उत्तर प्रदेश सरकार के “मिशन शक्ति” और “निपुण भारत अभियान” जैसे कार्यक्रमों का मकसद महिलाओं को मजबूत बनाना और बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारना है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या इन कार्यक्रमों में महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा सही मायने में हो पा रही है?
रिपोर्ट – नाज़नी, लेखन – कुमकुम
चित्रकूट जिले के शिवरामपुर स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) में 19 सितंबर को चल रहे राज्य स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिला प्रवक्ता के साथ गलत व्यवहार का मामला सामने आया है।
महिला ने अभद्र टिप्पणी करने का लगाया आरोप
महिला प्रवक्ता कहना है कि जब वे प्रशिक्षण सत्र ले रही थीं, तभी दो पुरुष शिक्षकों ने उनपर गंदी टिप्पणी की। उनका कहना है कि कुछ शिक्षक बिना पूरा समय दिए या बिना पूरे सत्र में मौजूद हुए अपने हस्ताक्षर करवाना चाहते थे। जब उन्होंने नियमों का पालन करने के लिए कहा, तो कुछ शिक्षकों ने हंगामा किया और उन पर अंग्रेजी में पढ़ाने का आरोप लगाया। धमकी भरे लहजे में कहा गया कि “हम शिक्षक संघ से जुड़े हैं, तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं।”
महिला ने आगे कहा कि ये शिक्षक अक्सर गुटखा-पान खाकर गंदगी फैलाते हैं, इधर-उधर थूकते हैं। शौचालय के बाहर पेशाब करते हैं जिससे बदबू फैलती है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें प्रशिक्षण में हिस्सा नहीं लेना था तो लिखकर दे देते, लेकिन वे अपनी ड्यूटी पूरी करेंगी और किसी के झूठे साइन नहीं करेंगी।
महिला का आरोप है कि चूंकि वे मुस्लिम महिला हैं और यहां अपने बच्चों के साथ अकेली रहती हैं, इसलिए उन पर दबाव बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग कहते हैं “हिंदू करोड़ों में हैं और मुस्लिम हजारों में, नौकरी में तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।” साथ ही फोन कर उन्हें डराया-धमकाया भी जाता है।
महिला ने दो शिक्षकों अजय पाल सिंह और मनोज सिंह पर आरोप लगाया है और कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि दोनों ने उनके साथ बदतमीजी की और अश्लील इशारे किए। महिला को डर है कि किसी भी समय उनकी जान पर खतरा हो सकता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य
यह प्रशिक्षण उत्तर प्रदेश सरकार और एनसीईआरटी मिलकर करवा रहे हैं। इसका मकसद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और निपुण भारत अभियान के तहत शिक्षकों का ज्ञान और कौशल बढ़ाना है। इसमें सभी शिक्षकों का आना ज़रूरी है और समय का सख्ती से पालन करना होता है।
जिला शिक्षा संघ के अध्यक्ष अखिलेश पांडे ने महिला प्रवक्ता के आरोपों को गलत बताया। उनका कहना है कि महिला सच नहीं बोल रही है। उन्होंने शिक्षकों का पक्ष लेते हुए कहा कि महिला प्रवक्ता अपने आप को प्रशासनिक अधिकारी बताती हैं, जबकि वह अधिकारी नहीं हैं।
प्रशासन का बयान
बेसिक शिक्षा अधिकारी वी.के शर्मा ने कहा कि महिला के साथ गलत व्यवहार करने वाले शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षण स्थल पर खराब पड़े कैमरे को तुरंत बदल दिया गया है। महिला की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए जांच में ग़लत पाये गये किसी भी शिक्षक को नहीं छोड़ा जाएगा।
वी .के शर्मा ने बताया कि घटना वाले दिन महिला ने उन्हें फोन किया था। उस समय वे डीएम की चौपाल में थे, लेकिन इसके बाद ही तुरंत शिवरामपुर घटना स्थल पर पहुंचे और जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि हफ्ते-दस दिन में जांच पूरी करके कार्रवाई कर दी जाएगी।
अब सवाल यह है कि जब शिक्षक ही महिला प्रवक्ता के साथ गलत व्यवहार करेंगे तो बच्चों को क्या संस्कार देंगे? वे क्या पढ़ाएंगे? आगे जाकर उनके पढ़ाए हुए बच्चे भी वही सीखेंगे। क्या शिक्षक संघ महिलाओं की गरिमा से बड़ा हो गया है? क्योंकि अखिलेश पांडे ने महिला को गलत साबित करने की कोशिश करते हुए शिक्षकों का पक्ष लिया है।
यह पहला मामला नहीं है। जिले में पहले भी पुरुष शिक्षकों पर महिला सहयोगियों के प्रति गलत व्यवहार के आरोप लग चुके हैं। ऐसी घटनाएं न सिर्फ शिक्षकों की छवि को खराब करती हैं, बल्कि सरकारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर से लोगों का भरोसा भी उठाती है।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’