बोलेंगे बुलवाएंगे हंस कर सब कह जाएंगे दोस्तों इस एपीसोड मे फिर से मै आ गई हू कुछ अटपटी चटपटी बातों के साथ नया मुद्दा लेकर।
ऐसा मुद्दा जिसके लिए कानून तो बना लेकिन आज भी उस पीडा को लोग छेल रहे है। तो आइए जानते है क्या है वो दर्द वो पीडा जो बूरा लगने पर भी लोगों को सहना पडता है।
सवाल —–आपके साथ क्या छुआछूत होती है।
2 अगर आप पानी भर रही होती हैं तो कौन जाती के लोग नहीं भरते या भरने नहीं देते।
3 क्यों करते हैं ऐसे?
4 कहा कहा और किस तरह का छूत मानते हैं।
5 श्रेवण जाती के लोग क्या आपको टच करते हैं।
6 छू लेते हैं तो उन्हें क्या करना पडता है।
टिप्पणी — ये छुआछूत जैसी गंभीर बिमारी हमारे बुन्देलखण्ड मे ज्यादा पाई जाती है अगर दलित से छू गये मुस्लिम से छू गये तो एश्फेक्शन हो जाएगा।
भले ही बडे बडे होटलों मे दलित मुस्लिम खाना बना रहे हो और हर जाति के लोग वहां जाकर खा रहे हो तब छुवाछुत का भूत पेढ पर चला जाता है।
आइए कुछ जानते हैं ये बिमारी किस देश किस शहर से आई।
सवाल –अच्छा भय्या बताओ सब्जी कौन बेचता है।
अरे भय्या क्या धरती अलग ,अलग है क्या जाऊन छूत मानत हैं उनके धरती दुसरी है क्या?
टिप्पणी
बहुत पडा पाप लगता होगा शायद छूने से इसलिए ही छूत मानते होंगे इसलिए ही तो टच नहीं करते।
भले ही कम्पनी बैकरी मे सब दलित मुस्लिम काम करते हो खाने वाले सब श्रेवण जाती के हो इससे कुछ नहीं होता।
एक पंडित या धर्म से जुडे लोग से सवाल
ये बताइए कौन सी गीता रामायण मे लिखा है की इन्सान से इन्सान छूत माने।
अगर टच कर भी लिया तो क्या हो जाएगा।
देखा ये छुआछूत कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी मे तो आता ही है अगर कोई भी जातिगत भेदभाव छुआछूत करता है। तो कानूनी तौर पर दो साल तक की शजा हो सकती है। और कोई धार्मिक किताब गीता रामयण भी इस तरह की जातिगत भेदभाव को नहीं दर्शाता तो ये किसने लागू किया।
राजनीतिक लोगो ने ताति जातिगत भेदभाव की आड मे धर्म की दिवार खडी करके राजनीति कर सके।
तो कैसा लगा आज का मेरा ये एपीसोड कमेंट बाक्स मे जाकर हमे जरूर बताएं और साथ ही साथ हमारे यू ट्युब चैनल को सस्काइव करे। मेरे शो को शेयर करे लाइक करे
मिलती हू फिर अगले एपीसोड मे एक नये मुद्दे के साथ।
नमस्कार