उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कथावाचक मुकुट मणि यादव के साथ मारपीट और चोटी काटकर सिर मुंडवाने की बदसलूकी की गई।आरोप है कि उन्हें अपमानित कर उनके ऊपर महिला का यूरिन भी फेंका गया।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है जिसमें दिखाया जा रहा है कि एक युवक को पकड़कर जबरदस्ती युवक का सिर मुंडवाया जा रहा है और आसपास खड़े लोग जातिगत गालियां देते नजर आ रहे हैं।
दरअसल यह मामला 23 जून 2025, उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की है।जिले के दानरपुर गांव में भागवत का आयोजन किया गया था जिसमें कथावाचक के रूप में मुकुट मणि यादव और उनके कुछ सहयोगी गए हुए थे।शाम तक कथावाचक किया गया और फिर अचानक मुकुट मणि यादव और सहयोगी सहायक आचार संत सिंह यादव के साथ नाम और जाति पूछने के बाद मारपीट की गई।जानकारी के अनुसार यह भी सामने आ रहा है कि मारपीट के बाद उनके सिर को मुंडवाया गया और फिर एक ब्राह्मण महिला के यूरिन को शुद्धीकरण के नाम पर उनके ऊपर छींटा गया।
सूत्रों के अनुसार और संत सिंह यादव के अनुसार यह बताया जा रहा है कि यह घटना गांव के ब्राह्मणों द्वारा किया गया।यह पता लगने पर कि कथावाचक यादव हैं तो ब्राह्मणों ने कथा कहने आए व्यक्तियों के साथ अभद्रता की सारी हदें पर दी।बताया जा रहा है कि भागवत कथा बाच रहे व्यास, जाति विशेष के नहीं थे इसलिए उनकी चोटी काट दी गई और उनका वीडियो वायरल किया गया।कथावाचक ने बताया कि बाल काटने के बाद 5 घंटे तक उन्हें बंधक बनाकर रखा गया।
“हम चमार नहीं यादव हैं” सहयोगी के बयान
जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें नजर आ रहा है कि कैसे क्षेत्रवासी कथावाचक पर एक महिला के पैर छूने का दबाव बनाते दिख रहे हैं। कथावाचक के सहयोगी संत सिंह यादव ने कवरेज के लिए गए पत्रकारों को घटना की पूरी आपबीती बताई। उन्होंने बताया कि 21 से 27 जून तक भागवत कथा की बुकिंग थी। “पहले ही दिन मुझसे मेरी जाति पूछी। मैंने यादव बताया तो मुझ पर दलित होने का आरोप लगाया। हमलावरों ने कहा कि ब्राह्मणों के गांव में भागवत पाठ करने की हिम्मत कैसे की। फिर मुझे पीटा गया” वे आगे बतलाते हैं कि उनका सिर मुंडवाया और फिर मारपीट भी की गई।लागतर उन्हें जतिसूचक गालियां दी जा रही थीं।इतना ही नहीं “कुछ लोगों ने कहा कि चमार कभी ब्राह्मण नहीं बन सकते हैं और फिर शुद्धीकरण के नाम पर हमारे ऊपर एक महिला का मूत्र छींटा गया”
संत सिंह यादव ने यह भी बताया कि गांव के सभी लोगों द्वारा दंड के रूप में 25 हजार पैसे की मांग भी की जा रही थी।वे मीडिया के सामने अपना बयान देते हुए कहते हैं कि “हम चमार नहीं हैं हम यादव हैं”
यह घटना सिर्फ एक आम आदमी का अपमान नहीं है बल्कि पूरे पिछड़े समाज को नीचा दिखाने की साज़िश है।कुछ लोग कहते हैं कि देश में जातिवाद खतम हो गया है।यह घटना उन्हीं के सामने उदाहरण बन कर सामने आया है।
एसएसपी ने लिया संज्ञान
एनडीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार इटावा के एसएसपी ने वायरल वीडियो का संज्ञान लिया है।एसएसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस घटना के संबंध में केस दर्ज कर दिया गया है।इसके अलावा उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का भी भरोसा दिलाया है।पीड़ित भागवताचार्य अपने सहयोगियों व सांसद को लेकर एसएसपी ब्रजेश कुमार से मिले और दोषियों के विरुद्ध बयान दी।एसएसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रकरण के संबंध में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है और दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चार लोगों को किया गया गिरफ्तार
एनडीटीवी के खबर के अनुसार एसएसपी इटावा ने बताया कि शिकायत दर्ज के आधार पर थाना पुलिस द्वारा चार लोगों की पहचान कर गिरफ्तारी की गई है और अब उन्हें जेल भेजने की कार्यवाही की जा रही है।जनपद इटावा की बकेवर पुलिस द्वारा दांदरपुर गांव के आशीष पुत्र राजीव कुमार, उत्तम पुत्र प्रदीप, प्रथम उर्फ मनु पुत्र शैलेश कुमार, निक्की पुत्र बृजेश को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्यवाही की गई है।
आज भी स्वतंत्र भारत में जातिवाद मजबूती के साथ समाज पर चिपका हुआ है जहां लोगों की इंसानियत भी मरी नजर आती है। यहां एक मानव दूसरे मानव के ऊपर मूत्र फेंक कर अपनी इंसानियत का पहचान करवा रहे है और एक विशेष जाति को बढ़ावा दे रहे हैं।क्या यही है शिक्षित और स्वतंत्र भारत?
दूसरी तरफ आजकल बाबा बन भागवत गीता पढ़ना भी एक रोजगार का जरिया बन गया है।जिस तरह से देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है लोग जीवन चलाने के लिए किसी भी तरह का काम करने के लिए तत्पर हैं।जिसका उदाहरण में संत सिंह यादव को देखा जा हैं।संत सिंह यादव ने अपने बयान में यह बताया है कि “मैं पहले शिक्षक था,स्कूल चलाता था और फिर मोदी सरकार ने प्राइवेट स्कूल बंद करवा दिया फिर मैं अब भागवत में लग गया।
इस बात से भी लोग अंजान नहीं हैं कि वर्तमान में कई ऐसे बाबाएं और कथावाचक बन उभरे हैं जो लोगों को वापस अंधविश्वास की ओर धकेलते नजर आते हैं।कई बाबा और कथावाचक ऐसे हैं जो महिलाओं को लेकर गलत टिप्पणियां करते हुए दिखते हैं।
संत सिंह यादव ने अपने बयान में यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें एक महिला का ज़बरदस्ती पैर छूने को कहा गया। पैरे छूने को मजबूर करना या यूरिन फेंकना तो बेहद ही शर्मनाक है और यह निंदनीय भी और इसकी सजा भी आरोपियों को मिलनी चाहिए लेकिन आखिर कर एक सामान्य व्यक्ति भी कथावाचक बन कितनों को पैर छूने के लिए मना नहीं किया होगा। तो यह सोचने वाली बात है कि क्यों सामान्य मनुष्य पंडित या बाबा के अहोदे में आकर लोग अपना इंसानियत भूल जाते हैं और फिर से ब्राह्मणवादी सोच को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।क्या देश में सभी नागरिक सामान रूप से नहीं रह सकते जहां कोई छोटा बड़ा ना हो और सब एक सामान रहे।
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