उत्तर प्रदेश में बाढ़ से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इसके साथ उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है जिसमें से एक है शौचालय से संबंधित समस्या।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – रचना
उत्तर प्रदेश में इस समय बारिश ने तबाही मचा दी है। लगातार हो रही भारी बारिश के कारण कई जिलें बाढ़ के चपेट में है। कितनो के घर उजड़े और जानें भी गईं। यमुना नदी का जल स्तर बढ़ने से गांवों में हालात और भी बिगड़ गई है। बाढ़ आने से कई मुसीबतों के साथ एक बड़ी समस्या शौचालय की भी सामने आ रही है। खबर लहरिया की टीम ने प्रयागराज और चित्रकूट दोनों जिलों में ग्राउंड रिपोर्टिंग किया है और पाया है कि बाढ़ से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इसके साथ उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है जिसमें से एक है शौचालय से संबंधित समस्या।
गांवों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग नाव से तीन से चार किलोमीटर दूर खेतों में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं। न तो घरों में शौचालय है और न ही कोई सुरक्षित सार्वजनिक व्यवस्था। यहां पर सरकार की हर-घर शौचालय की योजना भी धुंधली दिखाई पड़ती है।
नाव से शौच के लिए जाना खतरे से खाली नहीं
प्रयागराज जिले के जसरा ब्लॉक के कंजासा गांव के महिलाओं के साथ बात की गई। वहां की रहने वाली राजकुमारी बताती हैं कि “जब बाढ़ आती है तो सबसे ज़्यादा परेशानी शौचालय की होती है। हमें कभी शौचालय मिला ही नहीं है। घर में भी नहीं बना है। अभी चारो तरफ पानी ही पानी है ऐसे में हम कहां जाएं।” कई महिलाओं ने बताया कि बाढ़ के समय पेट खराब हो जाए तो बहुत दिक्कत होती है। सबसे ज़्यादा दिक्कत बच्चों की होती है। उन्हें नाव से शौच के लिए दूर लेकर जाते हैं लेकिन डर लगा रहता है कि नाव डूब न जाए क्यों कि पानी इतना ज़्यादा भरा होता है। एक ग्रामीण महिला संगीता का कहना है कि “बाढ़ आए कई दिन हो गए हैं और घर चारो तरफ से पानी से घिरा है। हम महिलाएं और बच्चे सुबह-शाम नाव से पांच किलोमीटर दूर खेत में शौच करने जाते हैं, और कोई रास्ता ही नहीं है।”
खुले में शौच के दौरान सांप – कीड़े का खतरा
दूसरी तरफ चित्रकूट के मऊ ब्लॉक के मन्डौर गांव के महिलाओं से भी इस विषय पर बात की गई। वहां की महिलाएं बताती हैं कि पूरा गांव पानी से भरा हुआ है। बस्ती और खेत सब डूब गया है। ऐसे में किसी भी काम के लिए एक मात्र सहारा नाव ही है। कहीं जाने के लिए भी और कुछ जरुरत का सामान लाने के लिए भी। उन्होंने ने भी यही बताया कि वहां अभी तक शौचालय नहीं बना है। ऐसे में नाव से बच्चों और महिलाओं को ले जा कर खुले में शौच कराते हैं। अनीता नाम की एक महिला बताती हैं कि “हम लोग नाव से शौच करने जाते हैं। एक बार खेत में शौच के लिए गई तो सांप पैरो में लिपट गया। हम बहुत डर गए थे। हमारे चिल्लाने पर आस-पास के लोग आए, हमने पैर झटका तो सांप भागा। अगर काट लेता तो कुछ भी हो सकता था।” उन्होंने बताया कि जब बाढ़ आती है तो सांप-बिच्छू का ज़्यादा डर होता है। सांप-बिच्छू सूखे खेतों और घरों में आ जाते हैं। ऐसे में शौच के लिए जाना बहुत खतरनाक है।
शौचालय नहीं बना सिर्फ सर्वे हुआ
कंजासा की रहने वाली चिन्ता ने बताया कि गांव में शौचालय का सर्वे तो हुआ है लेकिन अभी भी शौचालय नहीं बना है। लोगों के बोलने पर तसल्ली दी जाती है कि शौचालय बन जाएगा लेकिन वो तसल्ली भी झूठी निकलती है। उनका कहना था कि महिलाएं और उनकी बड़ी-बड़ी लड़कियां और बहु मजबूरी में खुले में शौच के लिए जाते हैं। चिन्ता देवी कहती हैं कि “हम गरीबों का कोई सुनने वाला नहीं है। बाढ़ में तो दिक्कत होती है लेकिन बाकी मौसम में भी हम शौचालय के परेशानियों से जूझते हैं।”
प्रशासन का जवाब
इस विषय पर प्रशासन से भी जानकारी ली गई। प्रयागराज के कंजासा गांव के प्रधान दिनेश कुमार से पूछे जाने पर उनका कहना था कि गांव की आबादी सात हजार है। और उनके कार्यकाल में दो हजार शौचालय दिए जा चुके हैं जिसमें से कुछ शौचालय बाढ़ से डूब गया है। बाकी लोगों का भी शौचालय के लिए सर्वे किया जा चुका है उन्हें भी सुविधा दी जाएगी। उनका आगे कहना था कि फ़िलहाल जिनको ज़्यादा दिक्कत हो रही है वे पास के स्कूल में चले जाएं क्योंकि कुछ लोग वहां रह भी रहे हैं।
चित्रकूट के मन्डौर गांव की प्रधान शिवानी का इस विषय पर कहना था कि लोगों को शौचालय के लिए कुछ सुविधा दी गई थी। लेकिन उन्होंने बनवाया नहीं। उनका कहना था यहां की आबादी पांच हजार है। गांव में ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित किया गया था तब सबको शौचालय मिला था।
चित्रकूट में बीडीओ (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर, खंड विकास अधिकारी) ओम प्रकाश यादव का कहना है कि बाढ़ प्रभावित गांवों में तहसील स्तर से व्यवस्था की गई है। लोगों को स्कूलों में ठहराया गया है, वहीं शौच की व्यवस्था भी है। जिन लोगों को शौचालय नहीं मिला है वे अपने आधार और पासबुक प्रधान के पास जमा कर दें उन्हें भी शौचालय की सुविधाएं दी जाएगी।
कहां है हर घर शौचालय
शौचालय का न होना सिर्फ असुविधा नहीं ये एक गंभीर खतरा है खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए। बाढ़ के हालात में यह परेशानी और बढ़ जाती है। जब सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं कि हर घर में शौचालय बना है तो फिर इन गांवों में लोग क्यों अब भी खुले में जाने को मजबूर हैं?
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