मन्डौर की किसान सोना ने बताया, “इस समय बाजरा में दाने पक चुके हैं, लेकिन बारिश के कारण भुकूड़ी लग गई है। अगर धूप न निकली तो पूरा बाजरा भरसरहरा होकर सड़ जाएगा। हम लोग ठंड के समय इसी बाजरे से चावल, रोटी और भूसा तैयार करते हैं। यह मोटा अनाज है और सेहत के लिए फायदेमंद भी, लेकिन इस बारिश ने सब बर्बाद कर दिया।”
लगातार खराब मौसम और रिमझिम बारिश से किसानों की बाजरा की फसल बर्बाद हो रही है। किसानों का कहना है कि वे हर बार किसी न किसी प्राकृतिक आपदा की मार झेलते हैं – कभी बारिश, कभी बाढ़ तो कभी ओलावृष्टि से फसलें चौपट हो जाती हैं। इस समय हल्की रिमझिम बारिश ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। उन्हें डर है कि यदि भारी बारिश हुई तो फसल पूरी तरह नष्ट हो जाएगी।
जिला चित्रकूट के मऊ ब्लॉक के गांव मन्डौर और सुरौंधा के किसानों ने बताया कि तीन दिन से मौसम लगातार खराब है और धूप नहीं निकली है। आज भी सुबह से हल्की बारिश हो रही है। 27 अक्टूबर की सुबह 4 बजे से हल्की रिमझिम बारिश हो रही है, जिससे पकी हुई बाजरा फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। कई किसानों की फसल खेतों में कटी पड़ी है और बाजरे की बालियों में “भुकूड़ी” लग गई है। इससे दाने सड़ रहे हैं और खाने लायक नहीं रहेंगे।
क्या है बाजरा
बाजरा एक मोटा अनाज (Millet) है, जो मुख्य रूप से सूखे और अर्धशुष्क इलाकों में उगाया जाता है। इसे पर्ल मिलेट (Pearl Millet) भी कहा जाता है। भारत में खासकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में बाजरा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। बाजरे की रोटी, बाजरे की खिचड़ी, बाजरे का दलिया, बाजरे का उपमा या पुलाव, बाजरे की लड्डू/चूरमा, बाजरे का ढोकला या इडली, बाजरे का पकोड़ा या चीला भी बनाया जाता है।
बाजार में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें फाइबर, आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह शरीर को ऊर्जा और गर्मी देता है, इसलिए इसे खासकर सर्दियों में खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है।
बाजरा की फसल ख़राब होने से किसान परेशान
मन्डौर की किसान सोना ने बताया, “इस समय बाजरा में दाने पक चुके हैं, लेकिन बारिश के कारण भुकूड़ी लग गई है। अगर धूप न निकली तो पूरा बाजरा भरसरहरा होकर सड़ जाएगा। हम लोग ठंड के समय इसी बाजरे से चावल, रोटी और भूसा तैयार करते हैं। यह मोटा अनाज है और सेहत के लिए फायदेमंद भी, लेकिन इस बारिश ने सब बर्बाद कर दिया।”
गांव की ऊषा देवी ने बताया कि उन्होंने एक बीघा में बाजरा बोया था जो अब खेत में कटा पड़ा है। “बाजरे की बालियां सड़ रही हैं, इससे इंसानों के साथ जानवरों का चारा भी खराब हो गया है। हम लोग जानवरों के लिए सालभर बजरेठा रखते हैं, लेकिन इस साल वह भी रिमझिम बारिश में चौपट हो गया। अगर भारी बारिश हुई तो कुछ नहीं बचेगा।
किसान सीताराम ने बताया, “हम पूरी तरह खेती पर निर्भर हैं। बच्चों की पढ़ाई, दवा-दर्पण और शादी-ब्याह सब इसी से चलता है। इस साल बाजरा में भुकूड़ी लगने से बाजार में दाम गिर जाएंगे। व्यापारी खराब दाने देखकर खरीदते नहीं हैं। फसल की सुंदरता और स्वाद दोनों खत्म हो गए हैं।” उन्होंने बताया कि क्षेत्र के करीब 75 प्रतिशत किसान बाजरा की खेती करते हैं क्योंकि इसमें कम मेहनत और पानी की जरूरत होती है और चारे की भी अच्छी व्यवस्था रहती है।
मऊ तहसील के लेखपाल संगम लाल ने बताया कि जिन किसानों ने फसल बीमा कराया है, उनका सर्वे कृषि विभाग द्वारा कराया जाएगा और उन्हें मुआवजा मिलेगा। लेकिन जिन किसानों ने बीमा नहीं कराया, उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पहले से फसल बीमा अवश्य कराएं ताकि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में उन्हें राहत मिल सके।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’




