोस्ट में लिखा, मुख्यसचिव के अनुसार, संपत्ति घोषित करने का मामला संतोषजनक नहीं है। अगर अधिकारी अपनी चल अचल संपत्ति तय समय में नहीं बताते तो उनका अगस्त तक का वेतन रोक दिया जाएगा।
सीएम योगी ने सभी विभाग के अध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि उन्हीं अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन दिया जाए जिन्होंने अपनी अचल संपत्ति की जानकारी दे दी है।
यह भी जानें कि मनोज सिंह ने हाल ही में जुलाई में मुख्यसचिव के रूप में अपनी नई ज़िम्मेदारियों को संभाला है।
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चल अचल संपत्ति क्या है?
अचल संपत्ति को लेकर मौजूदा परिभाषा के अनुसार, ऐसी संपत्ति जो एक जगह से दूसरी जगह पर नहीं ले जाई जा सकती उसे हम अचल संपत्ति कहते हैं। इसमें घर, मकान, दुकान, कारखाना आदि चीज़ें आती हैं।
चल संपत्ति ऐसी संपत्ति होती है जिसे एक जगह से दूसरे जगह पर आसानी से ले जाया जा सकता है। इसमें गाड़ी, गहनें, लैपटॉप आदि चीज़ें आती हैं। यह भी बता दें कि अचल संपत्ति को आमतौर पर रियल एस्टेट – आवासीय घर, गोदाम, मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट या कारखाना भी माना जाता है।
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चल अचल संपत्ति को लेकर मुख्य सचिव का अधिकारियों को पत्र
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बीते 17 अगस्त को सभी प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव, सचिव के साथ-साथ महानिदेशक, निदेशक विभाग के अध्यक्षों और कार्यालय अध्यक्षों को पत्र जारी किया था। उनके द्वारा सभी प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी आचरण नियमावली 1956 के नियम 2 और 4 का पालन करते हुए मानव संपदा पोर्टल पर 31 दिसंबर 2023 तक चल अचल संपत्ति का विवरण देने के निर्देश दिए गए थे।
पत्र में यह भी कहा गया कि अगर कर्मचारी अपनी संपत्ति का लेखा-जोखा नहीं देते हैं तो 1 जनवरी 2024 के बाद होने वाली विभागीय चयन समिति की बैठक में उनके प्रमोशन पर विचार नहीं किया जा सकेगा और कार्यवाही भी की जाएगी।
पत्र में यह भी बताया गया है कि जब मानव संपदा पोर्टल की समीक्षा की गई तो पता चला, जितने कर्मचारी राज्य में हैं, उनसे कम संख्या में कर्मचारियों ने संपत्ति का ब्योरा दिया है और बाकी कर्मचारियों ने उसका पालन नहीं किया। इसी को देखते हुए अब चल अचल संपत्ति की जानकारी देने की तारीख 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई है।
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