बुवाई का समय निकल चुका है, तो किसानों को बीज देने का क्या मतलब? सरकारी बीज वितरण योजना का मकसद फसल उत्पादन बढ़ाना है, लेकिन अगर सूचना और वितरण में ही समय पर जिम्मेदारी नहीं निभाई गई, तो इसका लाभ किसे होगा?
रिपोर्ट – श्यामकली, लेखन – सुचित्रा
सरकार द्वारा किसानों को बेहतर फसल उत्पादन के लिए हर वर्ष मिनी किट बीज वितरण की योजना चलाई जाती है, जो निशुल्क होती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराना है ताकि वे कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें। लेकिन महोबा जिले के कबरई ब्लॉक के कई गांवों में इस योजना का लाभ समय पर नहीं मिल पाने से किसान नाराज हैं।
मिनी किट में दिए जाने वाले बीज
तिल – 2 किलो
उड़द – 4 किलो
मूंग – 4 किलो
सावन – 3 किलो
ज्वार – 3 किलो
अरहर – 3 किलो
लेकिन सवाल उठता है कि जब बुवाई का समय निकल चुका है, तो किसानों को बीज देने का क्या मतलब? सरकारी बीज वितरण योजना का मकसद फसल उत्पादन बढ़ाना है, लेकिन अगर सूचना और वितरण में ही समय पर जिम्मेदारी नहीं निभाई गई, तो इसका लाभ किसे होगा?
बीज वितरण में देरी की वजह
रामगोपाल बताते हैं कि यह बीज सिर्फ उन्हीं किसानों को दिया गया जिनके पास कम से कम एक एकड़ ज़मीन और पंजीकृत किसान आईडी है। जिनके पास एक एकड़ से कम ज़मीन है, उन्हें मिनी किट नहीं मिला। यह बीज बीज भंडार के तहत केंद्रों से ही वितरित किया जाता है, और अधिक बीज की आवश्यकता होने पर किसान पैसे देकर भी खरीद सकते हैं।
समय पर जानकारी न मिलना
1 अगस्त 2025 से 15 अगस्त 2025 तक बीज लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। अब किसानों को बीज तभी मिलेगा जब वे ऑनलाइन आवेदन करेंगे। यह जानकारी कई किसानों को नहीं थी, इसलिए वे समय पर आवेदन नहीं कर सके।
गांव बिलबई प्रेम की एक महिला किसान बताती हैं कि उन्हें पहली बार यह बीज मिला है, लेकिन जानकारी देर से मिली। गांव के अन्य किसान जब बीज लेकर आ रहे थे, तभी उन्हें पता चला कि बीज भंडार महोबा से बीज मिल रहा है। लेकिन तब तक आषाढ़ माह की बुवाई का समय निकल चुका था। अब वह बीज घर में ही रखकर किसी अन्य काम में इस्तेमाल करेंगी।
दस्तावेज और कागज़ों की कमी
गांव सखिया की एक महिला बताती हैं कि वह बीज लेने तो पहुंच गई थीं, लेकिन उनके पास आधार कार्ड और किसान पंजीयन नहीं था। बिना पंजीयन के मशीन अंगूठा का निशान (फिंगर प्रिंट) नहीं लेती इसलिए उन्हें लौटना पड़ा। अब वे फिर से सारे कागज़ लेकर आईं हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें कोई भी बीज – चाहे अरहर, मूंग या उड़द – जो मिलेगा, वह ले लेंगी।
मशीनी तकनीक के चलते वितरण में देरी
गांव छिकहरा के राम लखन ने बताया कि उन्हें कई बार अंगूठा लगाना पड़ता है, मशीन बार-बार फेल हो रही है। कभी अंगूठा नहीं लग रहा तो कभी मशीन में तकनीकी समस्या आ रही है। इससे किसानों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
केंद्र प्रभारी ने किसानों को जिम्मेदार ठहराया
रामगोपाल, केंद्र प्रभारी, केंद्रीय कृषि बीज भंडार, कृषि रक्षा इकाई, जनपद महोबा ने बताया कि जून के महीने में बीज आ गया था। शुरुआत में कुछ ही किसान आए बाकी अपने कामों में व्यस्त थे। अब जब बुवाई का समय निकल गया है तब किसान आ रहे हैं।
जून 2025 से वर्तमान अगस्त तक
उन्होंने यह भी बताया कि 1100 किसानों को 2 किलो का तिल मिनी किट दिया जा चुका है। 830 किसानों को 4 किलो उड़द का बीज दिया गया।
300 किसानों ने बाजरा लिया।
80 किसानों ने सावा (एक प्रकार का मोटा अनाज है जिसे भारतीय बाजरा भी कहा जाता है) बीज लिया।
1115 किसानों को अरहर दिया गया।
बचे हुए किसानों की संख्या जिन्हें बीज दिया जाना बाकी है
190 किसान जिन्हें तिल देना है।
400 किसान जिन्हें उड़द देना है।
20 किसान जिन्हें सावा देना
40 किसान जिन्हें ज्वार देना है।
50 किसान जिन्हें अरहर देना है।
यह जानकारी शुक्रवार 8 अगस्त 2025 को महोबा के केंद्रीय भंडार में केंद्र प्रभारी रामगोपाल ने दी। उन्होंने कहा कि इन किसानों को बीज नहीं मिल सका क्योंकि उनका फिंगरप्रिंट सिस्टम में नहीं आ रहा था, या पंजीयन अधूरा था। उनको सलाह दी गई है कि फिंगर अपडेट करवाएं, तभी बीज मिलेगा।
समय पर जानकारी और जागरूक करना जरुरी
ग्रामीण स्तर पर किसानों तक इस तरह की योजना की जानकारी कम पहुँच पाती है। जो लोग पढ़े लिखे होते हैं या किसी का किसी अधिकारी से जान पहचान होती है उन्हें जानकारी मिल जाती है और वह योजना का लाभ उठा लेते हैं, लेकिन उन लोगों के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए जिससे सभी किसानों को इस मुफ्त बीज वितरण योजना का लाभ मिल सके। यदि किसानों को समय से सूचना दी जाए। तकनीकी सहायता और ऑनलाइन पंजीकरण में सहयोग दिया जाए और बीज बुवाई से पहले बीज वितरित हो तो किसानों को फायदा हो। ऐसे सिर्फ नाम के लिए देरी से समय निकलने के बाद बीज बाटने से क्या फायदा? किसानों की मेहनत और उनकी फसल के भविष्य के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि ऐसी योजनाएं केवल कागजों पर नहीं, ज़मीन पर सही समय पर दी जाए।
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