भारतीय मौसम वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले पांच सालों में उनके पास न सिर्फ बारिश बढ़ाने के लिए पर्याप्त विशेषज्ञता होगी, बल्कि कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि और बिजली गिरने के साथ-साथ इसे अपनी इच्छा के अनुसार रोका भी जा सकेगा। उदाहरण के लिए, अगर 15 अगस्त जैसे किसी खास दिन बारिश को रोकना है तो वह भी किया जा सकेगा।
बदलते मौसम की सटीक जानकारी, मौसमी घटनाओं,जलवायु परिवर्तन से होने वाली परेशानियों के बारे में पूर्वानुमान व प्रतिक्रिया देने की क्षमता को मज़बूत करने के लिए “मिशन मौसम” की शुरुआत की गई है।
पीएम मोदी की मौजूदगी में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार, 11 सितंबर को “मिशन मौसम”/Mission Mausam को मंज़ूरी दी है। बता दें, इसके पहले चरण के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो मार्च 2026 तक चलेगा।
“मिशन मौसम”/Mission Mausam का क्या है उद्देश्य?
प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, इसका उद्देश्य भारत को ‘मौसम के लिए तैयार’ और ‘जलवायु स्मार्ट’ (‘Weather Ready’ and ‘Climate Smart’) बनाना है। इसके साथ ही देश के मौसम और जलवायु का अवलोकन करना,समझना और पूर्वानुमान करना है ताकि इससे बेहतर और उपयोगी तौर पर सटीक व समय पर सेवाएं मिल सकें।
वर्तमान में मिशन मौसम का कार्यान्वयन वर्ष 2024-2026 के बीच रहेगा।
इसके साथ ही मिशन मौसम का उद्देश्य लघु से मध्यम अवधि के मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में पांच से 10 प्रतिशत तक सुधार करना है। साथ ही सभी प्रमुख महानगरों में वायु गुणवत्ता की भविष्यवाणी में भी 10 प्रतिशत तक का सुधार लाना है।
तीन प्रमुख संस्थान ‘मिशन मौसम’ के लिए करेंगे काम
पहले दो सालों के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Earth Sciences) के तहत मिशन मौसम के लिए तीन प्रमुख संस्थान काम करेंगे। इनमें भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी और नेशनल सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्टिंग शामिल हैं।
इन संस्थानों के लिए भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र, राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केन्द्र तथा राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान मदद करेंगे।
क्या बारिश कराई और रोकी जा सकेगी?
भारतीय मौसम वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले पांच सालों में उनके पास न सिर्फ बारिश बढ़ाने के लिए पर्याप्त विशेषज्ञता होगी, बल्कि कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि और बिजली गिरने के साथ-साथ इसे अपनी इच्छा के अनुसार रोका भी जा सकेगा। उदाहरण के लिए, अगर 15 अगस्त जैसे किसी खास दिन बारिश को रोकना है तो वह भी किया जा सकेगा।
“मौसम जीपीटी”/ Mausam GPT लाने की है तैयारी
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग अन्य वैज्ञानिक संस्थाओं के साथ मिलकर “मौसम जीपीटी” (Mausam GPT) विकसित व लॉन्च करेगा जो अगर सफल होता है तो वह चैट जीपीटी की तरह की काम करेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके जरिए पहले से ही मौसम की जानकारी मिल जाएगी, जो टेक्स्ट (लिखित) या ऑडियो (आवाज़) के रूप में हो सकती है।
Press Conference on “Mission Mausam” on 12th September, 2024 at 3:00 PM
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— India Meteorological Department (@Indiametdept) September 12, 2024
कई देशों में बारिश के लिए हो रहा क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बारिश को दबाने और बढ़ाने की तकनीकों का उपयोग पहले से ही कई देशों में किया जा रहा है। अमेरिका, कनाडा, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में सीमित तरीके से क्लाउड सीडिंग, विमान का इस्तेमाल करके यह किया जा रहा है। इनमें से कुछ देशों में फलों के बगीचों और फसलों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए ओलावृष्टि को कम करने के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिन्हें ओवरसीडिंग कहा जाता है।
बता दें, क्लाउड सीडिंग में अधिक वर्षा उत्पन्न करने के लिए मौजूदा बादलों में हेरफेर करना शामिल है। ऐसा विमान का इस्तेमाल करके बादलों में छोटे कण (जैसे सिल्वर आयोडाइड) गिराकर किया जा सकता है। इससे जल वाष्प (भांप) आसानी से संघनित (इकठ्ठा) होकर बारिश में बदल सकता है।
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