अधीक्षक (एएसपी) अशोक कुमार सिंह ने बताया कि छात्र की पहचान कृतार्थ नाम के रूप में की गई है। कृतार्थ को 23 सितंबर को स्कूल के हॉस्टल (छात्रावास) से एक शिक्षक ने अगवा कर लिया था जिसकी बलि देने के लिए एक सुनसान जगह पर ले जाया गया। जब छात्र जाग गया और रोने लगा तो उसका गला घोंटकर मार दिया गया। पोस्टमार्टम में गला दबाने की पुष्टि हुई है।
लेखन – सुचित्रा
यूपी के हाथरस में डीएल पब्लिक स्कूल के 11 वर्षीय दूसरी कक्षा के छात्र की बलि के नाम पर हत्या कर दी गई। राज्य पुलिस ने जानकारी दी कि कथित स्कूल का नाम रोशन करने और स्कूल के मालिक और परिवार पर आई परेशानियों का समाधान करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया। पुलिस ने इसके आरोप में स्कूल के मालिक, मालिक के बेटे, प्रिंसिपल और 2 शिक्षकों शुक्रवार 27 सितंबर, 2024 को गिरफ्तार कर लिया। यह मामला सोमवार 23 सितम्बर 2024 को सामने आया, जब लड़के के पिता ने शिकायत दर्ज करवाई।
लोगों में अन्धविश्वास ने इस तरह जगह बना ली है कि वो किसी भी हद तक जा सकते हैं, यहां तक की जान भी ले सकते हैं। हाथरस के सहपऊ थाना क्षेत्र के रसगवां गांव में स्थित एक आवासीय विद्यालय में इसी तरह की घटना सामने आई। स्कूल मालिक का तंत्र विद्या में इतना विश्वास था कि उसने “बलिदान अनुष्ठान” के रूप में एक छात्र की बलि चढ़ा दी।
परेशानियों और स्कूल ने नाम रोशन के लिए चढ़ाई बलि
लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक डीएल पब्लिक स्कूल के मालिक जसोधन सिंह ने अपने बेटे दिनेश बघेल, जोकि स्कूल के निदेशक हैं। उनसे स्कूल और अपने परिवार की “समृद्धि” के लिए एक बच्चे की बलि देने को कहा। छात्राओं का स्कूल में एडमिशन होने के बावजूद भी कक्षाओं में छात्रों की संख्या कम थी। मालिक जसोधन सिंह ने आवासीय विद्यालय शुरू करने के लिए उधार (ऋण) भी लिया था। इन सब परेशानियों को दूर करने के लिए उन्होंने ये तरकीब अपनाई और एक बच्चे की बलि दे दी।
पूरा मामला
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अशोक कुमार सिंह ने बताया कि छात्र की पहचान कृतार्थ नाम के रूप में की गई। कृतार्थ को 23 सितंबर को स्कूल के हॉस्टल (छात्रावास) से एक शिक्षक ने अगवा कर लिया था जिसकी बलि देने के लिए एक सुनसान जगह पर ले जाया गया। जब छात्र जाग गया और रोने लगा तो उसका गला घोंट दिया गया। पोस्टमार्टम में गला दबाने की पुष्टि हुई है।
कार में मिला बच्चे का शव
लड़के के पिता ने बताया, “हमने आगरा तक उनका पीछा किया, लेकिन उन्होंने कार नहीं रोकी। जब हम वापस लौटे, तो सादाबाद में उनसे मिले, जहां हमें उनकी कार में बच्चे का शव मिला।”
पांच लोग गिरफ्तार
हाथरस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अशोक कुमार ने बताया, “हमने स्कूल के निदेशक दिनेश बघेल, उनके पिता जसोधन सिंह और तीन शिक्षकों रामप्रकाश सोलंकी, वीरपाल सिंह और लक्ष्मण सिंह को गिरफ्तार किया है।”
पहले भी बलि देने का प्रयास
एनडीटीवी के अनुसार, इस तरह की कोशिश पहले भी की गई थी लेकिन वह असफल रहे। आरोपियों ने इससे पहले 6 सितंबर को एक अन्य छात्र की बलि देने की कोशिश की थी।
अंधविश्वास के नाम पर हत्या
उत्तर प्रदेश के बहराइच शहर के खेतों में 10 साल के बच्चे का शव मिला था जो काले जादू की रस्म में “बलि” की भेंट चढ़ गया। पुलिस ने बताया कि अनूप का 2.5 साल का बेटा है जो अक्सर बीमार रहता है। जब इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ तो वह एक स्थानीय जादू-टोना करने वाले के पास गया जिसने बच्चे की सेहत सुधारने के लिए बलि चढ़ाने का सुझाव दिया।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 15 जून 2023 को उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के गांव में मानव बलि के मामले में चार वर्षीय एक लड़के की कथित तौर पर हत्या कर दी गई। पुलिस ने बताया कि बच्चे की सौतेली माँ को बताया गया था कि एक बच्चे की बलि देनी होगी ताकि वह खुद एक बच्चे को जन्म दे सके।
पुलिस ने 2019 में एक हिंदू मंदिर में एक महिला की बलि चढ़ाने के मामले में पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया था। पुलिस ने बताया कि असम की राजधानी गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर में 64 वर्षीय शांति शॉ का सिर कुल्हाड़ी से काटकर मंदिर की देवी को “भेंट” के लिए चढ़ाया गया था।
इस मामले में आरोपियों का मानना था कि बलि देने से मृतक की आत्मा प्रसन्न होगी। आरोपी के भाई की मृत्यु 11 वर्ष पहले हो गई थी और वह कथित तौर पर अपने भाई की याद में उसकी मृत्यु की तिथि पर मृत्यु की वर्षगांठ मनाना चाहता था।
भारत में अंधविश्वास को लेकर इस तरह की खबरे सामने आती रहती हैं। देवताओं को खुश करने के लिए बच्चों की बलि दी जाती है लेकिन इस तरह का अंधविश्वास कहां तक मान्य है? क्योंकि बलि के नाम पर किसी इंसान की हत्या करना भी एक अपराध है। अन्धविश्वास के चलते अपने प्रियजनों या किसी के बच्चों या व्यक्ति की बलि चढ़ाना क्या सही है? अन्धविश्वास तर्क को इतना ख़त्म कर देता है कि लोग सोचना बंद कर देते हैं और इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं। आज भी मानव बलि जैसी प्रथा हमारे देश में है जो इस तरह के आंकड़ें को बढ़ाने में मदद करती है। बहुत सी घटनाएँ हमारे सामने नहीं आती लेकिन ऐसे कई मामले हैं जिनमें कई मासूमों की बलि के नाम पर जान ले ली जाती है।
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