यूपी के कौशांबी में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी हुई। शादी के बाद पति द्वारा पत्नी से दहेज की मांग की गई जिसके बाद पति पर आरोप है कि उसने अपनी नवविवाहिता पत्नी की हत्या कर दी।
सामूहिक विवाह योजना में हुए फेरे
पिछले महीने मई 2025 में उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी के भरवारी स्थित भवंस मेहता महाविद्यालय परिसर में गुरुवार को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में 321 जोड़ों का पंजीकरण हुआ, जिनमें से 300 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ। इसी सामूहिक विवाह योजना में कोखराज क्षेत्र निवासी विजय पाल ने बेटी आरती की शादी संदीपनघाट क्षेत्र निवासी नीरज कुमार पुत्र लालचंद के साथ हुई। दोनों परिवारों की सहमति से मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत आरती व नीरज का विवाह कराया गया। सामूहिक विवाह योजना में फेरे लेने के बाद वर (लड़के) पक्ष ने दहेज के लोभ में अपना असल चेहरा दिखा दिया और दहेज की मांग की।
लड़के द्वारा बाइक और नगदी के मांग की गई
जागरण के रिपोर्टिंग के अनुसार दुल्हन के पिता आर्थिक रूप से कमजोर है। विवाह योजना में शादी करने के बाद दुल्हन के पिता पर दहेज के लिए दबाव डाला गया। दुल्हन के पिता को अपने घर बुलाकर दामाद ने अपना सत्कार करवाया। इसके बाद दामाद द्वारा दुल्हन के पिता से बाइक और नगद रुपयों की मांग की गई। इससे पहले नीरज बरात लेकर आरती के घर जाने की जिद करने लगा। दामाद की जिद के आगे दुल्हन के पिता झुक गए। 22 मई को पुन: विवाह धूमधाम से हुआ।
नई दुल्हन का गला दबाया और जहर पिलाया
दामाद द्वारा दहेज के मांग को पूरा नहीं कर पाने पर आरोपी पति (नीरज) ने अपनी नवविवाहिता दुल्हन का पहले गला दबाया गया और फिर जहर पिलाया गया। यह आरोप लड़की के परिजनों ने अपने दामाद नीरज पर लगाया है। लड़की के परिजनों को पता लगने पर उनके परिजनों द्वारा लड़की को प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया लेकिन अस्पताल में ही लड़की ने दम तोड़ दिया।
आरोपी पति के खिलाफ दहेज और हत्या का केस दर्ज
गंभीर हालत में मौत से पहले नवविवाहिता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया था। लड़की के पिता द्वारा पिता की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ दहेज हत्या का केस दर्ज किया है।
जागरण के रिपोर्टिंग के अनुसार सीओ चायल अवधेश विश्वकर्मा का कहना है कि पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जल्द उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।
यह घटना ना केवल मानवता को शर्मसार करती है बल्कि यह समाज की उस कड़वी सच्चाई को भी उजागर करती है जो आज भी 21वीं सदी के दौर में दहेज जैसे कुप्रथा के शिकंजे में जकड़ा हुआ है। सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए यह योजना चलाई जा रही है। इस योजना का लाभ जहां एक ओर जरूरतमंदों को सहारा देने का प्रयास है वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे लालच और अत्याचार की नींव पर खड़ा कर देते हैं।
जरुरी है कि सिर्फ क़ानून ही नहीं समाज की मानसिकता में भी बदलाव आए। जब तक लड़कों के परिवार दहेज को अधिकार समझते रहेंगे और बेटियों को बोझ तब तक समाज में महिलाएं सुरक्षित नहीं रह सकती और ना ही समाज सभ्य कहलाने योग्य होगा।
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