बुंदेलखंड क्षेत्र के कई जिलों के तालाब सालों से दूषित हैं। पानी की कमी होने की वजह से ग्रमीणों को दैनिक उपयोग के लिए मज़बूरन गंदे पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है।
ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए पानी का एकमात्र साधन होता है जहां सरकार की जल योजनाएं नहीं पहुँच पातीं। बुंदेलखंड क्षेत्र के कई जिलों में बसे तालाब आज दूषित होकर रह गए हैं। तालाबों, नदियों की सफाई होगी, उसका सुंदरीकरण होगा, यह बातें कितनी ही बार सरकारी अधिकारियों से सुनी। बस ऐसा होते नहीं देखा।
खबर लहरिया ने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान महोबा और चित्रकूट जिले के तालाबों की तरफ रुख़ किया। यहां रहने वाले ग्रामीणों से गंदे तालाब होने की वजह से उन्हें होती परेशानियों के बारे में जाना।
महोबा जिले के पनवाड़ी क़स्बा, ग्राम पंचायत तुर्रामुहार मोहल्ले में लगभग 14 बीघे में एक तालाब है। तालाब में इतनी गंदगी भरी है कि पानी के ऊपर हरी काई भी जम चुकी है। बरसात होती है तो तालाब का गंदा पानी लोगों के घरों में चला जाता है। गंदे पानी में कीड़े-मकौड़े भी होते हैं। अब जब यह पानी घर में जाता है तो लोगों में बीमारी का डर भी बना रहता है।
हमने गाँव के चौकीदार राम भरोसे के बेटे अज्जू से तालाब के बारे में बात की। अज्जू के अनुसार, वह गाँव की हर मीटिंग में तालाब के सुंदरीकरण की मांग रखते हैं। मोहल्ले में लगभग 3 सौ घर हैं। 2 साल पहले भी लोगों ने तालाब के सुंदरीकरण और सफाई की मांग की थी पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
ग्राम विकास अधिकारी आरती गुप्ता की मानें तो मनरेगा के तहत इतना बजट ही नहीं आता की तलाइया यानी तालाब का सुंदरीकरण करा सकें। यही वजह है कि तालाब का सुंदरीकरण नहीं हो पा रहा है। पिछले साल भी उन्होंने कोशिश की थी पर मालवा हटाने के लिए उन्हें मज़दूर ही नहीं मिले। जेसीबी से वह हटवा नहीं सकते क्यूंकि यह कानून में नहीं है। यही वजह है कि तालाब गंदा पड़ा हुआ है।
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तालाब का गंदा पानी इस्तेमाल करना है मज़बूरी – चित्रकूट
चित्रकूट जिले की बात की जाए तो हमने यहां मऊ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले छिवलहा ,सुरौधा, मन्डौर मजरा, भिटरिया, ददरी आदि गाँवों के तालाबों के बारे में जाना। इन गाँवों के तालाबों की सफ़ाई लगभग 15 सालों से नहीं हुई है। कुछ गाँवों में बने घाट भी आज टूट चुके हैं। पानी इतना गंदा है कि लोग उससे नहा ले तो उन्हें खुजली होने लगती है। वैसे भी गर्मियों के मौसम में अधिकतर लोग तालाब के पानी में ही नहाते व कपड़े धोते हैं।
सुरौधा, छिवलहा, ददरी गांव के लोगों से हमने तालाब की समस्या के बारे में बात की। सबमें कुछ बातें बहुत सामान्य थी। लोगों ने कहा, गाँव में एक ही हैंडपंप है और जब वह भी बिगड़ जाता है तो मज़बूरन उन्हें तालाब के पानी से नहाना-धोना पड़ता है। जानवर भी तालाब का गंदा पानी पीते हैं। यह स्थिति पीढ़ियों से चलती आ रही है।
सुरौधा गांव की प्रधान मैना देवी का कहना है कि उनके ग्राम पंचायत में जो 2 तालाब हैं, उनकी सफाई और सुंदरीकरण का प्रयास किया जाएगा। अभी वह नई प्रधान बनी हैं और उनके पास बजट भी नहीं है।
मऊ ब्लॉक के एडीओ पंचायत संतोष कुमार ने बताया कि ब्लॉक में 56 ग्राम पंचायत हैं। हर ग्राम पंचायत में दो या एक तालाब है। इस साल कुछ तालाबों की सफाई और सुंदरीकरण के लिए एस्टीमेट बनाकर भेजा गया है। बजट आने के बाद काम कराया जाएगा ताकि ग्रामीणों को साफ़ पानी मिल सके।
हर अधिकारी सिर्फ यह बात करके बच रहें हैं कि तालाब के सुंदरीकरण के लिए उनके पास बजट नहीं है। ऐसे में यह सवाल आता है कि आज से पहले जो बजट तालाब सुंदरीकरण के नाम पर आया, उसका इस्तेमाल कहां किया गया? उन पैसों का क्या हुआ?
इस खबर की रिपोर्टिंग महोबा से श्यामकली और चित्रकूट से सुनीता द्वारा की गयी है।
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