बांदा, बुन्देलखण्ड में इस समय रबी सीजन की बुआई जोरों पर है, लेकिन खाद की भारी किल्लत किसानों के लिए गंभीर संकट बन गई है। सहकारी समितियों में यूरिया और DAP की कमी, टोकन व्यवस्था की दिक्कतें, सदस्यता अनिवार्यता और निजी दुकानों के महंगे दाम—इन सबके कारण छोटे एवं सीमांत किसान दोहरी मार झेल रहे हैं। सुबह से लाइन में लगे किसानों को न टोकन मिल रहा है, न ही समय पर खाद। गेहूं, चना, मसूर और सरसों की बुआई के बाद तुरंत यूरिया की जरूरत होती है, लेकिन उपलब्धता नहीं होने से फसलें प्रभावित हो रही हैं।
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