यूपी के बरेली में 11वीं छात्रा को परीक्षा के दौरान सैनिटरी पैड मांगने पर कथित तौर पर सजा दी गई। विद्यालय के प्रिंसिपल ने सजा में छात्रा को एक घंटे तक कक्षा के बाहर खड़ा रखा। यह घटना शनिवार 25 जनवरी 2025 की है जैसा कि पिता ने शिकायत में दर्ज किया है। जिला विद्यालय निरीक्षक देवकी नंदन ने कहा मामले की जाँच चल रही है।
महिलाओं को मासिक धर्म बता के आए ऐसा तो नहीं है। यह तो किसी भी समय पर आ सकता है, लेकिन ऐसे में मदद करने की बजाय सजा देना क्या सही है? मासिक धर्म आने पर महिला को इस तरह सजा का सामना करने जहां उसकी कोई गलती भी नहीं है।
पिता ने दर्ज की शिकायत
बरेली के बालिका विद्यालय का एक मामला सामने आया है जहां 11 वीं कक्षा की छात्रा को इस बात की सजा मिली क्योंकि उसे मासिक धर्म आया। इसके बाद छात्रा के पिता ने स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत दर्ज की। शिकायत में उनकी बेटी परीक्षा देने के लिए स्कूल गई थी, तभी उसे महसूस हुआ की उसे मासिक धर्म आया है और उसने पैड माँगा। इसके बदले में कथित तौर पर उसे कक्षा से बाहर कर दिया गया और करीब 1 घंटे तक खड़ा रखा। जिला विद्यालय निरीक्षक देवकी नंदन ने इस मामले में कहा कि मामले की जाँच हो रही है। इसके आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पिता ने जिला मजिस्ट्रेट, जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस), राज्य महिला आयोग और महिला कल्याण विभाग को लिखित शिकायत की।
मासिक धर्म को लेकर परीक्षा के समय केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने दिया था आदेश
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने साल 2024 जून में परीक्षा के दौरान मासिक धर्म की वजह से छात्राओं को परीक्षा में बाधा न हो इसके लिया आदेश दिया। इस आदेश के अनुसार सभी केंद्रों पर सैनिटरी पैड की सुविधा हो और छात्राओं को 10वीं और12वीं की परीक्षाओं के दौरान जरुरत पड़ने पर शौचालय जाने की भी अनुमति दी जानी चाहिए।
इस दिशा निर्देश को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) और नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) जैसे संस्थानों पर भी लागू करने के आदेश दिए। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेशों को आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं।
https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/moe-hygiene.pdf
शिक्षा मंत्रालय के आदेश के बावजूद महिला छात्राओं के साथ इस तरह का दुर्व्यहार सवाल खड़े करता है। यदि आगे भी इस तरह का व्यवहार किया गया तो छात्रों के विचार और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ेगा। इसके साथ ही उनकी पढ़ाई में भी बाधा आ सकती है।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’