सात साल का कारावास: उत्तरप्रदेश अधिकारियों की समिति ने मोबलिंचिंग पर बेहद सख्त कानून का मसौदा तैयार किया है जिसमें जिम्मेदारी अधिकारियों पर होगी।
राज्य की न्याय समिति ने मॉबलिंचिंग पर एक तरफा निर्णय लेते हुए कहा है कि मौजूदा कानून दोषियों के लिए प्रर्याप्त नहीं है। यदि इस प्रकार की घटनाएं होती हैं तो जो इस ऐसा अपराध करते हैं उनके लिए ही सिर्फ सजा काफी नहीं है बल्की राज्य के जिम्मेदार अधिकारियों को भी इस तरह की घटनाओं के लिए उत्तरदाई ठहराया जाएगा।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संबंध में एक रिपोर्ट सौंपी गई है।
रिपोर्ट में दोषियों को सात वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा देने का प्रावधान रखा गया है और अपनी जिम्मेदारी ठीक से ना निभाने पर पुलिस अधिकारी या जिला मजिस्ट्रेट को भी तीन वर्ष तक की सजा के प्रावधान संबंधित रिपोर्ट भेजी गई है। उत्तरप्रदेश राज्य विधि आयोग द्वारा मॉबलिंचिंग पर बेहद साधारण कानून की व्यवस्था की गई है।
उत्तरप्रदेश मॉबलिंचिंग बिल 2019 – यह बिल उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) आदित्यनाथ मित्तल ने मॉबलिंचिंग के मामले में एकतरफा संज्ञान लेते हुए कहा कि इस विषय पर वर्तमान कानून नाकाफी है। बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में यदि इस तरह की घटना होती है तब उन्हें भी कानून के दायरे में लाया जाए।
मॉबलिंचिंग के मामले पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इसे एक अलग कानून के तहत क्रियान्वित किया जाए जिससे अपराधियों में ख़ौफ पैदा हो सके। राज्य विधि आयोग ने बेहद सख्त कानून संबंधित बिल पेश किया है।
Transalated from : https://indianexpress.com/article/india/up-mob-lynching-life-jail-panel-drafts-tough-law-5825994/