गोरखपुर में स्थित पीएसी कैंप में ट्रेनिंग ले रहीं 600 महिला कांस्टेबल रिक्रूट्स द्वारा 23 जुलाई 2025 को विरोध प्रदर्शन किया गया। उनका आरोप है उनको मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बिछिया स्थित पीएसी कैंप में रिक्रूट महिला सिपाहियों का रोते और चिल्लाते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो काफी वायरल हो रहा है। पीएसी ट्रेनी 600 महिला सिपाहियों ने कैंप में अव्यवस्था को लेकर अपना विरोध जाहिर किया। ये महिला सिपाही 2023 बैच की हैं और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से प्रशिक्षण के लिए पहुंची हैं। सिपाहियों ने खराब व्यवस्था, पानी और बिजली की समस्या को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
महिला सिपाहियों का विरोध और आरोप
23 जुलाई 2025 की सुबह गोरखपुर पीएसी ट्रेनिंग कैंप से महिला सिपाहियों के कुछ विडियो सामने आए। वीडियो महिला सिपाहियों द्वारा कहा जा रहा है कि उन्हें ना पानी की सुविधा है और ना ही बिजली की। एक महिला ट्रेनी ने कहा कि दो दिन से उन्हें पानी नहीं मिल रहा। मांगने पर प्रभारी कहते हैं कि मुहं में पाइप डाल देंगे। वहीं एक और महिला सिपाही बताती हैं कि एक-एक कमरे में 30-30 ट्रेनी महिला सिपाही को रखा गया है लेकिन पंखा एक ही है। टॉयलेट में गंदगी भरी पड़ी है। आरटीसी प्रभारी से कहने पर हमसे ही साफ करने के लिए कहा जाता है। “हमें यहां खुले में नहाना पड़ रहा है। सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, आप समझिए हमारे विडियो बन गए। जब व्यवस्था नहीं थी तो हमें बुलाना नहीं चाहिए था।” विडियो में एक महिला सिपाही कह रही हैं कि ट्रेनिंग सेंटर में 360 महिलाओं के रहने का इंतजाम है लेकिन वहां 600 महिला सिपाही रह रही हैं। इन्हीं सभी मुद्दों को लेकर सभी महिलाओं द्वारा प्रदर्शन कर विरोध जताया जा रहा है।
मामले की शुरुआत
महिला सिपाहियों का ट्रेनिंग से पहले हेल्थ चेकअप कराया जाता है। यही प्रक्रिया गोरखपुर में की गई। कई मीडिया चैनलों से मिली जानकारी के अनुसार, गोरखपुर डीआईजी रोहन पी. ने हेल्थ चेकअप के दौरान प्रेगनेंसी जांच कराने का भी आदेश जारी कर दिया था और इसके लिए सीएमओ को पत्र लिखकर मेडिकल टीम बुलाई गई। सूत्रों के अनुसार, महिला सिपाही इस आदेश से नाराज़ हो गईं। दूसरी ओर आईजी ट्रेनिंग चंद्र प्रकाश ने डीआईजी का आदेश निरस्त कर दिया और उन्होंने कहा कि किसी भी अविवाहित महिला सिपाही की प्रेगनेंसी जांच नहीं कराई जाएगी। अगर कोई प्रेगनेंट है तो वह स्वयं ही शपतपत्र देकर बाद में बैच में जा सकती है। इस समय सी सेंटर का माहोल गरमाया हुआ था।
बाथरूम में सीसीटीवी पर बयान
ट्रेनी महिला सिपाहियों द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि बाथरूम में सीसीटीवी लगे हुए हैं। इस आरोप पर पीएसी के कमांडेंट आनंद कुमार और जोन के आईजी प्रीतिंदर सिंह ने जांच कराई और बताया कि यह दावा पूरी तरह से बेबुनियाद है। बाथरूम के अंदर या पास कोई कैमरे नहीं लगाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अनुशासनहीनता के प्रति किसी भी प्रकार की कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी और सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भी कार्यवाई की तैयारी की जा रही है।
अखिलेश यादव और चंद्रशेखर ने क्या कहा
इन वीडियो के सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया हेंडल पर पोस्ट कर कहा है कि “गोरखपुर से महिला पुलिस रिक्रूट्स के ट्रेनिंग सेंटर की बदइंतज़ामी के दुर्भाग्यपूर्ण समाचार आ रहे हैं। न बिजली है, न पानी, न गरिमापूर्ण स्नानालय। जब मुख्य नगरी का ये हाल है तो शेष का क्या कहना। नारी वंदना भाजपा का जुमला है।” वहीं सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि “अगर महिला सिपाही सुरक्षित नहीं तो आम नागरिकों का क्या होगा, यह घटना गोरखपुर में हुई है जो यूपी के मुख्यमंत्री का ज़िला है। ऐसे में यह सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री की सीधी नैतिक और राजनीतिक जवाबदेही का प्रश्न है।
दो पुलिस अधिकारी निलंबित
इंडियन एक्सप्रेस के खबर के अनुसार, इस मामले पर ट्रेनी महिलाओं के विरोध प्रदर्शन करने के कुछ घंटों बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने शिकायतों का समय पर समाधान करने में विफल रहने के लिए दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। सरकार ने पुलिस प्रशिक्षण स्कूल (गोरखपुर) के डीआईजी रोहन पी कनय को भी हटा दिया और उन्हें प्रतीक्षा सूची में डाल दिया। एक बयान में, यूपी पुलिस ने कहा कि कमांडेंट आनंद कुमार और शारीरिक प्रशिक्षण निरीक्षक संजय राय, दोनों निलंबित, ने महिला रंगरूटों के साथ “अनुचित भाषा” का इस्तेमाल किया। इस खबर के सामने आने के बाद यह सोचने पर मजबूर किया जा रहा है कि जो महिलाएं कल देश के सुरक्षा की जिम्मेदारी उठायेंगी आज वो स्वयं इस तरह की अपमानजनक और असहनीय परिस्थितियों में जीने को मजबूर हैं। इस तरह की घटनायें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान और नारे पर सवाल उठाती हैं।
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