खबर लहरिया औरतें काम पर चित्रकूट: दलित महिला का प्रधान से ब्लॉक प्रमुख का सफ़र

चित्रकूट: दलित महिला का प्रधान से ब्लॉक प्रमुख का सफ़र

अगर इन्सान ठान ले मुझे अपने सपने पूरे करने हैं या कुछ अलग करके खुद की अपनी पहचान बनानी है तो मुश्किल ज़रूर हो सकती है लेकिन नामुमकिन नहीं। कोशिश और हिम्मत हौसले की ताकत मंजिल तक जरूर पहुंचाएगी। तो आइए मैं मिलवाती हूं एक ऐसी ही महिला से जिन्होंने अपने बल पर समाज के तानों को ध्यान न देते हुए सिर्फ और सिर्फ अपने लक्ष्य को देखा। अपनी मंजिल वो कैसे पाएंगी उस पर ध्यान दिया।

ये भी देखें –

छतरपुर: लड़कियों के लिए मिसाल हैं 3 फुट की साहिबा खातून

चित्रकूट जिले के मऊ ब्लाक के एक छोटे से गांव कोलमजरा की रहने वाली सुशीला। ये दलित समुदाय से हैं। दो बहनें हैं। भाई नहीं था। मां-बाप इन्हें बेटे की तरह परवरिश दे रहे थे जो समाज को नगावार गुज़र रहा था। स्कूल की पढ़ाई करने के बाद गांव में कोई कॉलेज नहीं था। जो इन्टर या ग्रेजुएशन की जा सकती है उसके लिए गांव से बाहर जाना पड़ा।

ये भी देखें –

महोबा: नन्हीं बच्चियां बन गयीं आल्हा गायन की बुलंद आवाज़ की पहचान

स्कूल तो सिर्फ पांचवी तक ही था। उसके बाद चार किलोमीटर पैदल चल कर सातवीं-आठवीं की पढ़ाई की। फिर मऊ से इन्टर और बीए की पढ़ाई की। ये समय ऐसा था कि इन्हें मिलो पैदल चलना पड़ता था। इस बीच उच्च जाति के लोगों के ताने समाज के ताने मिलते ‘पढ़ के मैडम बनेगी, कलेक्टर बनेगी।’ इन सब तानों की मानों सुशीला को आदत बन गई थी। वो देख रही थी सिर्फ पुलिस बनने का सपना। इसके लिए उन्होंने पढ़ाई तो की लेकिन आ गई राजनीति में। लोगों के कहने से उन्होंने पिछले पंचवर्षीय प्रधानी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस बार निर्विरोध ब्लाक प्रमुख का चुनाव जीत कर ये दिखा दिया की कोशिश करने से कामयाबी ज़रूर मिलेगी भले ही कुछ चुनौतियां हो, मुश्किलें हो।

ये भी देखें –

क्या महिलाओं पर हाथ उठाना मर्दानगी है ? बोलेंगे बुलवाएंगे शो

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें

If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke