उत्तर प्रदेश में अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी ने लखनऊ मंडल में आने वाले 8 स्टेशनों के नाम बदलने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को फरवरी की शुरुआत में भेजा था। जिसे कल मंगलवार 27 अगस्त को मंजूरी मिल गई। इन आठ रेलवे स्टेशनों का नाम आधिकारिक तौर पर संतों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा गया है।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ मंडल में 8 नए स्टेशनों के नाम बदलने के आदेश जारी किए गए। इसकी सूचना कल मंगलवार 27 अगस्त को उत्तर रेलवे की ओर से जारी आदेश द्वारा दी गई। इस आदेश के अनुसार, कासिमपुर हॉल्ट रेलवे स्टेशन को अब जायस सिटी रेलवे स्टेशन, जायस को गुरु गोरखनाथ धाम, मिसरौली को मां कालिकन धाम और बनी को स्वामी परमहंस के नाम से जाना जाएगा। इस आदेश पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए सिर्फ नाम पर नहीं बल्कि रेलवे स्टेशनों की स्थिति सुधारने पर ध्यान देने को कहा।
उत्तर प्रदेश में अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी ने लखनऊ मंडल में आने वाले 8 स्टेशनों के नाम बदलने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को फरवरी की शुरुआत में भेजा था। जिसे कल मंगलवार 27 अगस्त को मंजूरी मिल गई। द प्रिंट के मुताबिक इन आठ रेलवे स्टेशनों का नाम आधिकारिक तौर पर संतों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा गया है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल की वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक रेखा शर्मा ने बताया, “लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के कारण रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का काम नहीं हो पाया था, लेकिन मंगलवार को रेल मंत्रालय ने आखिरकार बदलाव की अधिसूचना जारी कर दी। जल्द ही रेलवे सीआरआईएस (रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र) भी नाम बदले गए रेलवे स्टेशनों को अपडेट कर देगा।”
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लखनऊ मंडल के रेलवे स्टेशन के बदले हुए नाम
पुराने नाम नए नाम
कासिमपुर हाल्ट – जायस सिटी
जयस – गुरु गोरखनाथ धाम
मिसरौली – मां कालिकन धाम
बानी – स्वामी परमहंस
निहालगढ़ – महाराजा बिजली पासी
अकबरगंज – माँ अहोरवा भवानी धाम
वजीरगंज हाल्ट – अमर शहीद भाले सुल्तान
फुरसतगंज – तपेश्वरनाथ धाम
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समाजवादी पार्टी नेता ने आदेश पर दी प्रतिक्रिया
इस आदेश के जारी होने पर समाजवादी यादव ने राज्य की योगी सरकार सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कल मंगलवार 27 अगस्त को अपने सोशल मीडिया एक्स लिखा कि, “भाजपा सरकार से अनुरोध है कि वह न केवल नाम बदले, बल्कि रेलवे स्टेशनों की स्थिति भी बदले। …और जब नाम बदलने से फुर्सत मिले, तो थोड़ा समय निकालकर रिकॉर्ड तोड़ रेल दुर्घटनाओं को रोकने के बारे में भी सोचें।”
भाजपा सरकार से आग्रह है कि रेलवे स्टेशनों के सिर्फ़ ‘नाम’ नहीं, हालात भी बदलें।
… और जब नाम बदलने से फ़ुरसत मिल जाएं तो रिकार्ड कायम करते रेल-एक्सीडेंट्स के हादसों के रोकथाम के लिए भी कुछ समय निकालकर विचार करें।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 27, 2024
उत्तर प्रदेश में रेलवे स्टेशन के नाम बदलने से ही क्या सचमुच रेल व्यवस्था सुधर जाएगी? खबरों में आए दिन आ रही रेल दुर्घटनाओं पर इस तरह के फैसले से रोक लग सकेगी? रेलवे स्टेशनों का नाम बदलना कहाँ तक सही है और इससे क्या आम जनता के लिए रेल यात्रा में आई परेशानियां कम हो जाएंगी?
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