यूपी सरकार ने राज्य भर में तीन श्रेणियों में गाय की जनगणना करने का आदेश दिया है। इसमें पशुपालकों के पास निराश्रित पशुओं, सड़कों पर छोड़ी गई गायों और कान्हा उपवनों की संख्या निर्धारित करना शामिल है।
Cow Census: यूपी सरकार अब गायों की जनगणना करवाएगी। लोकसभा चुनाव के लिए भला इससे अच्छा मुद्दा क्या होगा? कुछ ही महीने बाकी है लोकसभा चुनाव में और गाय से संबंधित चीज़ें तो हमेशा से ही राजनीति का मुद्दा रही हैं, क्योंकि “गाय हमारी माता जो हैं।”
सोमवार को आये एक बयान के अनुसार, यूपी सरकार ने राज्य भर में तीन श्रेणियों में गाय की जनगणना करने का आदेश दिया है। इसमें पशुपालकों के पास निराश्रित पशुओं, सड़कों पर छोड़ी गई गायों और कान्हा उपवनों की संख्या निर्धारित करना शामिल है। परंतु सवाल यह है कि क्या जनगणना से गाय का भला हो जाएगा?
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में जियो टैगिंग लागू करने का भी आदेश दिया। “पहले चरण में इन गायों की गिनती की जाएगी। अगले चरण में, यह सुनिश्चित करने के लिए एक योजना तैयार और कार्यान्वित की जाएगी कि उन्हें उपयुक्त आवास प्रदान किया जाए।”
यूपी सरकार ने कहा, “वर्तमान में, 6,889 निराश्रित पशु प्रजनन स्थलों में 11.85 लाख गायों को संरक्षित किया गया है, जबकि 1.85 लाख से अधिक गायों को गौ संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत गौ सेवकों को सौंप दिया गया है।”
लोकसभा चुनाव करीब है तो फिर ‘गऊ माता’ यानी गाय की याद आना लाज़मी है। पहले जनगणना करने में समय जाएगा और फिर इतने में ही लोकसभा चुनाव आ जाएगा। तब तक यह मुद्दा चुनावी हथियार के लिए तैयार हो चुका होगा और वोट के लिए धार्मिक आस्था से जुड़े प्रतिबिंब को जोड़ना, यह तो हमेशा से ही राजनीति का समीकरण रहा है जो एक बार फिर देखने को मिल रहा है।
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सपा अध्यक्ष ने मारे गए अन्ना जानवरों को लेकर मांगा जवाब
गाय से जुड़ी जनगणना को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X प्लेटफार्म पर ट्वीट करते हुए लिखा, “छुट्टा पशुओं के लिए भाजपा सरकार स्पष्टीकरण दे : भाजपा शासन में कितने लोग छुट्टा पशुओं की वजह से मारे गये या घायल हुए, छुट्टा पशुओं के कारण जिनकी मौत हुई उनमें से कितनों को मुआवज़ा दिया गया और कितना दिया गया, जो गौशालाएं खोली गयीं हैं उनमें कुल कितने छुट्टा पशु हैं, गौशालाओं के काम का आंकलन कब किया गया और उसके क्या परिणाम निकले।”
छुट्टा पशुओं के लिए भाजपा सरकार स्पष्टीकरण दे :
– भाजपा शासन में कितने लोग छुट्टा पशुओं की वजह से मारे गये या घायल हुए
– छुट्टा पशुओं के कारण जिनकी मौत हुई उनमें से कितनों को मुआवज़ा दिया गया और कितना दिया गया
– जो गौशालाएं खोली गयीं हैं उनमें कुल कितने छुट्टा पशु हैं
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 6, 2023
यूपी में गौवंश से जुड़े मामलों की रिपोर्ट
वैसे तो यूपी सरकार से गायों से जुड़ी कई योजनाएं लागू की हैं जिसमें पशु शेड योजना, यूपी गौशाला योजना,मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना इत्यादि कई योजनाएं शामिल हैं। इतनी योजनाएं होने के बावजूद गाय गौशाला में नहीं सड़कों पर दिखती हैं। आये दिन वह किसी न किसी सड़क दुर्घटना में अपनी जान गवां बैठती हैं। गौशालाओं की स्थिति भी कुछ खासा बेहतर नहीं है। इससे संबंधित खबर लहरिया ने कई रिपोर्टिंग की है।
खबर लहरिया की जनवरी 2023 की रिपोर्ट में, किसान यूनियन के नरैनी तहसील अध्यक्ष दिनेश पटेल ने बताया, गौशालाओं में गौवंश की सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ होता है। इसे भक्ति कहें या गोवंश के साथ ज़्यादती। पहले यही गोवंश बिक जाते थे। अन्ना जानवर नहीं घूमते थे। सीमित होते थे तो लोग अपने घरों में बांधते थे जिससे किसानों की फसलें भी सुरक्षित रहती थी और जो गोवंश आज सड़कों पर हैं या गौशालाओं में ठंड से हो या भूख से मौत के शिकार हो रहे हैं, वह भी नहीं होते थे पर आज की स्थिति ऐसी है कि गोवंश जिसको गौ माता कहते हैं वह मारी-मारी फिर रही हैं। उन्हें रखने के लिए किसी के घरों में अब जगह ही नहीं है और सरकार जो गौशाला बनवाए हुए हैं और उनके खान-पान रख-रखाव के लिए बजट दे रही है, वह सिर्फ गौशालाओं और रख-रखाव के जिम्मेदार लोगों के लिए उनकी कमाई के ज़रिये से ज़्यादा और कुछ नहीं दिखाई देता। अभी हाल ही में हफ्ते भर पहले रिसौरा गांव में लगभग पांच गौवंश की मौत हुई है।
सितंबर 2022 की रिपोर्ट बताती है, यूपी के बुंदेलखंड के बांदा जिले में सड़क पर बैठे जानवरों को वाहन के द्वारा रौंद कर मौत के घाट उतार दिया गया। वहीं कई गौशालाएं ऐसी हैं जहाँ पर जानवरो को चारा-भूसा न मिलने के कारण वो भूख और प्यास से तड़प-तड़प कर मर रहे हैं।
अप्रैल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, “बांदा जिले में लगभग 300 स्थाई और अस्थाई गौशाला हैं लेकिन गौशालाओं की स्थिति बेहद खराब है। ताज़ा उदाहरण महुटा गांव में बानी गौशाला है जहाँ आये दिन गायें मरती हैं। 7 अप्रैल को हमारी रिपोर्टर जब वहां कवरेज के लिए पहुंची तो उन्होंने देखा कि वहां तो गोवंश के खाने के पीने की कोई खास व्यवस्था नहीं थी। जानवर बिल्कुल कमजोर इधर-उधर टहल रहे थे। कुछ जानवर सूखी घास (धान का पैरा) खा रहे थे।”
यह मामले तब सामने आ रहे हैं जब यूपी सरकार यह कहे जा रही है कि वह प्रदेश में गायों को लेकर योजनाएं चला रही है। करोड़ों का बजट पास कर रही है। अगर ये सब हो रहा है तो फिर इन मौतों का, इन मामलों की क्या वजह है?
आउटलुक की जनवरी 2023 की प्रकाशित रिपोर्ट बताती है, 2019 पशुधन जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 1.6 मिलियन आवारा गायें हैं। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से इस संख्या में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
क्या सरकार इन बढ़े आंकड़ों को लेकर जवाब दे सकती है? क्या जनगणना करने से अब गायों की मौतें नहीं होगी? जिन योजनाओं का अब तक कोई असर नहीं हुआ, क्या वे योजनाएं जनगणना के बाद ज़्यादा असर करेगी? खैर, चुनाव के लिए मुद्दा तो काफी बेहतर है, अगर काम भी हो जाए तो……
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