खबर लहरिया Blog यूपी में 27,000 सरकारी स्कूल हो सकते हैं बंद, जानें वजह व असर

यूपी में 27,000 सरकारी स्कूल हो सकते हैं बंद, जानें वजह व असर

उत्तर प्रदेश में महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने जून में यू-डायस पोर्टल से प्रत्येक जिले के ऐसे स्कूलों की जानकारी इकट्ठा की थी, जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या 50 से कम है। इस साल 23 अक्टूबर 2024 को एक समीक्षा बैठक की गई थी। बैठक में ऐसे स्कूलों की पहचान करने जिनका प्रदर्शन खराब रहा है और उन स्कूलों को नजदीक के स्कूलों में विलय की तैयारी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही स्कूलों से इस पर जवाब भी मांगा था।

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                                                                                                                                               सांकेतिक तस्वीर

यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र हैं उन स्कूलों को बंद किया जायेगा। ऐसे स्कूलों की संख्या राज्य में 27,764 है और इन स्कूलों को नजदीक के विद्यालय में मिलाया (विलय) जाएगा। शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने में 23 अक्टूबर को एक समीक्षा बैठक की थी। ब्लॉक स्कूल प्रशासकों (बीएसए) को इन स्कूलों के विलय (एकीकरण) के संबंध में 13 नवंबर या 14 नवम्बर तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। इस कदम को बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने अनुचित बताया और स्कूलों को बंद करने के बजाय इसमें सुधार करने को कहा है।

उत्तर प्रदेश में महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने जून में यू-डायस पोर्टल से प्रत्येक जिले के ऐसे स्कूलों की जानकारी इकट्ठा की थी, जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या 50 से कम है। इस साल 23 अक्टूबर 2024 को एक समीक्षा बैठक की गई थी। बैठक में ऐसे स्कूलों की पहचान करने जिनका प्रदर्शन खराब रहा है और उन स्कूलों को नजदीक के स्कूलों में विलय की तैयारी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही स्कूलों से इस पर जवाब माँगा था।

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स्कूलों को बंद करने के पीछे का उद्देश्य

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केन्द्र सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है, ताकि स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सके। इसके साथ ही जो भी उपलब्ध संसाधन है उसका अधिकतम उपयोग किया जा सके।

एक अधिकारी ने कहा, “इसका प्राथमिक उद्देश्य कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को अधिक नामांकन वाले नजदीकी स्कूलों में एकीकृत करके संसाधनों को समेकित करना है।”

इन बिंदुओं पर की जायगी चर्चा

इस फैसले पर काम करने के लिए अधिकारी इस बात पर चर्चा करेंगे कि ऐसे कौन से स्कूल हैं जिन्हें नजदीकी स्कूल में मिलाया (मर्ज) जा सकता है? नजदीक के स्कूलों के लिए बच्चों को कितनी दूरी तय करनी होगी, बिल्डिंग की उपलब्धता, शिक्षकों की उपलब्धता की जानकारी इसमें शामिल होगी। रिपोर्ट तैयार करते समय प्रत्येक स्कूल के लिए एक पेज का नोट तैयार करना होगा और ऐसे सभी स्कूलों के बारे में एक जिला पुस्तिका तैयार करनी होगी। प्रत्येक स्कूल को अपने स्कूलों की मौजूदा स्थिति के बारे में एक पन्ने की टिप्पणी देनी होगी।

बसपा सुप्रीमों ने फैसले को अनुचित ठहराया

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए कहा कि, “यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहाँ और कैसे पढ़ेंगे?

उन्होंने आगे लिखा कि, “सरकार की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसाकि सर्वे से स्पष्ट है, किन्तु सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं।”

स्कूल बंद होने से शिक्षक की भर्ती पर भी प्रभाव

ऐसे में हजारों की संख्या में स्कूल बंद होने से सरकार की तरफ से निकाली जाने वाली शिक्षक भर्ती की नौकरियों पर भी असर पड़ेगा। जो लोग इतने साल से शिक्षक भर्ती की उम्मीद लगाए हुए हैं उनकी उम्मीदों पर भी पानी फिर सकता है।

 

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