पीपीएस (प्रांतीय पुलिस सेवा) अधिकारी जुगल किशोर को 2008 में आईपीएस कैडर का पद दिया गया था। जुगल किशोर गाजीपुर, बाँदा, वाराणसी, इलाहबाद, लखनऊ, चित्रकूट और बहराइच से एसपी भी रह चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के डीआईजी फायर सर्विस जुगल किशोर तिवारी को कल बुधवार 10 जुलाई को निलंबित कर दिया। यूपी में इसकी खूब चर्चा हो रही है क्योंकि यूपी में यह चर्चित नामों में से एक थे। उन पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया। उन पर एक सिपाही पर भ्रष्टाचार के आरोप की जाँच न करने, 2 साल से अधिक बार छुट्टी लेने और एक सरकारी ड्राइवर की मदद करने जैसे आरोप लगाए गए।
पीपीएस (प्रांतीय पुलिस सेवा) अधिकारी जुगल किशोर को 2008 में आईपीएस कैडर का पद दिया गया था। जुगल किशोर गाजीपुर, बाँदा, वाराणसी, इलाहबाद, लखनऊ, चित्रकूट और बहराइच से एसपी भी रह चुके हैं। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डीजीपी मुख्यालय में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने निलंबन की पुष्टि की है।
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डीआईजी जुगल किशोर पर आरोप
एक सिपाही के खिलाफ पुलिस अधीक्षक फायर ने उन्हें कार्रवाई की सिफारिश और जाँच के आदेश दिए थे लेकिन जुगल किशोर ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। इस मामले के लिए डीजीपी मुख्यालय ने जाँच शुरू की थी और डीआईजी जुगल किशोर के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा था।
आज तक की रिपोर्ट बताती है कि डीआईजी जुगल किशोर ने उन्नाव में तैनात फायरमैन को मिली सजा को ख़त्म किया था इसलिए उन्हें ससपेंड कर दिया गया। उन्नाव में फायर विभाग का ड्राइवर बीमारी के चलते छुट्टी पर था जिसमें बिना अनुमति के ड्यूटी से गायब रहने पर उसे एक साथ दो सजा दी गई थी। ड्राइवर को 3 साल के लिए न्यूनतम वेतन दिया गया, साथ ही छुट्टी की अवधि में लीव विथाउट पेमेंट यानी बिना वेतन के छुट्टी दी थी।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट रिपोर्ट बताती है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि डीजीपी मुख्यालय ने किशोर के निलंबन के लिए सिफारिश की थी और आठ महीने पहले सरकार को रिपोर्ट भेजी थी। एएसपी रैंक के अधिकारी को फायरमैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का काम सौंपा गया था।
इन सब आरोप का जवाब देते हुए जुगल किशोर ने कहा कि, “मैंने नियमतः काम किया है। उचित फोरम में अपनी बात रखूंगा।”
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