पन्ना-देवगांव की अनोखी गौशाला, जहाँ गोबर से बन रहे गमले और लकड़ी :गौशाला का अजय गढ़ से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर देवगांव ग्राम पंचायत है जहां पर एक गौशाला बने हुए हैं जहां पर गौशाला के प्रबंधक के द्वारा बताया गया कि 400 गांव गौशाला में है और गौशाला के माध्यम से 8 कर्मचारियों को यहां पर काम दिया गया है यह कर्मचारी अपने-अपने काम नियम अनुसार करते हैं देखा जा रहा है कि आजकल गाय का कोई महत्व नहीं रहेगा या गाय मारी धकेली खेल रहे हैं इसीलिए शासन के द्वारा आदेश भी किए गए हैं कि हर ग्राम पंचायत में एक गौशाला होना लेकिन यहां पर जो गौशाला है इसमें अनोखी बात यह है कि गायों के गोबर से गमले बनाए जाते हैं और लकड़ी बनाई जाती हैं
गमलों का प्रयोग किसान लोग पौधों को उगाने में करते हैं और लकड़ी का प्रयोग पूजा पाठ एवं जब किसी का स्वर्गवास होता है तो उसके काम पर आते हैं गमले बनाने वाली मशीन अलग है जिस से गमला बनाया जाता है एक गमले की कीमत ₹5 बताई गई है और एक गमले को बनाने में लगभग 5 से 10 मिनट का समय लगता है और गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन भी अलग है जिनको यहां पर रहने वाले कर्मचारी बनाते हैं इलाहाबाद चित्रकूट से लोग आते हैं लकड़ी खरीदने के लिए गोबर की और गमलों को खरीदने के लिए किसान आते हैं तू देखा जा रहा है कि जहां गायों को बहुत कम महत्व दिया जा रहा है वहीं गायों का दूध से लेकर गोबर और मूत्र भी व्यक्ति के लिए कितना महत्वपूर्ण है जिससे लोग अपना घर भी चला सकते हैं और ग्राम पंचायत में निवास करने वाले लोग वहां पर रहकर कुछ काम कर कर पैसे भी कमा सकते हैं और गाय की गोबर का खाद का प्रयोग किसान सबसे अधिक करते हैं
जिससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता क्योंकि गाय के गोबर की खाद सबसे अधिक मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाती है जानकारी के अनुसार बताया गया कि यह खाद विदेशी खाद से सस्ती भी है और अच्छी भी होती है इससे कोई बीमारी नहीं होती है यूरिया खाद को यूज करने से खेतों की उपजाऊ क्षमता कम होती है और किसानों के द्वारा बताया गया कि गायों से प्राप्त खाद्य एक बार डालने से 3 साल तक बराबर कार्य करती है